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03 दिसंबर 2017

देश को गुमराह करने ,,,,दुसरो पर इन्साफ के नाम पर ना इंसाफ़ी करने का अजीब तरीक़ा है

देश को गुमराह करने ,,,,दुसरो पर इन्साफ के नाम पर ना इंसाफ़ी करने का अजीब तरीक़ा है ,,अपने धर्म से जुडी बहन बेटियां शादी ,,ब्याह के नाम पर नाता प्रथा चला कर बेचीं जाती है ,,देवदासी प्रथा से उत्पीड़ित है ,,पत्नियों ने बिना किसी वजह के उन्हें तलाक़ भी नहीं दिया ,,नाम भी दिया और छोड़ रखा ,,ऐसी लाखो लाख माता बहने है जिन्हे इन्साफ नहीं मिला है ,,उनके दर्द को भुला कर सिर्फ एक समाज ,,की महिलाओ के इन्साफ के नाम पर क़ानून बनाना यह तुष्टिकरण की निति का समर्थन नहीं तो और क्या है ,,कांग्रेस पर तुष्ठीकरण का आरोप अगर है ,,तो फिर साहिब उसी निति को दोहरा रहे है ,,देश में मुकम्मल क़ानून पहले से मुस्लिम तलाक़ का मौजूद है ,फिर एक नया क़ानून ,,गुमराह करने के लिए ,,एक नयी साज़िश देश को परेशां करने के लिए ,,,घरेलु हिंसा क़ानून है ,लेकिन उसकी पुख्ता क्रियान्विति नहीं है ,प्रोटेक्शन ऑफीसर नहीं है ,,कमेटियां नहीं है ,,अदालतें नहीं है ,,स्थाई लोक अदालतों में ,,विधिक न्यायिक प्राधिकरण में ,,घरेलु हिंसा से पीड़ित महिलाओँ को क़ानूनी सहायता वकील के रूप में देने ,,मुक़दमा खर्च देने के मामले में विशेष प्रावधान नहीं ,है ,घरेलू हिंसा क़ानून देश की प्रत्येक समाज ,,धर्म से जुडी महिलाओं के लिए है ,,लेकिन इस क़ानून में संशोधन होना चाहिए ,,इसकी क्रियान्विति के लिए दो सो मुक़दमो पर एक कोर्ट होना चाहिए ,,दिन प्रतिदिन सुनवाई का क़ानून होना चाहिए ,,साहिब ने जैसे बिना किसी वजह के अपनी पत्नी को छोड़ रखा है ,तलाक़ भी नहीं दिया ,,कई चुनाव के शपथपत्रों में पत्नीं का दर्जा भी नहीं ,दिया ,अब वोह नाम का दर्जा वाराणसी चुनाव में दिया ,,ऐसे लोगो को पत्नी अगर खुद इन्साफ के लिए किसी दबाव ,,किसी खौफ ,,किसी प्रलोभन के डर से अदालत नहीं जाए तो भी ऐसे महापुरुष महिलाओं को उत्पीड़ित करने वाले मर्दो को कठोर सज़ा का प्रावधान होना चाहिए ,,घरेलु हिंसा क़ानून है ,,उसमे रूढ़ियों के तहत दी जाने वाली सुविधाएं देने का प्रावधान ,है ,ज़रा साहिब और उनके भक्त देखे ,,देश में नाता प्रथा के नाम पर कितनी महिलाये खुलेआम रोज़ उत्पीड़ित होती है ,एक छोड़ता ,है ,एक खरीदता है ,,पंचायत ,,समाज ,,नोटेरी स्टाम्प पर यह सब हो रहा है ,उनकी जीवन सुरक्षा ,,जीवन कल्याण व्यवस्थाये खतरे में है ,,अनुसूचित ट्राइबल महिलाये ,,पुरुष इंसाफ मांगने के लिए ,,पारिवारिक मामलों में अदालत जाती है ,,साफ़ क़ानून है ,वोह हिन्दू विधि के तहत हिन्दू नहीं है इसलिए उन पर हिन्दू विधि लागू नहीं होगी ,,संविदा सिविल क़ानून के तहत कार्यवाही होगी ,,एक बढ़ा समाज जो आपका वोटर है उसे आप क़ानूनी तोर पर हिन्दू नहीं मानते ,,ऐसे में पहले उनको विधि के अनुसार इंसाफ देने की ज़रुरत है ,,बहन बेटियों की नाता प्रथा के नाम पर