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29 अगस्त 2018

दोस्तों ,भक्तो ,,अंधभक्तो ,,राष्ट्रभक्तो ,ओरिजनल राष्ट्रभक्तो

दोस्तों ,भक्तो ,,अंधभक्तो ,,राष्ट्रभक्तो ,ओरिजनल राष्ट्रभक्तो ,,आज अगर आप हम मिलकर ,,सियासी फायदे छोड़कर राष्ट्रहित में एक जुट नहीं हुए तो इस देश के कुछ लोग एक बार फिर संविधान को कुचलकर ,,मनमाने तोर पर आपातकाल जो अघोषित सी है लगाने में कामयाब हो जाएंगे फिर हम कभी देश में लोकतंत्र की हत्या के लिए अपने आप को माफ़ नहीं कर सकेंगे ,,,,वर्तमान हालातों में उद्योगपतियों द्वारा ,अख़बार ,न्यूज़ चैनल के शेयर खरीद कर ,उनमे कार्यरत पत्रकारों को फीलगुड कराकर एकतरफा तोर पर गंदगी सिर्फ गंदगी दिखाई जा रही है ,देश के असल हालात जो ,रोज़ी ,रोटी ,रोज़गार ,,सद्भाव ,,लोकतंत्र के संरक्षण ,महंगाई ,विकास ,,आवश्यक वस्तुओं के मूल्य वृद्धि ,,रेलवे ,टेलीफोन सेवाओं में दोष ,लूटपाट ,बिजली लूटपाट ,आवश्यक सुविधाओं में नाकामयाबी ,इलाज ,शिक्षा सहित सभी सुविधाओं ,ज़रूरतों में नाकामयाबी को छुपाने के लिए ,,सो कोल्ड मुद्दे उछाले जा रहे है ,लेकिन ऐसे वक़्त में अन्ना हज़ारे को चुप कर दिया गया है ,,बाबा रामदेव को मंत्री दर्जा देकर खरीद लिया गया है ,,जो बाबा सच बोल सकते है उन्हें खामोश कर दिया गया है ,,चैनल पर रोज़ नफरत की बकवास ,,,अफवाहें ,झूंठ ,,फरेब ,,सरकार के वक्ता के रूप में खुली दलाली ,,लोग देख रहे है जो सच बोल रहा है वोह प्रताड़ित हो रहा है ,जो सच लिख रहा है उसे सबक़ सिखाया जा रहा है ,,सच दिखाने वाले चैनल बंद करने की साजिशौं के शिकार है ,सच लिखने वाले पत्रकारों की सरे राह हत्याएं की जाकर ,,महिमामंडन हो रहा है ,,नफरत के इस बाज़ार में ,,मिडिया के कुछ लोग हिस्सेदार बने है ,,राफेल डील पर सच की आवाज़ बनने को कोई तैयार नहीं ,देश की आम जनता के टेक्स की कमाई से खरीदे जाने वाले हवाई जहाज़ों की सौदेबाज़ी का सच हमारे देश के नागरिकों को जांनने का हक़ भी नहीं दिया गया है ,जजों की नियुक्ति के हक़ को किस तरह से प्रताड़ित किया गया है जस्टिस जोसेफ जिन्होंने उत्तरराखंड राष्ट्रपति शासन खारिज किया था ,उस मामले के बाद उन्हें सबक़ सिखाने की कोशिशे सभी ने देखीं है ,,,उत्तरराखंड में क्या हुआ ,गोवा में क्या हुआ ,मिजोरम ,,मणिपुर सभी के सामने है ,,दलितों पर अत्याचार ,सड़कों पर पिटाई ,,,सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपनी आवाज़ ,अपना दर्द कहने के लिए सड़को पर पत्रकारों के समक्ष उतरना पढ़ा ,,अब तो हद हो गयी कल जो नफरत के खिलाफ ,,हिंसा के खिलाफ गिरफ्तारियां हुई ,उस मामले में तो मीडिया की खबरों और पुलिस की खबरों का विरोधाभास आज सुप्रीमकोर्ट ने तार तार कर दिया ,,,लोकतंत्र में जिस तरह से दिल्ली सरकार की आज़ादी को गुलाम बनाकर बेबस करने के जो हमले किये है वोह देश के सामने है ,उत्तराखंड राष्ट्रपति शासन मामले में हायकोर्ट की फटकार फिर थूक कर चाटना लोकतंत्र की बहाली सभी ने देखी है ,कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए किस तरह से लोकतंत्र में बहुमत को सुप्रीमकोर्ट का सहारा लेना पढ़ा देश ने देखा है ,अब आज सुप्रीमकोर्ट ने जो कुछ कहा ,जो कुछ किया वोह क़ानून ,,संविधान की मर्यादाओं में रहकर ,महाराष्ट्र पुलिस के सुबूतों और मिडिया की खबरों ,प्रवक्ताओं की बकवास से अलग है ,खेर आगे क्या होगा देखा जाएगा ,,लेकिन वर्तमान हालातो में जब जो अख़बार ,जो न्यूज़ चैनल सच के साथ है उसका गला दबाने में कामयाबी और फेंकू ,भांड ,बिकाऊ चैनलों की बकवास को आम करने में कामयाब होने के बाद जब जनता गुमराह हो रही है और ऐसे वक़्त में कुछ एक अपवादों को छोड़कर जब सोशल मिडिया ,निष्प्रभावी होकर जनता को सच दिखाने की कोशिश में है तब ,,सरकार सोशल मीडिया की यह आज़ादी भी छीनने के लिए काले क़ानून बनाने की अंतिम कोशिशों में है ,जबकि इसके दुरूपयोग को नियंत्रित करने के लिए पूर्व में ही पर्याप्त क़ानून बने ,है , फिर भी सोशल मीडिया आम आदमी की आवाज़ घोटने की साज़िशे तेज़ कर दी गयी है ,,सभी जानते है भाजपा शासित राज्यों में अधिकारियो के खिलाफ खबर छापने पर भी सज़ा का प्रावधान रखा गया था ,अधिकारियो द्वारा की गयी मनमानी पर उनके खिलाफ सरकार की अनुमति के बगैर किसी भी अदालत या एजेंसी द्वारा कोई कार्यवाही का हक़ छीन लिया गया था ,जो विरोध और हाईकोर्ट के आदेश के बाद हटाया गया है ,,लोकतंत्र की लगातार हत्या ,,सच दबाने की साज़िशे ,,मिडिया ,उद्योपतियों और सरकार में बैठे हुए लोगो के गठबंधन का यह खेल अब देश के क़ानूनविदों की सोच से भी बाहर है ,,अगर वर्तमान हालातों में हज़ारो रूपये प्रतिमाह लोकतंत्र सेनानी के नाम की पेंशन लेने वाले लोग भी लोकतंत्र की हत्या के इन हालातो में खामोश रहे तो फिर उन्हें क्या कहिये ,,,,किसी भी अपराध मामले में दोषी लोगों की गिरफ्तारी ,उन्हें दंडित करने ,उनके खिलाफ सुबूत एकत्रित करने में कभी किसी को आपत्ति नहीं हो सकती ,,,पूरा देश ऐसे साज़िश कर्ताओं के खिलाफ है लेकिन जल्दबाज़ी में किसी भी तरह के ऐसे क़दम का विरोध तो होता है ,,देखते है अब देश के वर्तमान हालातो में महाराष्ट्र पुलिस अपने सबूतों के साथ स्टेटस रिपोर्ट किस तरह से पेश करती है और सुप्रीमकोर्ट अपने आदेश निर्देशों में देश को क्या दिशा देता है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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