दोस्तों देश की आज़ादी के लिए कई दीवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी ,सर
कटाये ,,सर काटे ,बहादुरी दिखाई ,,लेकिन आज भी आज़ादी के जांबाज़ सिपाहियों
को इतिहास लेखकों ,,अख़बार नवीसो ,,मिडिया जर्नलिस्टों ,मुक़ामी सियासी लोगो
की मौजमस्ती ,फीलगुड फेक्टर उपेक्षा के चलते,,,, वोह लोग,, जिनकी शहादत
सबसे बुलंद ,सबसे जुदा थी ,,उनकी क़ुर्बानियों ,,,आज़ादी की जंग में ,,उनकी
ऐतिहासिक आहुति को वोह मुक़ाम नहीं मिल पा रहा है ,,,,में आखरी बादशाह
,बहादुर शाह ज़फ़र की आज़ादी की जंग में ,,जांबाज़ लड़ाई की बात नहीं कर रहा
,में बहादुर शाह ज़फ़र को अंग्रेज़ो द्वारा नाश्ते में ख्वान सजा कर उनके
पुत्रों के सर लेजाकर सदमा देने की बात नहीं कर रहा ,,में कोटा का हूँ
सिर्फ कोटा की बात कर रहा हूँ ,,मुझे गर्व है कोटा के स्वतंत्रता सेनानी
,,लाला जयदयाल ,,हर दयाल ,,महराब खान ,सोहराब खान की क़ुरबानी पर ,जिन्होंने
,आज़ादी के आंदोलन में देश में सर्वश्रेष्ठ बहादुरी का इतिहास रचा ,,लेकिन
उनकी यह शहादत ,उनकी बहादुरी के यह क़िस्से ,इतिहासकारों के मटमैले इरादों
ने मिटटी में मिला दिए है ,,आज देश की आज़ादी के लिए जिन्हे हम गर्व से याद
करते है ,,उनसे भी ज़्यादा गर्व मुझे कोटा के इन आज़ादी के शहीद जांबाज़
सिपाहियों की शहादत पर इनकी बहादुरी पर है ,,मेने सोशल मिडिया पर
स्वतंत्रता दिवस के एक हफ्ते पहले ,,अख़बार से जुड़े लोगो ,,सियासत से जुड़े
लोगो ,टीवी खबरों से जुड़े लोगों ,,समाजसेवी संस्थाओं ,कोटा से प्यार करने
वाले लोगो के ज़मीर को जगाने की कोशिश की थी ,,लेकिन अफ़सोस में नाकामयाब रहा
,,कोटा के गौरव ,,कोटा के इतिहास को हिंदुस्तान की आज़ादी की जंग में
सर्वोच्च दर्जा दिलाने वाले ,कोटा के जांबाज़ सिपाहियों लाला जयदयाल ,,महराब
खान के लिए ,एक अल्फ़ाज़ भी किसी अख़बार वाले ने नहीं लिखा ,किसी समाजसेवक ने
उनकी गाथा नहीं सुनाई ,इस शहादत को किसी ने सलाम नहीं किया ,क्योंकि इनकी
शहादत के साथ विज्ञापन देने वाला कोई नहीं ,रंगीन मैगज़ीन छपवाने का खर्च
देने वाला कोई नहीं ,कार्यक्रम का आयोजक कोई नहीं ,लेखक को किताब का खर्चा
देने वाला कोई नहीं ,,टीवी विज्ञापन देने वाला कोई नहीं ,खेर सच चाहे दफ़न
कर दिया जाए ,लेकिन यह सच बोलता ज़रूर है ,आज नहीं तो कल एक दिन बाहर आएगा
,देश के जितने भी आज़ादी के दीवानों की बहादुरी के क़िस्से है ,उनमे सबसे
बुलंदियों पर कोटा के इन जाबाज़ दीवानो लाला जयदयाल ,,महराब खान ,उनके भाई
,परिजन ,सिपाहियों के क़िस्से होंगे ,,सभी जानते है ,,कोटा में भवन
रेसीडेंसी हॉउस में रहने वाले अँगरेज़ गवर्नर ,,उनके पुत्र द्वारा जब कोटा
की जनता पर ज़ुल्म की हदे पार कर दीं ,,बच्चों ,,महिलाओं पर अंग्रेजी फौज
,इन लाट्साहब के ज़ुल्म आसमान पर थे ,तब लाला जयदयाल ,महराब खान ने आज़ादी की
जंग की शुरुआत की ,,कोटा को आज़ाद कराया ,अँगरेज़ ज़ालिमों को उनके रेसीडेंसी
हाउस में घुस कर मारा ,जिस बेरहमी से वोह भारतियों का क़त्ल कर रहे ,थे
उन्हें देश भर के ज़ालिम अंग्रेज़ों को सबक़ सिखाने के लिए उन्ही की जुबांन
में जवाब दिया ,,कोटा को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद कराकर ,यहाँ आज़ादी के
जश्न मनाने का यह पहला क़िस्सा था ,,,बाद में अंग्रेज़ों ने अपने मुखबिरों से
मिलकर ,,देश के गद्दारों से मिलकर ,फिर से आज़ाद कोटा को गुलाम बनाया
,,फिर लाला जयदयाल ,को महराब खान को ,,बेरहमी से सार्वजनिक रूप से ,आज़ादी
के दीवानो को हतोत्साहित करने के लिए फांसी पर लटकाया गया ,,दोस्तों बताओ
आज़ादी की यह जंग क्या अख़बार की सुर्खियां नहीं बनना चाहिए ,आज़ादी के
दीवानों के इस जज़्बे को ,कोटा ,हाड़ोती के इस गौरव को ,क्या स्कूली किताबों
में ,आज़ादी के इतिहास में नहीं पढ़ाया जाना चाहिए ,ऐसे जांबाज़ सिपाहियों को
आज़ादी के सरकारी जश्न में उनके क़िस्से लोगो तक पहुंचाकर उन्हें
श्रद्धांजलि नहीं देना चाहिए ,,लेकिन यह सब ,कलमकारों ने कोटा के इस गौरव
को विश्व स्तर पर ,राष्ट्रिय स्तर पर उजागर करने में कोताही बरती है
,लगातार कोताही बरत रहे है ,लेकिन इन शहीदों की चिताओं पर भी देखलेना एक
दिन मेले ,,लगेंगे ,इन शहीदों की बहादुरी ,इनकी शहादत के क़िस्से देख लेना
आम होंगे ,,लोगो की ज़ुबान पर इनके तराने होंगे ,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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