आपका-अख्तर खान

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26 अक्तूबर 2017

क़ुरान का सन्देश

और मैंने तुमको अपनी रिसालत के वास्ते मुन्तख़ब किया (41) तुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना (42)
तुम दोनों फ़िरऔन के पास जाओ बेशक वह बहुत सरकश हो गया है (43)
फिर उससे (जाकर) नरमी से बातें करो ताकि वह नसीहत मान ले या डर जाए (44)
दोनों ने अर्ज़ की ऐ हमारे पालने वाले हम डरते हैं कि कहीं वह हम पर ज़्यादती (न) कर बैठे या और ज़्यादा सरकशी कर ले (45)
फ़रमाया तुम डरो नहीं मैं तुम्हारे साथ हूँ (सब कुछ) सुनता और देखता हूँ (46)
ग़रज़ तुम दोनों उसके पास जाओ और कहो कि हम आप के परवरदिगार के रसूल हैं तो बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए और उन्हें सताइए नहीं हम आपके पास आपके परवरदिगार का मौजिज़ा लेकर आए हैं और जो राहे रास्त की पैरवी करे उसी के लिए सलामती है (47)
हमारे पास खु़दा की तरफ से ये “वही” नाजि़ल हुई है कि यक़ीनन अज़ाब उसी शख़्स पर है जो (खु़दा की आयतों को) झुठलाए और उसके हुक्म से मुँह मोड़े(48)
(ग़रज़ गए और कहा) फ़िरऔन ने पूछा ऐ मूसा आखि़र तुम दोनों का परवरदिगार कौन है (49)
मूसा ने कहा हमारा परवरदिगार वह है जिसने हर चीज़ को उसके (मुनासिब) सूरत अता फरमाई फिर उसी ने जि़न्दगी बसर करने के तरीक़े बताए(50)

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