आपका-अख्तर खान

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06 अक्टूबर 2017

सियासी रंजिशों का

सियासी रंजिशों का
घमसान खत्म हुआ हो अगर ,,
मज़हबी नफरतों के खंजर
खामोश हो गए हो अगर ,,
तो ज़रा वक़्त निकालो
आओ हम आप मिलकर
लहूलुहान ,,ज़ख्मों से कराहते
मेरे इस मुल्क को
ज़रा मरहम पट्टी कर
फिर से तर ओ ताज़ा कर दें ,,,अख्तर

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