आपका-अख्तर खान

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09 सितंबर 2018

इतने बेक़रार क्यूँ हैं

*इतने बेताब, इतने बेक़रार क्यूँ हैं.*
*लोग जरूरत से ज्यादा, होशियार क्यूँ हैं* ..
*मुंह पे तो सभी, दोस्त हैं लेकिन,*
*पीठ पीछे दुश्मन, हज़ार क्यूँ हैं ..*
*हर चेहरे पर इक, मुखौटा है यारो*
*लोग ज़हर में डूबे, किरदार क्यूँ हैं .*.
*सब काट रहे हैं, यहां इक दूजे को*,
*लोग सभी दो धारी, तलवार क्यूँ हैं .*
*सब को सबकी, हर खबर चाहिए*,
*लोग चलते फिरते, अखबार क्यूँ हैं !!*

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