अभिभाषक परिषद कोटा का पचहत्तर साला प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम आज
सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ ,,,सभी व्यवस्थाएं ठीक थी ,,सभी को सम्मान से
नवाज़ा गया ,,माननीय सुप्रीमकोर्ट के न्यायधिपति आदरणीय आदर्श गोयल की
मौजूदगी थी ,,,इसलिए कोटा संभाग के सभी न्यायिक अधिकारी कोटा अभिभाषक
कार्यक्रम में कई दिनों बाद शामिल हुए थे ,,कार्यक्रम भव्य था ,,अल्पाहार
से लेकर ,,कार्यक्रम की सभी सवाल व्यवस्थाओ के बाद स्नेह भोज के लिए सभी
आयोजकों को धन्यवाद ,,कार्यक्रम की व्यवस्थाओ को लेकर किसी भी तरह की चाहकर
भी आलोचना करना किसी भी आलोचक के लिए सम्भव नहीं है ,,लेकिन आदरणीय
न्यायधिपति आदर्श गोयल साहिब ने ,,बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान के प्रशासक
,,अध्यक्ष नरपत मल लोढ़ा जो राजस्थान सरकार के महाधिवक्ता भी है ,,उनकी
उपस्थिति में जो वैज्ञानिक ,,सारगर्भित ,,अकाट्य ,,ज्ञानवर्धक ,,हौसला
अफ़ज़ाई वाला भाषण दिया ,,उस भाषण को सभी वकील साथियों ने खूब सराहा ,,लेकिन
उनके इस भाषण से मुझे अपने जीवन में ,वकालत के अनुभव ,,वकालत के आंदोलन और
गरीब ,,पक्षकारो को इन्साफ दिलाने के महायुद्ध में बहुत कुछ सीखने को मिला
है ,,वोह बात अलग है में कमज़ोर हूँ अभी कुछ कर न पाऊं लेकिन ,मुझे यक़ीन है
,,,मेरी विचारधारा के समर्थक बढ़ेंगे ,मेरा साथ देंगे और एक दिन वकीलों को
फिर से पक्षकारो को इन्साफ दिलाने में कामयाबी मिल सकेगी ,,कार्यक्रम में
कोटा उत्तर विधायक प्रह्लाद गुंजल ने दम ठोक कर कोटा में हाईकोर्ट बेंच
खोलने का प्रस्ताव आंकड़ों के साथ रखते हुए ,,माननीय न्यायधिपति आदर्श गोयल
के समक्ष ,,कोटा हाईकोर्ट बेंच की प्रस्तावना रखकर कोटा में हायकोर्ट बेंच
के लिए सकारात्मक कार्य की सम्भावनाये जताई थी ,,लेकिन माननीय न्यायधिपति
आदरणीय आदर्श गोयल ने अपने उद्बोधन में बहुत कुछ कह दिया बहुत कुछ कह दिया
,,बहुत कुछ सीखा दिया ,,,आदरणीय गोयल साहिब ने विनम्र माफ़ी नामे के साथ
अपने उद्बोधन की शुरुआत की ,उन्होंने कहा ,,में बहुत अच्छी हिंदी जो मेरी
मातृभाषा है नहीं जानता ,,,क्योंकि हमारा सिस्टम ,हमारे सिस्टम की भाषा
अंग्रेजी है ,,आदर्श गोयल ने महाभारत के ज्ञान से अपने भाषण की शुरुआत
करते हुए कहा के ,,कौरव जीत का आशीर्वाद लेने जब अपनी माँ गांधारी के पास
पहुंचे ,,तो गांधारी माँ होने के बाद भी धर्म के साथ थी ,,उन्होंने ,कोरवो
को कहा ,,धर्म जिसके साथ होगा ,,जीत उसी की होगी ,,न्याधिपति का यह ज्ञान
मुझे अंगीकार करने योग्य लगा ,,रिश्ते ,,नाते भुलाकर ,,सिर्फ इन्साफ की
जीत के लिए प्रयास होना चाहिए और हमे भी उसमे शामिल होना चाहिए ,,दूसरा
ज्ञान उन्होंने दिया ,,हमारे देश में संस्कृति थी ,,ईमानदारी थी ,,विदेशी
सैलानियों का कहना था ,यह देश सुरक्षित है ,,संरक्षित है ,,यहां प्यार है
,,मोहब्बत है ,,ईमानदारी है ,,अपराध नहीं है ,,ऐसे में इस देश में पुलिस
,,अदालत की ज़रूरत नहीं है ,,,लेकिन विदेशी आक्र्मणकारी आये और उन्होंने देश