बिक्री रोकने की ज़रुरत है ,,घर बैठी महिलाओं को सर्वेक्षण कराकर ,,उन्हें गुज़ारा खर्च देने की ज़रुरत है ,जो महिलाये ,विधवा है ,लावारिस है उन्हें सरकारी सहायता ,,सरकारी खर्च से घर ,,रोज़ी रोटी देने की ज़रुरत ,है ऐसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ज़रुरत है ,समाज हिन्दू हो ,मुसलमान हो ,,दलित हो जो कोई भी अपनी पत्नी को साहिब की तरह बिना तलाक़ के लावारिस बनाकर छोड़ दे ऐसे मर्दो को बिना किसी एफ आ आर ,,किसी मुक़दमे ,,किसी फ़रियाद के किसी भी व्यक्ति द्वारा संज्ञान में लाते है ,,जेल भेजने की ज़रूरत है ,तब कहीं देश की महिलाओँ को इन्साफ मिल सकेगा ,,सिर्फ मुस्लिम महिलाये टारगेट ,,देश की अस्सी फीसदी महिलाओ के मान सम्मान ,,सुरक्षा ,,आत्मस्वाभिमान ,,गुज़ारा खर्च ,,इन्साफ के लिए जब देश ,,देश के लोग ,देश के पत्रकार ,,देश की सियासत नहीं सोचती है तो शर्मिंदगी होती है ,,आज कोटा सहित देश की सभी पारिवारिक न्यायालयों में मुस्लिम पति पत्नी के राजीनामे से तलाक़ के मामले की डिक्रियां भी अटका दी गयी है ,,आज यह बेबस महिलाये पारिवारिक अदालतों के चक्कर काट रही है ,,उन्हें डिक्री नहीं मिलने से वोह नौकरी में पीछे है ,,पेंशन ,,,सरकारी योजनाओ में पीछे हो गयी है ,,यह ज़ुल्म ,यह ज़्यादती ,,,यह दिखावा ,,,अब नहीं चलेगा ,,देश की सभी महिलाओं को इंसाफ चाहिए ,,जो कोई भी समाज का आदमी अपनी पत्नी को बेचता ,है ,बेटी को बेचता है ,,दहेज़ के लिए उत्पीड़ित करता है ,,,दहेज़ के लिए ज़िंदा जलाता ,है ,आत्महत्या के लिए मजबूर करता है ,,बिना वजह पत्नी को छोड़कर उसे तलाक़ भी नहीं देता ,रखता भी नहीं खर्चा भी नहीं देता और एक अपमानित उपेक्षित ज़िंदगी देता है ऐसे मर्दो के खिलाफ कठोर सज़ा का क़ानून होना चाहिए ,,लेकिन जिसने अपनी पत्नी को बिना वजह छोड़ रखा हो ,,जिसने कई चुनावी शपथ पत्रों में अपनी पत्नी का नाम तक न लिखा हो ,,जिसने कुर्सी हथियाने के मामले में चुनाव आयोग की मजबूरी में पत्नी का नाम शपथ पत्र में लिखा हो ,,अपनी पत्नी को सम्मान नहीं दिया हो ,, अपनी पत्नी का दुःख दर्द नहीं बांटा हो ,ऐसे मर्दो से देश की महिलाओं के इन्साफ की उम्मीद करना बेकार है ,,हाँ कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा जैसे जिसे पहले शपथ पत्रों में पत्नी नहीं माना ,,फिर कुर्सी के लिए चुनाव आयोग के डर से शपथ पत्र में स्वीकार करना पढ़ा ,,,पत्नी को अचानक ब्रेनवाश के लिए शलवार वाले बाबा के योगा शिविर में भेजना पढ़ा ,,,ऐसे सियासी पुरुषो से महिलाओं के इंसाफ ,,महिलाओं के आत्मस्वाभिमान के संरक्षण के क़ानून की उम्मीद करना बेमानी है ,,हाँ सियासत के लिए कुछ भी करेगा की तर्ज़ पर ऐसे सियासी पुरुष महिलाओ को सियासत का एक मोहरा ज़रूर बना कर देश में सियासत के ज़रिये कुर्सी पर बने रहने की जुगत निकाल सकते है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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