पत्रकारिता
के मूल्यों से कभी समझौता नहीं करते वाले ,पत्रकारिता की हर नब्ज़ को
टटोलकर सिर्फ सिद्धांतक अल्फ़ाज़ों के ज़रिये पाठकों को सच सिर्फ सच परोसने
वाले भाई पियूष जैन के लोकगमन होने की खबर से में आहत हूँ ,कोटा के एक
मात्र आज़ादी के आंदोलन के गवाह बने रामपुरा क्षेत्र में ,दैनिक अधिकार के
ज़रिये पत्रकारिता की शुरुआत कर , पत्रकारिता गुरु बने ,भाई पियूष जैन की
लेखनी को आज भी ,,ईमानदार लेखनी के लिए सेल्यूट किया जाता रहा है ,,एक शख्स
,जिसने कभी किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस ,,किसी की जन सभा ,,या किसी भी
कार्यक्रम में रिपोर्टिंग के समय न क़लम उठाया ,न कागज़ पर कुछ लिखा
,,उन्होंने जो भी क़ैद किया सिर्फ अपने मन ,मस्तिष्ट में ,फिर दूसरे दिन जब
भी अधिकार अख़बार में पियूष जैन की रिपोर्टिंग पढ़ी ,तो सबसे ,अलग सबसे
बेहतर ,सभी बिंदुओं ,का उनकी रिपोर्टिंग में समावेश ,पढ़कर चौंकना लाज़मी था
,में दैनिक धरती करे पुकार अख़बार में रिपोर्ट था ,,पियूष जैन अधिकार में एक
मात्र फॉक्स पत्रकार ,सम्पादक ,प्रबंधक सभी ,थे लेकिन इतनी महनत ,,इतनी
बहतरीन प्रस्तुति ,वोह भी मूल्यों के साथ ,,पत्रकारिता में तात्कालिक रूप
से जब पत्रकार वार्ताओं में गिफ्ट संस्कृति का उपहार के रूप में रिश्वत का
ज़हर शुरू हुआ ,,तो पियूष जैन ने इस संस्कृति का विरोध किया ,विरोध अकेला
विरोध था ,तो उन्होंने पत्रकार वार्ताओं में जाकर रिपोर्टिंग तो की ,लेकिन
कभी किसी का उपहार स्वीकार नहीं किया ,फिर भी सभी से बेहतर उनकी रिपोर्टिंग
पत्रकार वार्ता के आयोजक देखकर अचम्भित थे ,,खामोश तबियत ,,अनुभवों का
खज़ाना कहे जाने वाले भाई पियूष जैन ,,स्वर्गीय प्रेम चंद जैन के भी निकटतम
थे इसलिए हाड़ोती की धरोहर ,संरक्षण , के प्रति वोह भी चिंतित रहा करते ,थे
,असंख्य ऐसे साथी है ,जिन्हे पियूष जैन ने पत्रकारिता की क ख ग़ ऊँगली पकड़
कर सिखाई ,जो बाद में कुछ अच्छे हुए कुछ कुछ हो गए ,वोह हँसते
,,मुस्कुराते ,,बिना किसी नोटिंग के ,पत्रकारिता के इस गुण के बारे में
पूंछने पर वोह कहते ,,इंसान है ,जो सोच ले वोह सब कुछ कर सकता है ,,,इंद्रा
गांधी की मल्टीपर्पस गुमानपुरा सभी ,उसके बाद ओशो का कार्यक्रम ,,दोनों
मिक्स हो गए ,पियूष जी कहते थे देख लेना ओशो ने पत्रकारिता की गिरावट
,राजनीती की गिरावट ,सामाजिक स्तर की गिरावट के बारे में जो कुछ भी कहा है
,वोह अभी अजीब लगता है ,लेकिन एक दिन सच ज़रूर होगा ,ओशो कहते थे जब मुद्दे
उठाये जाएंगे तो मज़हब ,धर्म ,,जाति ,समाज के मुद्दे उठाकर चुनावों में इन
मुद्दों को ,राजा द्वारा वोट बटोरने के लिए देशवासियों में भ्रम फैलाकर यह
लोग सत्ता हथियायेगे ,,,कभी किस पार्टी में कभी किस पार्टी में जाएंगे
,,पत्रकारों के लिए उनका इशारा था यह राजा महाराजाओं के गवैये बनकर उन्ही
का राग अलापेंगे ,सिर्फ छोटे कहे जाने वाले पत्रकार जो बढे होंगे ,जो सही
लिखेंगे ,,वोह विचारों के इस घटाटोप अँधेरे में सिर्फ एक दिए की तरह
टिमटिमाएँगे ,,आज यही सच साबित हो रहा है ,,,पियूष जैन ट्रेडिल ,कम्पोज़
,,पुरानी तकनीक के सम्पादक भी रहे ,तो उन्होंने इसके पूर्व पत्र के माध्यम
से कथित पत्रकारिता का ,अशफ़ाक़ भाईजान और अन्य का स्वरूप भी जाना है ,पियूष
जैन ने ट्रेडिल के बाद कम्प्यूटर युग में ऑफसेट ,फिर सुपर ऑफसेट ,फिर
मल्टीकलर ,मिनटों में लाखों अख़बार छापने वाला युग भी देखा ,,है ,अब
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पहले सच्ची खबरे ,फिर ग्रॉस्पिंग खबरे ,फिर सत्ता
के लोगो के साथ पैकेज लेकर मुद्दे भटकाकर आम जनता का ब्रेनवाश करने की लाइव
बहसें भी उन्होंने देखी ,है ,,इसके बाद सोशल मिडिया पर ब्रेकिंग न्यूज़
,,तुरतं खबर का प्रसारण भी उन्होंने जाना है ,,बदलते पत्रकारिता इस परिवेश
में वोह विद्वान् होने के बाद भी कोई टिप्पणी नहीं करते थे ,बस खामोश हो
जाते ,दुखी हो जाते ,,अफ़सोस ज़ाहिर करते ,और ईश्वर से दुआ करते हालात सुधरे
,,कोटा से जयपुर जाने के बाद भी अख़बार चाहे बढ़ा हो ,खुद सम्पादक की जगह
,दूसरे वरिष्ठ को रिपोर्टिंग का उनका कार्यभार हो फिर भी वोह नहीं बदले
,,उनकी लेखनी नहीं बदली ,,पत्रकारिता में उनके सिद्धांत नहीं बदले ,,वोह
कागज़ों में अख़बार के दफ्तर से रिटायर हो गए ,,लेकिन पत्रकारिता और लेखनी से
उन्हें सेवानिवृत्ति नहीं मिली ,पत्रकारिता के इस आदर्श लोहपुरुष का कल
अचानक देहांत हो जाने से कोटा के उनके साथी रहे पत्रकारों में शोक की लहर
दौड़ गयी ,ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे ,,पत्रकारिता के उनके पद चिन्हों पर
चलने की सभी पत्रकारों को तौफ़ीक़ दे ,,कोटा सहित जयपुर के पत्रकार संगठनों
,पत्रकार क्लबों में ऐसी महान पत्रकार हस्ती के जीवन संस्मरण को लेकर ,नए
पत्रकारों को सीख देने के लिए व्याख्यानमालाएं आयोजित करने की सलाहियत दे
,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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