पर हमले कर देश की आज़ादी छीनी ,,अम्बेडकर के भाषण का हवाला देते हुए
उन्होंने कहा ,,संविधान की प्रस्तावना भाषण में अम्बेडकर ने कहा था
,,संविधान हमारा पहले भी अच्छा था ,,लेकिन इसे लागू करने ,वाले ,इसे मानने
वाले अगर ठीक नहीं होंगे ,तो ऐसे संविधान का कोई फायदा नहीं होगा
,,,अम्बेडकर ने स्वीकारा था ,देश मज़बूत था ,,लेकिन देश में हमलावरों से
हमारे ही अपने गद्दार बनाकर मिले और देश हमलावरों के क़ब्ज़े में आ गया
,,उन्होंने जयचंद सहित कई गद्दारो का हवाला भी दिया ,,न्यायधिपति महोदय ने
शहीद भगत सिंह का हवाला देते हुए कहा ,,के उन्होने बम विस्फोट के मुक़दमे
में ,साफ़ कहा था ,,के मेने विस्फोट में किसी भी मानव को नुकसान पहुंचाने
वाला पदार्थ नहीं बनाया ,,,मुझे माफ़ी भी नहीं चाहिए ,,मुझे फांसी मिलेगी
,,,लेकिन में देश को बताना चाहता हूँ ,,ऐसा शासन जहाँ ,,बढे बढे घर बनाने
वाले मज़दूर ,,बेघर रहते है ,,ऐसे नए नए कपड़े बनाने वाले मज़दूर ,,नंगे रहते
है उनके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं है ,ऐसे में भगत सिंह का संदेश शासन
चलाने वालो के लिए साफ़ था के ,सभी का ध्यान रखा जाए ,,लेकिन वोह अँगरेज़ थे
उन्हें शासन नहीं चलाना था ,,देश की जनता से प्यार नहीं था ,वोह तो बस देश
को लूट कर ले जाना चाहते थे ,,न्यायधिपति ने कहा के विष्णु भगवान से इंद्र
देवता ने पूंछा आपके सबसे ज़्यादा नज़दीक कौन है ,,इंद्र देवता जानते थे
,विष्णु भगवान सबसे ज़्यादा उन्हें ही पसंद करना कहेंगे ,,लेकिन विष्णु
भगवान ने बहुत पूंछने पर एक राजा रेवती का नाम बताया ,,इंद्र देवता ,,राजा
रेवती के शासन में आये ,,वर्षा के प्रकोप से हाहाकार मचा दिया ,रेवती राजा
ने खज़ाने खोल दिए ,भूखो को रोटी ,सुविधाएं देने के लिए भूखे रहकर गरीबो को
खिलाना शुरू किया और एक दिन भूख से राजा रेवती की मौत हो गयी ,,लेकिन
विष्णु भगवान ने उनमे जान डाली ,,, पूंछा तुम कठिन परीक्षा में पास हुए
,,बताओ तुम्हे क्या चाहिए ,,राजा ने कहा ,,मुझे मेरी जनता खुश चाहिए
,,,मुझे स्वर्ग नहीं चाहिए , मुझे राजपाठ नहीं चाहिए बस कोई दुखी न रहे यही
मेरी चाहत है ,,दुसरो के दुःख हर लेने की चाहत ही सच्ची मानवता है
,,उन्होने कहा जिन वकीलों का हमने सम्मान किया है वोह रुपयों की तरफ नहीं
भागे उन्होएँ सेवाएं की ,है ,,लोगो को इंसाफ दिलाया है ,इसलिए आज हमने
उन्हें याद भी किया ,,उन्हें सम्मानित भी किया ,,न्यायधिपति गोयल ने कहा
,,वकील अब रुपया भी कमाने लगे है ,,अच्छी फ़ीस लेते है ,बढे मकानों में ,बढे
चेम्बरो में बैठते है ,जजेज़ भी बढे कोर्ट रूम बैठते है ,,बढ़े मकान है
,,लेकिन क्या हम ,,आम लोगो को इंसाफ दिलवा पाते है ,,किसी भी धर्म का
,,न्याय ,,मानवाधिकार है ,,जीने का अधिकार है ,,ऐसे में देश के हर नागरिक
को इंसाफ कैसे मिले ,यह हमारा धर्म होना चाहिए ,उन्होंने कहा में सुप्रीम
कोर्ट का जज हूँ तो मेरे फोर्थ क्लास को में अगर अपना भाई नहीं मानता तो
गलत करता हूँ ,,उन्होंने उड़ीसा का हवाला देते हुए कहा ,,वहां वकील हड़ताल
