देश में दहेज़ उत्पीड़ित महिलाओं के इन्साफ में अड़ंगा बने एक सुप्रीम कोर्ट
के आदेश के खिलाफ ,,देश के प्रधानमंत्री ,देश की सरकार ने ,उत्पीड़ित
महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए कोई पहल नहीं की ,,लेकिन एक वर्ष के पूर्व
ही उत्पीड़ित महिलाओं को इन्साफ दिलाने वाली एक समाजसेवी संस्था की तरफ से
दायर याचिका में तीन जजों की बेंच ने ,,ससुराल पक्ष के खिलाफ उत्पीड़न की
शिकायत पर तत्काल ,गिरफ्तारी ,,जांच पर जो रोक लगाई थी ,उस व्यवस्था को
सुप्रीम कोर्ट के नए निर्णय के बाद हटा दिया गया है ,अब उत्पीड़ित महिलाओं
की शिकायत पर तत्काल एफ आई आर ,तत्काल जांच ,जांच सही पाए जाने पर उत्पीड़ित
करने वाले आरोपी पति वगेरा की गिरफ्तारी के रास्ते खुल गए है ,उक्त आदेश
से देश की लाखों उत्पीड़ित महिलाओं को इन्साफ मिल सकेगा ,,सभी जानते है
,महिलाओं के इन्साफ के नाम पर सियासत करने वाली इस मोदी सरकार ने पूर्व में
सुप्रीम कोर्ट के आदेश जिसमे दहेज़ उत्पीड़ित महिलाओं की शिकायत पर तत्काल
एफ आई आर पर रोक लगाकर ,,पारिवारिक परामर्श समिति ,स्थाई लोक अदालत के
समक्ष शिकायत भेजकर समझाइश के बाद ही कार्यवाही करने के निर्देश थे ,उसके
खिलाफ उत्पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए मोदी सरकार ने कोई पहल नहीं
की ,नतीजा महिलाओं के उत्पीड़न करने वालों के हौसले बुलंद हुए ,प्रक्रिया
में शिकायत ,फिर समझाइश फिर एफ आई आर में लम्बा वक़्त गुज़रने के बाद ,,अन्य
अभियुक्तों को अभयदान देकर अनुसंधान अधिकारी सिर्फ पति को ,फॉर्मल तरीके से
बिना प्रताड़ित महिला परिवादी को सुचना दिए चोर दरवाज़े से पति को रूबरू
अदालत करने लगे और पति को बिना किसी लोकअप ,,बिना किसी रिमांड के ज़मानत
मिलने लगी ,इस प्रक्रिया से देश की सभी प्रताड़ित महिलाये उत्पीड़ित होने से
दुखी थी ,वोह एक जटिल प्रक्रिया हो जाने से ,आई पी सी की धरा 498 ऐ में
विधायिका द्वारा संशोधन किये बगैर ही ,इंसाफ के लिए भटकने लगी थी ,महिला
थाने के अनुसंधान अधिकारी के हाथो लॉटरी थी ,और दहेज़ उत्पीड़ित करने वाले
अपराधियों की चांदी हो गयी थी ,,,अनुसूचित प्रताड़ना मामले में सुप्रीम
कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने आनन फानन में सुप्रीमकोर्ट के आदेश
पर रोक लगाने के लिए क़ानून में फिर संशोधन कर देश को उद्धेलित किया ,लेकिन
महिलाओं के सम्मान की बात करने वाले लोग ,,पत्नी को बिना किसी युक्तियुक्त
कारण के उत्पीड़ित करने वाले लोगों से उत्पीड़ित महिलाओं को इस सरकार के
नुमाइंदो ,केंद्र में बैठे प्रधानमंत्री ने कोई संशोधन नहीं किया ,कोई पहल
नहीं की ,महिलाये उत्पीड़ित होती रही ,वोह इंसाफ के लिए भटकती रही ,ऐसे
सरकार की मूकदर्शकता देख कर ,,सोशल फोरम फॉर मानवाधिकार वगेरा संस्था ,ऐसी
उत्पीड़ित महिलाओं के फरिश्ता बनकर आयी ,,उक्त संस्था ने केंद्र सरकार को
पक्षकार बनाकर एक याचिका पेश की ,जिसमे गंभीर सुनवाई के बाद जस्टिस दीपक
मिश्रा ,,ऐ एम खाविलकर ,,डॉक्टर डी वाई चंद्रचूड़ ,,तीन जजों की बेंच ने
सुनवाई के बाद राजेश शर्मा वाले मामले में दिए गए निर्देशों को संशोधित
किया है ,,ट्रिपल जजों ने एक स्वर में कहा ,,पॉलिसी वगेरा निर्वाचित
जनप्रितिनिधि बनाने का अधिकार रखते है ,कोर्ट ऐसी व्यवस्थाओ ,नियमों को बदल
नहीं सकती ,,कोर्ट ने साफ पूर्व दृष्टांतों को भी इस मामले में
स्वीकारोक्ति देते हुए ,उत्पीड़ित परिवादियाँ द्वारा प्रस्तुत शिकायत पर एफ
आई आर तत्काल दर्ज करने ,के निर्देश देते हुए ,,अनुशासित ,अनुभवी ,विशेष
प्रशिक्षित अनुसंधान अधिकारी से ऐसी शिकायतों की अर्नेश कुमार ,,जोगिंदर
सिंह वाले मामले में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुरूप जांच करने के निर्देश
का संशोधन किया है ,,कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ,,एफ आई आर को
लेकर किसी भी विरोधाभास मामले में कहा है ऐसे मामले में अभियुक्त वर्ग के
समक्ष हाईकोर्ट के समक्ष 482 सी आर पी सी के तहत कार्यवाही करने ,,अग्रिम
ज़मानत के रास्ते खुले है ,,उक्त फैसले के बाद भारत की लाखों उत्पीड़ित
महिलाओं को इंसाफ मिल सकेगा ,,वर्तमान में कोटा में ही कई महिलाये उत्पीड़ित
है , जिनकी शिकायते महिला थाने में परिवार समझाइश स्थाई अदालत समिति में
हाज़री देने फिर पति से दहेज़ का सामान प्राप्त करने ,एफ आई आर दर्ज करवाने
के मामले में प्रतीक्षा में है ,देश भर की महिलाओं को उक्त रिपोर्टेब्ल
फैसले से राहत मिलेगी ,,न्यायालय ने इस मामले में देश के सभी राज्यों के
पुलिस महानिदेशकों को ,आदेश की प्रति भेजकर ,ललिता कुमारी ,,जोगिंदर सिंह
,अर्नेश कुमार मामले में पूर्व में दिए गए प्रतिपादित सिद्धांतों के तहत
,अधिकारीयों को प्रशिक्षित कर ,,ऐसे मामलों में अनुसंधान करवाने के भी
निर्देश दिए है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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