तुम (जब कोई चीज़ नाप कर दो तो) पूरा पैमाना दिया करो और नुक़सान (कम देने वाले) न बनो (181)
और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो (182)
और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज़्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो (183)
और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली खि़लकत को पैदा किया (184)
वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) (185)
और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं (186)
तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो (187)
और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है (188)
ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख़्त) दिन का अज़ाब था (189)
इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे (190)
और तुम (जब तौलो तो) ठीक तराज़ू से डन्डी सीधी रखकर तौलो (182)
और लोगों को उनकी चीज़े (जो ख़रीदें) कम न ज़्यादा करो और ज़मीन से फसाद न फैलाते फिरो (183)
और उस (ख़ुदा) से डरो जिसने तुम्हे और अगली खि़लकत को पैदा किया (184)
वह लोग कहने लगे तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हों) (185)
और तुम तो हमारे ही ऐसे एक आदमी हो और हम लोग तो तुमको झूठा ही समझते हैं (186)
तो अगर तुम सच्चे हो तो हम पर आसमान का एक टुकड़ा गिरा दो (187)
और शुएब ने कहा जो तुम लोग करते हो मेरा परवरदिगार ख़ूब जानता है (188)
ग़रज़ उन लोगों ने शुएब को झुठलाया तो उन्हें साएबान (अब्र) के अज़ाब ने ले डाला- इसमे शक नहीं कि ये भी एक बड़े (सख़्त) दिन का अज़ाब था (189)
इसमे भी शक नहीं कि इसमें (समझदारों के लिए) एक बड़ी इबरत है और उनमें के बहुतेरे इमान लाने वाले ही न थे (190)
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