कोटा के औद्योगिक वातावरण में निराशाजनक वातावरण हो ,एक के बाद एक उद्योग
बंद हो रहे हो ,श्रीराम रेयन्स उद्योग बंद हो गया हो ,मशीने दो साल से बंद
पढ़ी हो ,,मज़दूर ,प्रबंधक हताशा और निराशा के दौर में हिम्मत हार चुके हो
ऐसे में कोई जांबाज़ कुशल प्रबंधक ,,आये ,,मशीनों की पूजन करे ,मज़दूर
,प्रबंधक ,,व्यवसायिक नातेदारों को हिम्मत और भरोसा दिखाए ,और बंद पढ़े
उद्योग की मशीने उत्पादन करने लगे ,,व्यापार फिर आसमान पर हो ,मज़दूर
,,स्टाफ ,प्रबंधको के चेहरे पर ख़ुशी हो ,,यह सब एक हौसला ,,एक जादुई
करिश्मा है ,,जो सच कर दिखाया है ,,श्रीराम रेयन्स उधोग समूह के वरिष्ठ उप
प्रबंधक विनोद कुमार जेठली ने ,,,,विनोद कुमार जेठली एक आत्मविश्वास के साथ
,,एक हुनरमंदी ,हिम्मत और अपने अनुभवी कौशल के साथ श्रीराम रेयन्स कोटा
उद्योग को पटरी पर ही नहीं लाये बल्कि सभी उद्योगों से बेहतर उत्पादन
,,बेहतर प्रबंधन ,,बेहतर व्यापारिक ,मज़दूर ,प्रबंधक संबंधो की मिसाल कर
इन्होने देश के सभी निराशावादी उद्योगपतियों ,,व्यापारियों ,,मज़दूर
,,प्रबंधको को एक नई दिशा दी है ,,,,विनोद कुमार जेठली से उनकी इस कामयाबी
के पीछे का सच खूब कुरेदकर जानने की कोशिश की ,लेकिन सिर्फ मुस्कुराये
,,टीम भाव ,,ईश्वर की कृपा को इस कामयाबी का इनाम बताया ,,लेकिन हमने उनकी
इस कामयाबी का राज़ आखिर तलाश ही लिया ,,वोह कहते है ,,*उद्यमः साहसं धैर्यं
बलं बुद्धि पराक्रमः।* *षडेते यस्य तिष्ठन्ति तस्य देवोऽपि शशंकितः।।*जिस
व्यक्ति में उद्यमिता, साहस, धैर्य, बल, बुद्धि एवं पराक्रम, ये छः गुण
होते हैं, उस से देवता भी शशंकित (भयभीत) रहते हैं।,बस यही शक्ति ,यही ताक़त
उनकी कामयाबी का राज़ ,,कुशल प्रबंधक के साथ विनोद जेठली ,धार्मिक
प्रवृत्ति के भी है ,,,उन्होंने देश के सभी धार्मिक तीर्थ स्थलों की यात्रा
कर स्वम पूजा भी की है और इसके अनुभव परस्पर एक दूसरे से बांटे भी है ,वोह
कहते है ,, चीटियां गढ़ती है ,,सफलता की इबारत ,,सफलता के लिए उनसे सीख
लेना ज़रूरी है ,,,,विनोद कुमार जेठली पिछले दिनों यशोदा बहन से मिले उनसे
उनके अनुभव आत्मसात किया ,उन्होने जाना के ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से
वोह नाराज़ नहीं है ,उनकी सद्भावनाएँ आज भी नरेंद्र मोदी के साथ है ,रिश्ता
चाहे न हो लेकिन उनका जुड़ाव है ,इस रिसर्च अनुभव को उन्होंने सांझा करने
का भी प्रयास किया ,,,,विनोद जेठली को अपने कर्मठ कार्यक्रमों ,गुणवत्ता
युक्त उत्पादन के चलते ,,एक्सीलेंस क्वालिटी एवार्ड ,,,प्लेटिनम एवार्ड
,,दीर्घ सेवा पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से उन्हें नवाज़ा गया है
,,,,वरिष्ठ प्रबंधक श्रीराम रेयन्स कोटा उद्योग के मुखिया ,,श्रीराम
विद्यालय के चेयरमेन ,बंसीधर स्कूल समिति के वाइस चेयरमेन ,,श्रीराम सोशल
