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20 सितंबर 2017

कोटा की एक अदालत के अधिकार पूर्वक जमानतीय अपराध में ,

कोटा की एक अदालत के अधिकार पूर्वक जमानतीय अपराध में ,,अदालत द्वारा भी ज़मानत ख़ारिज कर देने के एक आदेश ने सभी क़ानूनविदों को असमंजस में डाल दिया ,,उच्चतमं न्यायलय तक के सभी क़ानून खंगालने के बाद भी ,,कहीं ऐसा अधिकार किसी मजिस्ट्रेट को नहीं दिया गया है ,,,पिछले दिनों एक आरोपी पुलिस कर्मी से हाथ छुड़ाकर हिरासत से भागा उसके खिलाफ ,,पुलिस ने हिरासत से भागने के मामले में 224 आई पी सी में मुक़दमा दर्ज किया ,,उक्त अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता की पहली अनुसूची में जमानतीय अपराध है और अधिकतम इस अपराध में दो साल की सज़ा है ,,ऐसे मामलों में दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 में अभियुक्त को गिरफ्तार करते ही अधिकार के रूप में थाने से ही ज़मानत पर छोड़ने का क़ानून है ,लेकिन पुलिस तो पुलिस ठहरी ,,पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार किया ,,सबक़ सिखाने के लिए अदालत में पेश किया ,,ऐसे अधिकार पूर्वक ज़मानत जहाँ लिए जाने का प्रावधान है वहां ,अदालते आम तोर पर पुलिस पर निगरानी रखती है ,और पुलिस बहाना बनाती है के ,,साहिब कोई ज़मानती न था इसलिए नहीं छोड़ सके हम ,,लेकिन अदालत में गिरफ्तार अभियुक्त को जब पेश किया ,,वकील साहिब ने ज़मानत का प्रार्थना पत्र पेश किया ,,ज़मानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई ,,और आदरणीय मजिस्ट्रेट साहिब ने ,,न जाने किस धुन ,,किस क़ानूनी प्रक्रिया ,,किस धारा के तहत इस जमानतीय अपराध में जो 436 दण्ड प्रक्रिया संहिता में अधिकार पूर्वक ज़मानत का प्रावधान है ,,उसमे 437 सी आर पी सी के प्रार्थना पत्र में ज़मानत मांगने पर भी प्रकरण को गंभीर प्रकृति का बताकर ज़मानत आवेदन ख़ारिज कर दिया ,,,खेर आदेश न्यायिक है ,,,इस आदेश के खिलाफ जब जिला एवं सेशन न्यायधीश महोदय के समक्ष प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में बहस हुई तो सभी वरिष्ठ वकील चौंक गए ,,,क़ानून ढूंढते रहे ,,ऐसा कोनसा क़ानून आ गया जो थाने से जमानतीय अपराध में ,,मजिस्ट्रेट को भी ज़मानत ख़ारिज करने का अधिकार देता है ,,क़ानून तो किसी को नहीं मिला ,,लेकिन मुल्ज़िम को जिला एवं सेशन न्यायाधीश के यहाँ से 439 सी आर पी सी के विधिक प्रावधानों में ,पच्चीस हज़ार की ज़मानत पच्चीस हज़ार के मुचलके पेश करने की शर्त पर ज़मानत मिल गयी ,,एक मजिस्ट्रेट ,दंड प्रक्रिया संहिता की अनुसूची एक के प्रथम प्रावधान में जमानतीय लिखा जाने के बाद भी ,,कैसे ,किन प्रावधानों के तहत ,,न्यायिक बुद्धि लगाने ,,पत्रावली ,,केस डायरी का अवलोकन करने के बाद ,,कैसे ज़मानत का आवेदन ख़ारिज हुआ ,,यह क़ानूनी बिंदु अब रिसर्च का विषय बन चूका है ,,मेने तो मेरी जितनी विधिक बुद्धि थी ,,उस के तहत उच्च न्यायालय के सारे आदेश ,,सारे पुराने नए आपराधिक क़ानून छान मारे लेकिन मुझे यह प्रावधान नहीं मिला के ,,एक मजिस्ट्रेट प्रथम अनुसूची में घोषित जमानतीय अपराध में ज़मानत का प्रार्थना पत्र लगाने के बाद कैसे किन प्रावधनाओ के तहत ज़मानत ख़ारिज कर सकते है ,,मेरा विधिक ज्ञान बढ़ाने में प्लीज़ मेरी मदद करे ,क्योंकि आदरणीय परम सम्मानीय का आदेश है तो विधिक तो होगा ही क्योंकि इस पद पर नियुक्ती के लिए विधिक ज्ञान की छानबीन के बाद ही विधिक जानकार विशेषज्ञ की नियुक्ति होती है ,लेकिन कैसे है वोह समझने की कोशिश कर रहा हूँ जो नहीं समझ पा रहा हूँ ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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