मुझे नफरत है ,ऐसे अच्छे दिनों से ,,,जिन दिनों के सपने दिखाकर ,,महिलाओं
,,बेटियों ,मासूम बच्चियों की अस्मत लूटी जाती हो ,,उनकी हत्याएं की जाती
हो ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जिन अच्छे दिनों के सब्ज़ बाग़ झूंठ
फरेब के बलबूते पर दिखाकर वोह दिन बुरे दिन से भी बुरे अच्छे दिन के नाम पर
लाये जाते हो ,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ बेरोज़गारों को रोज़गार
नहीं दिए जाते ,जहाँ बेरोज़गारों को रोज़गार के अवसर देने की जगह बढ़ी
बेशर्मी से ,,पकोड़े तलने की सलाह दी जाती है ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे
दिनों से जहाँ अच्छे दिनों का झांसा देकर दलितों के वोट लेकर नफरत भड़काई
जाती हो ,उन्हें सड़को पर दोढा दोढा कर पीट पीट कर अपमानित किया जाता हों
,उनकी हत्याएं होती हो ,गांय संरक्षण के नाम निहत्थों को बेशर्मी से सड़को
पर खुलेआम मारा जाता हो ,,मुझे नफरत है ऐसे दिनों से जहाँ रोज़गार खत्म
,जहाँ व्यापार खत्म ,,,उद्योग बंद ,,आम लोग असुरक्षित ,पेट्रोल ,,,डीज़ल
,टेक्स वृद्धि के नाम पर आम लोगो से लूट हो ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों
से ,,जहाँ देश के सर्वोच्च लोग अपनी पत्नी को बिना किसी युक्तियुक्त कारण
के ,बिना किसी विधिक तलाक़ के छोड़कर रखते हो ,,जिनका यह संदेश देश की
महिलाओं के लिए असुरक्षा का भाव ,,देश के आइकॉन के रूप में युवाओ के लिए
महिलाओं के लिए तिरस्कार का भाव जाग्रत करता हो ,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे
दिनों से जहाँ ,अण्णा हज़ारे जैसे लोग भ्रष्टाचार ,अत्याचार ,हिंसा के
मुद्दे पर चुप रहते हो ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ
,सुप्रीमकोर्ट द्वारा भी बार बार कहने पर लोकपाल नियुक्त नहीं किया जाता हो
,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ एक बाबा जो पंद्रह लाख खातों में
लाने का झांसा देता है ,पार्टी के नेताओं से जुमले और झांसे दिलवाकर तख्ता
पलटता हो और ,वोह बाबा जनता के सवालों के खौफ से सरकारी खर्च बढ़ाने के लिए
मंत्री दर्र्जा ,जेड सुरक्षा प्राप्त कर मज़े से अपना व्यापार करता हो
,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ प्रधानमंत्री एरोप्लेन मोड़ पर हो
,जहाँ रोज़ छात्रों के पेपर आऊट हो रहे हो ,,नौकरियों के पेपर हो ,चाहे जो
भी हो हायकोर्ट ,सुप्रीमकोर्ट के झमेले में फंसे हों ,,मुझे नफरत है ऐसे
अच्छे दिनों से जहाँ देश के बढे न्यायधीश जो जनता को इंसाफ देने के लिए
तैनात किये गए हो ,वही जज देश की जनता से ,जनता के बीच आकर सुप्रीमकोर्ट
में पारदर्शिता ,,ईमानदारी सुनवाई के लिए गुहार लगाते हो ,,,,मुझे नफरत है
ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ लोकसभा नहीं चलाई जाती हो ,जहाँ अल्पमत में होने
पर भी सरकारें गलत तरीके से बनाई जाती हो ,,जहाँ विधिक रूप से प्रस्तुत
महाभियोग प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया जाता हो ,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से
,जहाँ अच्छे दिनों की जगह ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया को खरीद कर मुद्दे भटकाने
के लिए सिर्फ और सिर्फ नफरत ,,नफरत भड़काने की कोशिशें की जाती हो ,मुझे
नफरत है ,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहा बच्चे अस्पताल में ऑक्सीजन
के बगैर बेमौत मारे जाते हों ,,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ झूंठ
फरेब फैलाकर सरकारें बनती हो और चुनाव घोषणापत्र में दिए गए वायदे दस
फीसदी भी पुरे नहीं हो पाते हो ,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ
सेनिको की केंटीन खरीद सुविधा ,,सिपाही स्तर के कर्मचारियों की आनुपातिक
वेतन वृद्धि में कमी जाती हो ,,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से जहाँ
किसानो को रोज़ आत्महत्या करना पढ़ती हो ,जहाँ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के
हत्यारे को पूजने के लिए मंदिर बनाये जाते हो ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे
दिनों ,से ,,मुझे नफरत है ऐसे अच्छे दिनों से ,प्लीज़ मुझे मेरे वही पुराने
बुरे दिन ,,वही बुरे दिन लोटा दो ,वही बुरे दिन लोटा दो ,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
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