डेवलपमेंट सोसाइटी के महासचिव ,,कोटा क्लब लिमिटेड के निदेशक कोटा डिविज़नल
एम्प्लोयी एसोसिएशन के अध्यक्ष ,,श्रीनाथ पुरम वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष
,,इंडियन सोसाइटी ट्रेनिंग डवलपमेंट के राष्ट्रिय सदस्य ,,हॉकी टीम आयोजन
समिति के सचिव ,,टॉयकॉर्ड जनरल कॉर्ड जनरल के सम्पादक ,,विश्व व्यापार
प्रंबंधन सहित कुशल प्रबंधन ,मज़दूर ,स्टाफ के साथ मिलकर उन्हें विश्वास में
लेकर बेहतर क्वालिटी युक्त उत्पादन के लिए उन्हें राजस्थान सरकार ,,केंद्र
सरकार ,उद्योग समूह प्रंबधन द्वारा बार बार सम्मानित किया गया है ,,,स्टाफ
से दोस्ताना व्यवहार ,लेकिन कार्यकुशलता जांचते समय कड़क प्रंबधन
,,गुणवत्ता से समझौता नहीं ,,श्रमिकों के कल्याण ,आमोद प्रमोद सहित उनके
मनोरजंन के लिए सकारात्मक माहौल देना ,श्रमिकों ,स्टाफ का दिल जीतना उनका
कुशल प्रबंधन हुनर है ,वोह वर्तमान हालातो में एक दूसरे से कम्पीटिशन की
रेस में एक दूसरे से आगे बढ़ने ,कमज़ोर रफ्तार वाले को पीछे छोड़कर ,तेज़
रफ्तार वाले की जीत के जश्न वाली बचपन में पढ़ाई जाने वाली ,खरगोश कछुए की
कहानी में बदलाव चाहकर मनोवैज्ञानिक तरीके से एक दूसरे के परस्पर साथ लेकर
आगे बढ़ने की कुंजी तलाशते ,है वोह कहते ,है ,,स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली
कहानी में खरगोश और कछुए की दौड़ में ,खरगोश ,ओवर कॉन्फिडेंस होकर सो जाता
है और कछुआ सोता नहीं चलता रहता है वोह जीत जाता है ,लेकिन वोह दुसरा पहलू
बयांन कर समझाते है वोह कहते है खरगोश फिर दौड़ में शामिल होता है और वोह
इस बार सोता नहीं दौड़ता रहता है और कछुआ बेचारा हार जाता है ,,वोह एक नया
फलसफा देते है वोह कहते है फिर कछुआ कहता है ,,के अब दौड़ में नदी भी पार
करना होगी ,खरगोश नदी में तैरने में पीछे रह जाता है ,,और इस बार फिर कछुआ
जीत जाता है ,,,आखिर में खरगोश कहता है के चलो इस बार मिलकर दौड़ते है ,और
खरगोश जब मैदानी इलाक़ा होता है तो कछुए को कंधे पर बिठाकर दौड़ता ,है ,जब
नदी का इलाक़ा होता है तो कछुआ खरगोश को पीठ पर बिठाकर नदी पार करता है
,नतीजा न किसी की जीत ,न किसी की हार ,,भाईचारा ,एक दूसरे की मदद ,,का
जज़्बा जाग्रत होता है ,कछुआ खरगोश दोनों जीतते है ,वोह इस बदली हुई नई
मनोवैज्ञानिक कहानी को ,,बच्चो की किताब में भी शामिल कर पढ़वाना चाहते है
,,ताकि मिलजुल कर एक दूसरे के साथ शामिल होकर ,,देश को आगे बढ़ाया जा सके
,,परस्पर सहयोग से खुद भी आगे बढे ,देश भी तरक़्क़ी करे ,का जज़्बा पैदा कर
सके ,,एक कामयाब शख्स के पीछे की कामयाब कहानी का यही सच है ,,ऐसे कामयाब
,,हसंमुख ,,मज़दूरों के हमदर्द ,,कुशल प्रंबंधक ,,हारी हुई बाज़ी को जीत में
बदल देने वाले साहसिक प्रबंधक विनोद जेठली साहिब को सलाम ,सेल्यूट
,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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