आपका-अख्तर खान

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16 मार्च 2019

किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं

और किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे (जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख़्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है (51)
और इसी तरह हमने अपने हुक्म को रूह (क़ुरआन) तुम्हारी तरफ ‘वही’ के ज़रिए से भेजे तो तुम न किताब ही को जानते थे कि क्या है और न ईमान को मगर इस (क़ुरआन) को एक नूर बनाया है कि इससे हम अपने बन्दों में से जिसकी चाहते हैं हिदायत करते हैं और इसमें शक नहीं कि तुम (ऐ रसूल) सीधा ही रास्ता दिखाते हो (52)
(यानि) उसका रास्ता कि जो आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है सुन रखो सब काम ख़ुदा ही की तरफ़ रूजू होंगे और वही फैसला करेगा (53)

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