बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के चुनाव विचाराधीन विवाद की इलेक्शन ट्रिब्यूनल
में सुनवाई और शिकायतों के त्वरित निस्तारण को लेकर एक निर्वाचित बार
कौंसिलर के वीडियो वायरल के बाद ,याचिकाकर्ताओं ने ट्रिब्यूनल में उक्त
वाइरल वीडियों भेजकर कथित रूप से ट्रिब्यूनल के निर्णय पारित नहीं होने के
पूर्व ही ,निर्णय पारित किये जाने के लीकेज करने के तथ्य की जांच की मांग
की है ,,विदित रहे राजस्थान बार कौंसिल के चुनाव में याचिका कर्ताओं ,विजय
सिंह पुनिया ,प्रशांत चतुर्वेदी ,रामावतार खंडेलवाल सहित पांच
प्रत्याक्षियों ने बार कौंसिल इलेक्शन ट्रिब्यूनल के समक्ष ,चुनाव
प्रक्रिया दूषित होने के आरोप लगाकर चुनाव रद्द कर दुबारा चुनाव करवाने के
मामले में याचिका पेश की थी ,जिसमे याचिकाकर्ताओ के मुताबिक़ ट्रिब्यूनल ने
दिल्ली बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया में लम्बी बहस सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित
रखना कथन किया ,था जो संदेश वाट्सअप पर आने के बाद एक निर्वाचित सदस्य ने
इसे गंभीरता से लिया और विस्तृत वीडियो बनाकर कथित रूप से वायरल किया ,उक्त
वीडियो में कथित रूप से निर्वाचित सदस्य की तरफ से दावा किया गया है के
जिन प्रत्याक्षियों की ज़मानत ज़ब्त हुई है वोह ऐसा दुष्प्रचार कर रहे है
,जबकि ट्रिब्यूनल में कोई याचिका विचाराधीन नहीं है ,याचिकाओं को
ट्रिब्यूनल ने बिना नोटिस जारी किए निस्तारित कर दिया है ,उक्त वीडियो
वायरल की सच्चाई कितनी है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा ,लेकिन इस वीडियो
में ट्रिब्यूनल द्वारा निर्णय पारित करने के दावे के बाद ,याचिका कर्ताओं
के प्रतिनिधि ने आज बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया के कार्यालय में जाकर ज़रिये
सचिव बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया को सम्बोधित एक शिकायत पेश कर ,,जानकारी चाही
तो वहां शाम तीन बजे तक किसी भी प्रकार के निर्णय होने को लेकर इंकार किया
गया ,इस पर याचिकाकर्ता रामवतार खण्डेलवाल ,,प्रशांत चतुर्वेदी की तरफ से
उनके प्रतिनिधि एडवोकेट श्री जे के अग्रवाल ने ,,याचिकाओं के निस्तारण हो
जाने की सुचना देने वाले वीडियो सहित एक शिकायत लिखित में दी है ,उक्त
शिकायत में कहा गया है ,के जब ट्रिब्यूनल ने याचिकाओं पर अभी तक कोई निर्णय
पारित ही नहीं किया ,तो कथित रूप से याचिकाओं के निस्तारित होने के निर्णय
की दावेदारी जताकर इस तरह के जारी वीडियों की जांच करवा कर कार्यवाही की
जाए ,,बार कौंसिल इलेक्शन ट्रिब्यूनल के निर्णय ,और याचिकाकर्ताओं के
दावेदारी के बाद अब असमंजस की स्थिति तो बनी ही है लेकिन अनावश्यक विवाद भी
खड़ा हो गया है ,,, सामान्य तोर पर चुनाव एक लोकतांत्रिक पक्रिया है ,हार
जीत के ,बाद ,शिकवे शिकायत के लिए बनाये गए ट्रिब्यूनल में शिकायत ऐसी
शिकायतों की सुनवाई ,उनका नियमानुसार निस्तारण सामने प्रक्रिया है ,इसमें
शिकायतकर्ताओं के लोकतांत्रिक अधिकार के खिलाफ गुस्सा ज़ाहिर करना असामान्य
प्रक्रिया है ,,जो जीता वोह सिकंदर ,ट्रिब्यूनल का फैसला किसके हक़ में ,आया
,,याचिकाएं बिना एडमीशन के निस्तारित हो गयी ,या फिर सुनवाई के बाद निर्णय
सुरक्षित है और निर्णय निकट भविष्य में आएगा ,अलग अलग दावेदारी के बाद ,और
बार कौंसिल ऑफ़ इण्डिया के सचिव को शिकायत करने के बाद सच क्या है ,शीघ्र
ही सामने आ जाएगा ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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