क़ानून तोड़कर अपराधियों के मुक़दमे वापस लेने की अंग्रेजी संस्कृति को हमे
बदलना होगा ,,,,आज़ादी के आद्नोलन में गिरफ्तार हुए लोग जब पुलिस मुखबिर
बनते ,सरकारी गवाह हो जाते ,,या अंग्रेज़ो को आज़ादी के आन्दोलन के खिलाफ मदद
करते थे तो अंग्रेज़ ऐसे लोगो के मुक़दमे 321 सी आर पी सी के प्रावधान और
विशेषाधिकार के तहत वापस लेकर उन्हें गद्दार बनाते थे ,,आज देश में अपना
क़ानून है ,अपना संविधान है ,,इस क़ानून को तोड़ने वाले ,,इस क़ानून का
उलंग्घन कर देश में अराजकता ,,अशांति पैदा करने ,,वाले क़त्ल ,,गारत गिरी
,,भड़काऊ कार्यवाही करने वाले क़ानून के गद्दारो को सजा देने की जगह ,, अगर
सरकारें ,,इनके मुक़दमे वापस ले लेती ,,है ,,अपराधी जो क़ानून तोड़ते है
,,हिंसा फैलाते है ,,लोगो को उकसाकर ,,भड़काते है ,,वोह लोग अराजकता की वजह
से ,,सरकार में आते है और खुद के मुक़दमे खुद ही वापस ले लेते है ,,वोह लोग
राज्यपाल ,,,महामहिम ,,मंत्री ,प्रधानमंत्री बन जाते है ,,आखिर इस अराजकता
फैलाने वाले सिस्टम का अंत कब ,,होगा कब जो दोषी होगा उसे सजा मिलेगी ,कब
अगर किसी को राजनितिक षड्यंत्र के तहत गलत फंसाया तो अदालतें ऐसे लोगो को
बरी कर ,,इस तरह के लोगो को झूंठा फंसाने वाले सिस्टम ,,पुलिस अधिकारीयों
को कटघरे में खड़ा कर उन्हें दंडित करेगा ,,सरकार नहीं है ,तो मुक़दमे हो गए
,,सरकार आ गयी तो मुक़दमे वापस ले लिए ,यह अपराध को बढ़ावा देने वाला सिस्टम
हमे रोकना होगा ,,में आडवाणी ,,,मुरलीमनोहर जोशी ,,योगी महाराज ,,समकित
पात्रा ओवेसी ,,कांग्रेस भाजपा से जुड़े नेताओ के मुक़दमे ,,डॉक्टर प्रवीण
तोगड़िया के खिलाफ मुक़दमे ,,इमाम बुखारी के खिलाफ मुक़दमे ,,कश्मीर में पत्थर
फेंक कर आंतकवाद भड़का रहे नो जवानो के मुक़दमे ,,कर्नाटक में साम्प्रदायिक
दंगो में उलझे हुए लोगो के मुक़दमे ,,जो भी हों उन्हें बिना सुनवाई के वापस
लेने के खिलाफ हूँ ,देश की अदालते भी इस क़ानून के खिलाफ है ,,अजीब क़ानून है
321 सी आर पी सी ,,सरकार आयी ,,कलेक्टर ,,एस पी से एक रिपोर्ट बनवाई
,,जनहित में मुक़दमे वापस लिया जाना उचित है ,एक पत्र सरकारी वकील ने अदालत
को दिया ,और अधिकतम अदालते सरकार के इस हुकम को इन्साफ का नाम देकर मुक़दमा
वापस ले लेती है ,,अजीब बात है ,,कुछ अदालते ऐसे प्रार्थना पत्रों को ख़ारिज
कर झटका भी देती है ,,,लेकिन अपील ,,निगरानी में वोह फिर जीत जाते है
,,कुछ मामलो में हाईकोर्ट ने ऐसे मुकदमे वापस लेने की कार्यवाही को गलत
,,ग़ैरक़ानूनी बताया है ,,यहां तक के ऐसे मुक़दमे वापस लेने की प्रक्रिया के
खिलाफ सुनवाई के लिए किसी भी आम आदमी का अधिकार बताया है ,,लेकिन हम में
हौसला नहीं ,,जागरूकता नहीं ,ऐसे लोगो के खिलाफ मुकंदमाँ वापसी का विरोध हम
अदालतों में नहीं करते ,,ज़ुबानी विरोध किया ,,सियासी फायदा उठाया बस खामोश
,,हमे जागरूक होना होगा ,ऐसे किसी भी मुक़दमे की वापसी के खिलाफ अदालतों
में दरख्वास्तें देना होंगी ,,आखिर एक सरकार ,एक पुलिस अधिकारी ,,एक
फरियादी ,,एक आम आदमी ,अराजकता ,,गुंडागर्दी ,,क़ानून तोड़ने के खिलाफ एक
मुक़दमा दर्ज कराता है ,पुलिस उस मुक़दमे को सही मनाकर अदालत में पेश करती है
,,अब फैसला अदालत पर होना चाहिए ,,मुक़दमा झूंठा है तो मुल्ज़िम बरी ,मुक़दमा
सही है तो मुल्ज़िम जेल में होना चाहिए ,,अगर मुल्ज़िम के खिलाफ सियासी
दुश्मनी ,,या फिर पुलिस अधिकारियो ,फरियादी द्वारा झूंठ के आधार पर
मुक़दमा दर्ज होना अदालते पाती है तो फिर ऐसे फिरयादी ,पुलिस अधिकारियो
,अनुसंधान अधिकारीयों के खिलाफ अदालत प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही करे ,,तभी
यह परम्परा रूक सकेगी ,वैसे सी आर पी सी की धारा 321 मुक़दमे विड्रॉल करने
का जिसमे सरकार को अधिकार है ,,इस अधिकार को असवैंधानिक घोषित करना होगा
,वरना आज़ादी के बाद से आज तक ,सरकार ,,आने जाने के बीच के मुक़दमे वापस हो
रहे है ,,सड़को पर खुले आम गुंडागर्दी है ,,इस उम्मीद में के सरकार आएगी
,,सरकार पर दबाव बनायेगे ,,मुक़दमे वापस हो जाएंगे ,या सरकार पैरवी ठीक नहीं
करेगी ,गवाह आएंगे नहीं ,,गवाह डर जायेंगे और हम बरी हो जाएंगे ,,इस
अराजकता को रोकने के लिए आम आदमी को आवाज़ उठाना होगी ,,ओरिजनल आम आदमी को
,ऐसे आम आदमी नहीं जो अन्ना बनकर ,,,लोकपाल भुलाकर सरकार के गुलाम हो जाए
,,क्या हम और आप ऐसा करेंगे ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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