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03 मई 2018

राजस्थान में कर्नाटक की शिकायतों की तरह ही प्रमाणित चुनाव प्रभावित करने के लिए अपराध किये गए है

कर्नाटक बार कौंसिल चुनाव के दौरान ,,राजस्थान की तर्ज़ पर हुई गड़बड़ियों की गंभीर शिकायतों के बाद ,,निर्वाचन ट्रिब्यूनल द्वारा कर्नाटक बार कौंसिल के निर्वाचन रद्द कर ,,दुबारा चुनाव करने के आदेश से ,,राजस्थान में कुछ प्रत्याक्षियों में हड़कंप मचा हुआ है ,सभी जानते है राजस्थान में कर्नाटक की शिकायतों की तरह ही प्रमाणित चुनाव प्रभावित करने के लिए अपराध किये गए है ,जिसके पुख्ता सुबूत भी ट्रिब्यूनल के पास है ,बस इसीलिए अब अपने ऐसे ,वैसे प्रयासों से आगे पहुंचने वाले प्रत्याक्षियों को सपने चकनाचूर होते नज़र आ रहे है ,उन्हें जीती हुई बाज़ी जीत कर भी हार जाने वाली लग रही है ,,बस इसीलिए राजस्थान के ऐसे लोगो का फोकस ट्रिब्यूनल और कर्नाटक मामले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दिलवाने का रहा है ,,खेर नतीजा जो भी होगा ,,देखा जाएगा ,,,,हार ,जीत ,,दुबारा मतदान जो भी हो ,लेकिन मतदाता और प्रत्याक्षियों की जागृति इन्साफ की जंग का एक हिस्सा बन चुकी है ,,वर्तमान हालातों में राजस्थान बार कौंसिल के चुनाव नतीजों को अधिसूचित करने पर रोक लगी है ,इधर राजस्थान में प्रथम वरीयता वोट की गिनती पूरी होने के बाद जीते हुए प्रत्याक्षियों की भी साँसे अटकी हुई है ,,क्योंकि द्वितीय वरीयता गिनती के मामले में पूर्व गिनती का क्रॉस वेरिफिकेशन ,,फिर फूंक फूंक कर क़दम रखने के प्रयास शुरू हो जाने से दिग्गज मठाधीश असमंजस में पढ़ गए है ,,,कर्नाटक में निर्वाचन रद्द हुआ ,तो राजस्थान में भी कमोबेश यही कारण है ,यही ट्रिब्यूनल है इसलिए सामान्य तथ्यों पर फैसला भी एक जैसा ही होगा ,,सभी समझ गए है ,,लेकिन सुप्रीमकोर्ट में अगर मामला उलझा तो फिर सुप्रीमकोर्ट के आदेश अनुसार नतीजों का रुखः होगा ,,राजस्थान के बार कौंसिल चुनाव में क्या हुआ ,,सभी प्रत्याक्षी जानते है ,अलग अलग ज़िलों में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की तरह भांजी मारने वाले लोग बेचैन होने लगे है वोह जानते है काठ की हांडी एक बार तो चढ़ गयी ,,अगर दुबारा चुनाव हुए तो स्थिति उलट होगी ,,राजस्थान बार कौंसिल निर्वाचन मामले में नियम बने है ,,सभी सदस्यों ,वोटर्स ने चुनाव और चुनाव के तरीके देखे है ,लेकिन सभी सदस्यों ने राजस्थान बार कौंसिल निर्वाचन नियम 1968 पढ़ने की ज़हमत गवारा नहीं की है ,मेरी इल्तिजा है इस नियम को ज़रूर पढ़े ,,,,नियम की धारा दो आई ,,के ,,एल ,,पी में वोटों की गिनती ,एक्ज़ॉस्ट वोट ,प्रिफरेंस वोट का परिभाषित तरीक़ा बताया है ,,नियम बाईस में प्रोसीजर वोट है जिसमे वोट किस तरह से लिखकर दिया जाएगा ,अंकित ,है इस प्रोसीजर के खिलाफ इन्वर्टेड कोमा के बीच अंग्रेजी का 1 लिखकर वोट देना था इसके अलावा दूसरे वोट निरस्त होंगे ,लेकिन इस नियम का उलंग्घन कर विधिक प्रक्रिया के विपरीत ज़ीरो एक या फिर दूसरे तरीके से वोट प्रिफरेंस पर गोला बना दने वाले वोटो को किसके प्रभाव में किस विधि नियम से वेलिड वोट मानकर हारने वालों को जिताने का प्रयास किया है यह तो विधि नियम पढ़कर वोटर खुद जान लेगा ,,नियम तेईस में मार्किंग बैलेट का खुलासा है जबकि नियम चौबीस में वेलिड और इनवेलिड वोट कोनसे होंगे उसे स्पष्ट किया गया है ,लेकिन फिर भी मनमाना फैसला क्यों हुआ इसे देखकर सभी हैरान है ,अठाईस में निर्वाचित लोगो की घोषणा है जबकि उन्तीस नियम में ट्रांसफर वोट यानी द्वितीय ,तृतीय वरीयता वोट कैसे गिना जाएगा उसका हवाला है ,पूर्व निर्वाचन नियम में बार कौंसिल कैसे द्वितीय ,तृतीय आगे की वरीयता गिनेगी इसके लिए एक प्रोसीजर ,एक टेबल बनाकर समझाया गया है ,,अभी तक इस प्रोसीजर का उल्न्न्घन होता रहा है ,वेलिड ,इनवेलिड में नियमों में अंकित प्रक्रिया को नज़र अंदाज़ किया गया है ,लेकिन अब स्थिति उलझ गयी है ,,निर्वाचन प्रक्रिया के पर्यवेक्षण में लगे लोग अब फूंक फूंक कर क़दम रखना चाहते है ,वोह खुद को बेदाग कैसे रखा जाए इस प्रक्रिया में जुट गए है ,ऐसे में वोटो को फिर खंगाला जा रहा है ,लेकिन वोटर ,वकील साथी खुद देखे ,एक बार सिर्फ एक बार ,,बार कौंसिल निर्वाचन नियमों को खुद पढ़े ,,जो लोग वोटो की गिनती में बैठे थे ,जो लोग चुनाव लड़े है ,जो लोग समर्थक रहे है ,कमसे कम वोह तो इसे पढ़े ,,देखे ,क्या अब तक जो हुआ सही हुआ ,इसका जवाब खुद निर्वाचन नियम पढ़ने के बाद हमारे साथियों को मिल जाएगा , लेकिन अभी साथियों की निगाहे राजस्थान बार कौंसिल के निर्वाचन प्रक्रिया को चुनौती देने वाले तीन दर्जन से भी अधिक याचिकाओं पर लगी है ,,इन याचिकाओं पर आगामी सुनवाई सात मई रखी गयी है ,,,,,,खास बात यह है के निर्वाचन नियम में किसी भी निर्वाचन में अनियमितता की शिकायत मामले में सम्पूर्ण अधिकार एक वोटर ,एक मतदाता को दिया गया है ,लेकिन डबल ग्रेजुएट ,,विद्वान् अधिवक्ता ,,,दुसरो को न्याय दिलाने वाले प्लीडर साथी एक वोटर के रूप में अपनी संस्था के निर्वाचन के लिए कितने जागरूक है यह देखने की बात है ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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