सियासी रंजिशों का
घमसान खत्म हुआ हो अगर ,,
मज़हबी नफरतों के खंजर
खामोश हो गए हो अगर ,,
तो ज़रा वक़्त निकालो
आओ हम आप मिलकर
लहूलुहान ,,ज़ख्मों से कराहते
मेरे इस मुल्क को
ज़रा मरहम पट्टी कर
फिर से तर ओ ताज़ा कर दें ,,,अख्तर
घमसान खत्म हुआ हो अगर ,,
मज़हबी नफरतों के खंजर
खामोश हो गए हो अगर ,,
तो ज़रा वक़्त निकालो
आओ हम आप मिलकर
लहूलुहान ,,ज़ख्मों से कराहते
मेरे इस मुल्क को
ज़रा मरहम पट्टी कर
फिर से तर ओ ताज़ा कर दें ,,,अख्तर
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