पर थे ,,हाईकोर्ट की बेंच की मांग थी ,लेकिन मुख्य न्यायधीश होने के नाते
,अदालतों को खुलवाया ,,अदालत में कामकाज शुरू करवाया ,,वकील आये तो उनसे
कहा पहले हड़ताल खत्म करो ,,फिर बात करेंगे ,वकीलों से कहा ,वकील हड़ताल नहीं
कर सकते यह तो फोर्थ क्लास लोग हड़ताल करते ,,है ,,,यह भी कहा के हाईकोर्ट
बेंच नहीं खुलेगी ,,उन्होंने विधायक प्रहलाद गुंजल की तरफ इशारा कर कहा
,,विधायक महोदय ,,दूरी से ,त्वरित न्याय का सिद्धांत पूरा नहीं होता ,,आज
राजस्थान में हायकोर्ट है ,,दूसरी जगह हाईकोर्ट ,है ,कोर्ट है ,क्या वहां
त्वरित न्याय हो रहा है ,,,,,,इस भाषण में समझ में आया वकील को गरीबो के हक़
के लिए संघर्ष करना चाहिए ,,पक्षकारो को इंसाफ दिलाने ,,देश में हो रही
अराजकता को खत्म करने के लिए लड़ना चाहिए ,,संविधान की पालना ,,देश में
बनाये गए क़ानून की पालना ,,अदालतों में सुनवाई के लिए बने नियमों की पालना
करवाने के लिए वकील को आंदोलन करना चाहिए ,,भगत सिंह जो फांसी पर चढ़ सकते
है तो ,वकीलों को ,पक्षकारो को ,देश की जनता को विधिक इंसाफ दिलाने के लिए
विधिक क्रांति का माहौल बनाना चाहिए ,,एक तरफ जब जज 224 आई पी सी के
जमानतीय अपराध में ज़मानत ख़ारिज कर दे ,,ऐसे जज के खिलाफ कार्यवाही को लेकर
लड़ना चाहिए ,,,वकीलों के स्वाभिमान के लिए संघर्ष करना चाहिए ,संविधान में
जब सुप्रीम कोर्ट ,,हाईकोर्ट की सर्किट बेंच आवश्यकतानुसार खोलने का
प्रावधान है तो आज एक सो तीस करोड़ की आबादी और करोडो करोड़ तरफ के विवाद
होने के बाद भी क्यों सर्किट बेंचे खोली नहीं जा रही ,,इस पर विचार होना
चाहिए ,,और भगत सिंह बन कर संघर्ष करना चाहिए ,हड़ताल कोई समाधान नहीं
,,लेकिन अगर सभी प्रयासों के बाद शासक और लिखित विधिक संवैधानिक प्रावधान
लागू करने वालो पर अंग्रेज़ियत की लाट्साहबी चढ़ जाए तो उनके खिलाफ पक्षकारो
के हक विधिक संघर्ष ,,विधिक क्रांति के लिए अगर ,,हड़ताल भी करना पढ़े तो
करना चाहिए ,,लेकिन अभी डरे ,सहमे वकील ,,खुद अपना आंतरिक लोकतंत्र यानी
बार कौंसिल का आंतरिक चुनाव कई वर्षो से नहीं करा पाए यही ,अंग्रेज़ो से भी
बुरी स्थिति है ,,के वकील जो दुसरो को इंसाफ दिलाने की बात करते है
,,पीड़ितों की निगाहें जिस वकील तबके की तरफ है ,,वही वकील तबक़ा अपने
संवेधानिक संस्था ,बार कौंसिल में ,,,चुनाव करवाकर ,,लोकतंत्र आज़ाद नहीं
करवा पायी है ,वकील खुद बार कौंसिल में अब तक ,निर्वाचित अध्यक्ष नहीं बनवा
पाए है ,ऐसे में बिगड़े हालातो में पानी सर से ऊपर गुज़र रहा है ,,वकीलों का
ज़मीर आज नहीं तो कल जागेगा ज़रूर ,वोह बात अलग है ,के इस युद्ध में भी
जयचंद होंगे ,,,गद्दार होंगे ,,लेकिन वकील ,,देश के हक़ में ,देश में लिखित
संविधान क़ानून के प्रावधानों को लागू करवाने के लिए संघर्ष करने के लिए
अपने ज़मीर को फिर से ज़िंदा ज़रूर करेगा ,,लेकिन कब ,,किस तरह ,,यह तो सभी
वकीलों को अपनी अंतर्रात्मा टटोल कर उसमे से जवाब ढूँढना होगा ,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्
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