देश के सर्वोच्च न्यायालय की एक दर्जन से भी अधिक फटकार के बाद ,,देश को
आखिर भाजपा सरकार का कार्यकाल ख़त्म होने के वक़्त ,आखरी लम्हों में ,,जब
चुनाव आचार संहिता लग चुकी है ,चुनावों की घोषणा हो चुकी है ,,जस्टिस
पिनाकी चन्द्रघोष का नाम लोकपाल के लिए भेजना ही पढ़ा ,,मुझे नहीं पता
,,लोकपाल नियुक्ति में पारदर्शिता के सिद्धांत ,प्रतिपक्ष या सबसे बढ़ी
पार्टी के नेता के परामर्श की विधिक बाध्यता के तहत इस लोकपाल नियुक्ति के
पूर्व परामर्श लिया गया या नहीं ,लेकिन यह लोकपाल की नियुक्ति की सिफारिश
,एक शेर ,उम्र कटी बुत कशा में ,,आखरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमान होंगे
,वाले कहावत वाली ही ,है ,,दोस्तों देश जानता है ,वोह अन्ना जो पुरे पांच
साल केजरीवाल के लोकपाल को खत्म करने वाले प्रधानमंत्री के खिलाफ एक शब्द
भी नहीं बोले ,वोह जानते है ,,कांग्रेस सरकार ने देश का चौकीदार चोरी नहीं
कर सके , अगर देश का चौकीदार ,,,देश के चौकीदार की कोई भी टीम चोरी करे ,तो
ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए ,भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए ,देश में एक मज़बूत
लोकपाल ,देश का ओरिजनल चौकीदार बनाने के लिए ,एक सख्त क़ानून बनाया था ,इस
क़ानून में जनता को ,,किसी भी चौकीदार की चोरी ,या अनियमितता की शिकायत का
अधिकार दिया गया था ,,,जुमलों ,,झूंठ ,फरेब ,,झूंठे वायदों के आधार पर
,अन्ना लोकपाल आंदोलनकारी समर्थन के आधार पर सरकार बदली ,और आदरणीय नरेंद्र
मोदी साहिब प्रधानमंत्री बन गए ,वोह खुद को चौकीदार कहते रहे ,अभी भी
चौकीदार कर रहे है ,यानी एक लोकपाल जो देश में लोकतान्त्रिक तरीके से
,चौकीदार बनाया गया था ,सत्ता में आने के बाद ,,यह चौकीदार साहब उस क़ानूनी
,लोकपाल चौकीदार को ही निंगल गए ,,अन्ना को फील गुड कराया गया ,,केजरीवाल
ने अटूट बहुमत के बाद भी मज़बूत लोकपाल बनाया तो ,इन चौकीदार साहब ने
दिल्ली के कुछ विभाग जो केंद्र सरकार से भी प्रभावित ,है ,,खास दोस्त
रिलायंस बिजली के अडानी ,अम्बानी ,,पत्रकारों के चैनल उस परिधि में थे
,,उन्हें बचाने के ,,लिए ,,लोकपाल दिल्ली के चौकीदार को अनुमती ही नहीं दी
,,कांग्रेस सरकार ने देश को एक मज़बूत चौकीदार देने के लिए मज़बूत लोकपाल
क़ानून बनाया ,,और भाजपा सरकार को ,अपने जुमलों के आधार पर ,अन्ना हज़ारे
साहिब को अपने आंदोलन के आधार पर कथनी को करनी में बदलना चाहिए था ,तुरंत
देश के कारनामों पर निगरानी के लिए समीक्षा के लिए ,देश के भ्रष्टाचार की
निष्पक्ष जांच के लिए ,जुमलों वाला चौकीदार नहीं ,,चोर चौकीदार नहीं ,,सो
कॉल्ड चौकीदार नहीं ,ओरिजनल चौकीदार ,जवाबदेह चौकीदार तुरंत बनाना था
,लेकिन पुरे पांच साल अन्ना बहलते रहे ,देश की जनता से खेलते रहे
,,पांखण्डी बनकर खामोश रहे ,,लोकपाल के लिए कोई बढ़ा आंदोलन नहीं किया ,,देश
के सुप्रीमकोर्ट ने ,,चौकीदार साहब ,जी हाँ सो कोल्ड चौकीदार साहब को
,,लोकपाल प्रतिपक्ष के नेता के परामर्श ,अगर प्रतिपक्ष को मान्यता नहीं दी
गयी है तो देश के सबसे बढे दल के नेता के साथ परामर्श के बाद लोकपाल
नियुक्त करने के दर्जन से भी अधिक फटकार लगाते हुए आदेश जारी किये ,,आखरी
में सुप्रीमकोर्ट में जब बेबस ,लाचार जजों ने जनता से लोकतंत्र की रक्षा की
अपील की ,फिर नए सुप्रीम कोर्ट जज आये तब इस सुनवाई में कठोर आदेशों के
