नापाक इरादों ,,नापाक हरकतों वाला पाकिस्तान ,,बहुत बुरा है ,,लेकिन वहां
की सुप्रीमकोर्ट बेबस लाचार नहीं ,,,वहां के सुप्रीमकोर्ट के जज ,,सरकारी
सिस्टम ,,मनमानी से बेबस लाचार लाचार होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इंसाफ़
की गुहार करते ,,वहां के सुप्रीम कोर्ट के जज , इतनी ताक़त रखते है के वोह
,,,,गलती होने पर एक प्रधानमंत्री होने पर भी उन्हें उनके पद से हठा भी
सकते है ,,और क़ुसूरवार साबित होने पर ,ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री को भविष्य
में किसी भी चुनाव में हिस्सा लेने ,,किसी सार्वजनिक पद ग्रहण
करने से भी रोक सकते है ,,एक हम है ,जहां हम प्रधानमंत्री के खिलाफ सुनवाई
के लिए पांच साल बने क़ानून के बाद ,, सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भी
,,लोकपाल नहीं बना पाए ,,है फ़र्क़ हमारी उनकी न्याय पद्धति ,न्यायिक
प्रक्रिया में ,इसीलिए कहते है बुरे लोगो की अगर एक भी अच्छाई है तो उसे
स्वीकार करना चाहिए ,हमारे देश में भ्रस्ट मंत्रियों ,प्रधानमंत्री या किसी
पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ,,उस देश जैसा क़ानून नहीं तो कमसे कम लोकपाल
,,मज़बूत लोकपाल जिसके दायरे में प्रधानमंत्री ,सुप्रीमकोर्ट के जज ,सभी
पदों पर बैठे लोग हो ,होना चाहिए ,,लेकिन यहां तो ,,लोकपाल के लिए अनशन की
नौटंकी कर सरकार बदल कर हथेली में सजाकर देने वाले ,अन्ना हज़्ज़ारे खुद
,,लोकपाल को लेकर चुप्पी साधे है ,चांदी की सिफारिश ने उनकी जुबां इस मामले
में हलक़ में अटका दी है ,,,,,अख्तर
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