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04 अप्रैल 2019

बहरूपिया इस बार चौकीदार के वेश में है जागते रहो

मैं चौकीदार हूं
(द ठग्स ऑफ हिन्दोस्तान)
सावधान !
एक बहरूपिया
फिर से
आपके शहर में
मौजूद है

वह कभी कहता है
मैं फ़क़ीर हूँ
झोला उठाकर
चल दूंगा
कभी वह
रोने-धोने का
ऐसा नाटक करता है
कि दिग्गज़ अभिनेता भी
उसके सामने
पानी मांगते नज़र आते हैं
कुम्भ के मेले में
कुछ दलितों के पैर धोने का
अभिनय करके
उसने देश के
सभी अभिनेताओं
की बैंड बजा दी थी
वह अक्सर बहकी-बहकी बातें भी करता है
और पढे-लिखे
बेरोज़गारों नौजवानों को
चाय-पकौड़े बेचने की सलाह देता है
कभी वह
हर भारतवासी को
पंद्रह लाख देने का लालच देता है
और कभी वह
नाले की गैस पर
चाय बनाने की
अद्भुत तरकीबें
ईज़ाद करता है
कभी वह कहता है
अगर सौ दिन में
विदेशों से
काला धन वापस नहीं आया
तो मैं फांसी चढ़ जाऊंगा
कभी वह कहता है
चेतक की मां
गुजराती थी
देश से राफेल घोटाले की फ़ाइल
चोरी हो गई
माल्या, नीरव जैसे चोर
देश के करोड़ो लेकर
विदेश भाग गए
पुलवामा में घुसकर आतंकी
पैंतालीस से ज्यादा जवानों को मार गए
फिर भी वह कहता है
देश सुरक्षित हाथों में है
वह अपनी हर नाक़ामी
का ठीकरा
नेहरूजी के सिर पर
फोड़ता है
वह अपने
हर विरोधी को
देशद्रोही मानता है
और स्वयं को
परम राष्ट्रभक्त
ख़ुद को
वह चौकीदार कहता है
लेकिन
वह खुद रहता है
जेड प्लस की अभेद सुरक्षा घेरे में
वह गणित के
ऐसे-ऐसे हैरतअंगेज़ फार्मूले
जनता को समझाता है
कि वह विश्व के तमाम
गणितज्ञ और वैज्ञानिकों तक को
हैरानी में डाल देता है
पिछली बार
वह बहरूपिया
चायवाला बनकर
शहर में
प्रकट हुआ था
इस बार वह कहता है
मैं चौकीदार हूँ
ख़ुफ़िया सूत्रों के अनुसार
इस चुनावी मौसम में
वह फिर से
अपनी झोली में
कुछ नारे
कुछ नए वादे
कुछ जुमले
और कुछ जमूरों को साथ लेकर
वोटों की ख़ातिर
आपके शहर में
मौज़ूद है
उसकी खासियत है
की वह
कुछ उल्टे-सीधे
करतब दिखाकर
हाथों की अजीबोग़रीब बाज़ीगरी
और सड़कछाप भाषणों से
जनता को भ्रमित करता है
और जनता के
बहुमूल्य वोटों
अपने झोले में डालकर
पांच वर्षों के लिए
लापता हो जाता है
सावधान !
होशियार !
रात अंधेरी है
और चोर-लुटेरों का बोलबाला है
और वह
बहरूपिया
इस बार
चौकीदार के वेश में है
जागते रहो ।

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