खौफ के बाद भी ,चौकीदार साहब ने ,,ओरिजनल चौकीदार लोकपाल की नियुक्ति नहीं
की , लेकिन अब ,चुनाव घोषित हो गए ,चुनावों की तिथियां घोषित हो गयी
,,चुनाव आचार संहिता लग गयी ,तब लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम क़ानून की
मर्यादाओं के खिलाफ ,,,,लोकपाल की नियुक्ति के लिए नाम का चयन
,राष्ट्रपति महोदय को नाम की सिफारिश ,,खिसियानी बिल्ली ,खम्बा नोचे वाले
कहावत ,है ,आदरणीय महामहिम को ,आदरणीय सुप्रीमकोर्ट को ,लोकपाल नियुक्ति की
चयन प्रक्रिया में ,,पारदर्शिता ,,रखी गयी या नहीं ,नियमों के तहत सभी का
परार्मश हुआ या नहीं ,नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया तो सबसे बढे दल के नेता
से परामर्श लिया या नहीं ,जैसी आवश्यक क़ानूनी बाध्यताओं ,,को परखना चाहिए
,,देश को देखना चाहिए ,सोचना चाहिए ,,देश के मीडिया से पूंछना चाहिए ,बात
बात पर लाइव चर्चा दिखाने वाले मीडिया ने ,,,लोकपाल ज्वलंत मुद्दा ,ओरिजनल
चौकीदार का मुद्दा होने पर भी ,पुरे पांच साल इस पर चर्चा क्यों नहीं की
,क्यौं अन्ना हज़ारे को कैमरे के सामने लाकर उनकी चुप्पी भरे समझौते की पोल
नहीं खोली गयी ,क्यों ,देश के क़ानून के बाद भी ,देश के सर्वोच्च न्यायालय
के लगातार ,बार बार आदेशों के बाद भी सो कोल्ड चौकीदार ने ,देश को ओरिजनल
,ज़िम्मेदार ,लोकतान्त्रिक ,चौकीदार क्यों नहीं दिया ,पुरे पांच साल देश को
ऐसे ओरिजनल चौकीदार से वंचित रखने के पीछे क्या उद्देश्य रहा ,जिसके
अधीनस्थ ,खुद सो कोल्ड चौकीदार ,यानी प्रधानमंत्री ,उनके मंत्री और यह जो
अधिकारी जिन्हे अपनी मर्ज़ी से बनाये है ,,यह जो मुख्यमंत्री ,जो मंत्री जो
विधायक ,मोब्लिचिंग हत्यारों के खुले समर्थक रहे है ,ऑक्सीजन से बच्चे मर
गए ,,पुलिसकर्मियों की हत्याये हो गयी ,,भरस्टाचार हुए ,,सौदेबाज़ी में
गड़बड़ियां हुईं ,,पढ़ाई के सभी पेपर विवादित रहे ,लीकेज होने से गड़बड़िया
हुईं ,,सबकी जांच ,निष्पक्ष जांच जो लोकपाल ,जो ओरिजनल चौकीदार कर सकता था
,उस लोकपाल चौकीदार की नियुक्ति से इन सो कोल्ड चौकीदार साहब को गुरेज़
क्यों रहा यह सवाल ,देश को ,देश की जनता को मीडिया की चुप्पी ,मीडिया की
सांठ गाँठ पर मीडिया से भी पूंछना होगा ,सो कॉल्ड चौकीदार साहब से भी
पूंछना होगा ,,ओरिजनल चौकीदार होता ,,तो उनके पास जो शिकायते होतीं ,उन
शिकायतों का निस्तारण जब होता तो ,सो कोल्ड चौकीदार साहब का क्या हश्र होता
,यह सोचना होगा ,बात साफ़ से ,ओरिजनल चौकीदार से ,,,सो कोल्ड चौकीदार को
खौफ था ,डर था इसीलिए सुप्रीमकोर्ट की लगातार नाराज़गी झेलने के बाद भी
आखिर में जब सुप्रीमकोर्ट ने अपनी ताक़त के बल पर लताड़ पिलाई तब मजबूरी
में , यह ओरिजनल लोकपाल का नाम दिया ,जो भी पारदर्शिता ,विधि विधान के तहत
है या नहीं जांच होना चाहिए ,,,ऍन वक़्त चुनाव के पूर्व ,चुनावी घोषणा के
बाद लोकप्रतिनित्धित्व अधिनियम के दायरे में है या नहीं ,, पूर्व स्वीकृति
ली या नहीं ,कोई सियासी खेल तो नहीं , इस बारे में चर्चा होना चाहिए
,,देश को ,देश की एक सो तीस करोड़ जनता ,को ,देश में लोकपाल ,यानी ओरिजनल
चौकीदार नहीं होने से पुरे पांच सालों में किस तरह के नुकसान के दौर से
गुज़रना पढ़ा ,किस तरह की तानाशाही ,मनमानी का प्रकोप इस देश को झेलना पढ़ा इस
पर भी चर्चा होना चाहिए ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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