अल्लाह का शुक्र है उड़ीसा के एक ज़िले में क़ाज़ी ,मुफ़्ती ,मौलाना ,आलिमो ने
सियासी महिमामण्डन रोज़े इफ्तार पार्टियों में जाने से साफ़ इंकार कर दिया है
और इसीलिए वहां इस साल महिमामंडन वाली सियासी हकीमों को माला ,शाल पहनाने
वाली इफ्तार पार्टियां हुइ तो सही ,लेकिन वहां मुस्लिम भीड़ नदारद मिली
,,स्थिति यह है के अब देश भर के आलिमो पर यह दबाव बनने लगा है के सियासी
हाकिमों के महिमामंडन की इफ्तार पार्टियों में ,,क़ाज़ी ,,मुफ़्ती ,,मौलवी
मौलानाओं का जाकर नेताओं के इन्तिज़ार करने वाले मज़हबी लोगो की मुखालिफत
शुरू हो गयी है ,असम के गोहाटी के पास एक कस्बे में आयोजित इफ्तार पार्टी
में जब एक सियासी हाकिम जिसे आयोजक ,,रोज़ेदारो ,,ज़िम्मेदारों ,मौलवी
,,मुल्लाओं से ज़्यादा तरजीह देने के लिए इफ्तार वक़्त के एक मिनट पहले
इन्तिज़ार कर रहे थे तब रोज़ेदारो ने हंगामा किया ,माफ़ी मांगी और पास ही
मस्जिद में जाकर इफ्तार किया ,,उन्होंने क़सम खाई है के जो भी क़ाज़ी ,मुफ़्ती
,मौलवी ,मौलाना ,ऐसे ,,रसुखःदार ,मालदार ,सियासी आकाओं के इफ्तार पार्टियों
में जाकर इस्लाम के मसाइलो से हटकर कॉम के रोज़ेदारों को ज़लील करवाएंगे
,,ऐसे किसी भी आलिम के पीछे वोह नमाज नहीं पढ़ेंगे ,,उनका कहना है ,रसूखदार
,,मालदार शख्स जो आयोजक होता है ,उसका सारा केन्द्रीकरण सिर्फ उनके सियासी
आक़ा और उनके चमचो पर होता है ,आलिमों ,,रोज़ेदारो के अहतमाम ,उनके इन्तिज़ार
,उनके सम्मान से उनका कोई उनका कोई वास्ता नहीं होता ,इफ्तार में गड़बड़ियां
,,इफ्तार की दुआ ,मसले ,मसइकलों को बीच में रोककर ,बेहयाई के साथ सियासी
माल्यार्पण ,सम्मान समारोह होते है ,सियासी भाषण बाज़ी होती है ,यहां तक के
इफ्तार पार्टियों में रोज़े के कुछ वक़्त ,पहले ,,इफ्तारी सहित ,,दूसरे पेय
पदार्थ कुछ आगंतुक पीते खाते भी नज़र आते है ,,अफ़सोस जब होता है जब नमाज़ की
भगदड़ हो या अज़ान की गूंज हो ,बेहुरमती का आलम ,मज़हबी गुरुओ की उपस्थित में
यह सब होता देख वोह चुप रहते है ,,इसीलिए उड़ीसा में ,आलिमो की इस पहल को
सभी ने सराहा है और देश भर में अब क़ाज़ी ,मुफ़्ती ,आलिमो पर दबाव बढ़ने लगा है
के वोह ऐसे बेहूदा ,बेहयाई वाले सियासी इफ्तार पार्टियों को प्रोत्साहित न
करे ,सियासी इफ्तार पार्टियों को सियासी महिमामंडन बनाने से नहीं रोक
सकते तो ऐसी पार्टियों का बहिष्कार करे ,क्योंकि कई बार आयोजक ,सियासी
हाकिमो की जी हुज़ूरी में अज़ान के बाद भी लगे रहते है और वोह नमाज़ तक नहीं
पढ़ते है ,,ऐसे में अब आवाज़ उठने लगी है ,,ऐसे सियासी इफ्तार कार्यकम जहाँ
आलिमों ,रोज़ेदारो से ज़्यादा तरजीह ,,सियासी वी आई पी लोगो को दी जाए तो ऐसी
इफ्तार पार्टियों में जो भी मौलवी ,मौलाना ,क़ाज़ी ,मुफ़्ती जाएगा और इस
बुराई का खुलेआम विरोधः कर आयोजक को नहीं टोकेगा तो ऐसी इफ्तार पार्टियों
का बहिष्कार तो होगा ही सही लेकिन ऐसे सियासी इफ्तार कार्यक्रमों में यह सब
गैर इस्लामिक कार्यक्रम देखने के बावजूद ,खामोश रहने वाले उस महिमामंडन
इफ्तार कार्यक्रम में शामिल होकर उस बुराई को बढ़ावा देने वाले आलीम ,क़ाज़ी
,,मुफ्तियों ,,मौलाना ,मोवलियों का भी बहिष्कार होगा ,,उनके पीछे नमाज़ नहीं
पढ़ने का संकल्प लिया जाकर जिलेवार ऐसी व्यवस्थाएं की जाएंगी ,दिल्ली में
कल हाजी मक़दूम अली की सरपरस्ती में एक बैठक आयोजित कर विभिन राज्यों से आये
लोगो ने भी इस तरह आलिमो की उपस्थिति में सियासी महिमामंडन और रोज़े के
एहतेमाम की बेहुरमती पर गंभीर चर्चा की ,,उनका कहना है ,बिना सियासी भाषण
,बिना माइक भाषण बाज़ी ,,नेताओ की मालाबाज़ी न हो ,,,सिर्फ रोज़े की तफ्सील
अगर हो तो ऐसे इफ्तार कार्यक्रमों में ऐतराज़ नहीं है फिर ऐसे इफ्तार
कार्यक्रम में कोई भी हलाल की कमाई वाला आयोजक हो ,कोई भी शामिल हो कोई
ऐतराज़ नहीं है ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,
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