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17 जुलाई 2018

जहन्नम है जिसके सात दरवाजे़ होगे

ख़ुदा ने फरमाया कि यही राह सीधी है कि मुझ तक (पहुँचती) है (41)
जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा) (42)
और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आखि़री) वायदा बस जहन्नम है जिसके सात दरवाजे़ होगे (43)
हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं (44)
और परहेज़गार तो बेहष्त के बाग़ों और चाश्मों मे यक़ीनन होंगे (45) (दाखि़ले के वक़्त फरिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो (46)
और (दुनिया की तकलीफों से) जो कुछ उनके दिल में रंज था उसको भी हम निकाल देगें और ये बाहम एक दूसरे के आमने सामने तख़्तों पर इस तरह बैठे होगें जैसे भाई भाई (47)
उनको बहिश्त में तकलीफ छुएगी भी तो नहीं और न कभी उसमें से निकाले जाएँगें (48)
(ऐ रसूल) मेरे बन्दों को आगाह करो कि बेशक मै बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान हूँ (49)
मगर साथ ही इसके (ये भी याद रहे कि) बेशक मेरा अज़ाब भी बड़ा दर्दनाक अज़ाब है (50)

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