फ़िज़ाओं में ज़हर घोलने वालों ,,ज़ुल्म ,ज़्यादती ,,ना इंसाफ़ी ,,निर्दोष ,,बेबस
लाचारों की सरे राह हत्या को इन्साफ बताने वालों ,,दिलों में नफरत का
गुबार रखने वालों ,ज़रा खुद की अंतर्रात्मा से सवाल तो पूंछो ,,धर्म कोई भी
हो ,,तुम्हारा ,,मेरा ,,इसका ,,या फिर उसका ,,सभी धर्मो में ,,दो ही समुदाय
है ,,एक राक्षस ,,,एक देवता ,,एक इंसान ,,एक शैतान ,,,,, कोई भी धर्म हो
,कोई भी पूजा पद्धति हो ,,बेबस लाचारों की मोत के समर्थन की इजाज़त नहीं
देता है ,,किसी की ज़ुल्म ज़्यादती की पैरवी ,,किसी उत्पीड़ित मज़लूम की
दुर्दशा पर खुश होने का हक़ किसी भी धर्म ,,मज़हब में नहीं दिया है ,,,पीड़ित
,,बेबस ,,लाचार की मदद जो नहीं कर पाता वोह इंसान नहीं हैवानियत का मददगार
है ,,,हाल ही में रोहिग्या पीड़ितों को इंसाफ देने की मांग को लेकर
,,संयुक्त राष्ट्र संघ ,,प्रधानमंत्री ,,राष्ट्रपति ,,सहित कुछ लोगो को
भेजे गए ज्ञापन ,,,से खफा मेरे नफरतबाज़ मित्रो ,भाइयो की नफरत का बम खूब
फूटा ,,उनके अल्फ़ाज़ों में शिकायत कम नफरत ही नफरत थी ,,उन्होंने जयपुर के
रामगंज दंगे ,,से लेकर ,,कश्मीरी पंडितो की बेबसी लाचारी का बखान तक कर
दिया ,,दोस्तों ,,,जो भी शख्स किसी भी हत्या ,,ज़ुल्म ज़्यादती का समर्थन
करता है ,,लाचार ,,बेबस लोगो की मदद से इंकार करता है ,वोह इंसान हो ही
नहीं सकता ,,जानवर और इंसान में फ़र्क़ सिर्फ मज़हब बनांता है और जो भी ज़ालिम
होगा वोह किसी पूजा पद्धति से हो ,,अपने ईष्ट के साथ विश्वासघात करता है
,झूंठ बोलता है ,फरेब करता है ,,कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा ,,वाली नफरत
,,मुद्दों से ,,गरीबी ,,भुखमरी के सवालों से भटकाने के नफरत भरे फार्मूले
के कर्मचारी अपना काम कर सकते है ,,लेकिन बहुमत नफरत के खिलाफ लोगो का है
,,सवाल है कश्मीरी पंडितो के वक़्त क़ाज़ी ने ज्ञापन क्यों नहीं दिया ,,,अजीब
सवाल है ,,लेकिन एक इंसानियत इस सवाल में है ,,अगर किसी हिन्दू भाई पर
ज़ुल्म हो ,तो मुस्लिम भाई को उस ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए कंधे से
कंधा मिलाकर आगे आना चाहिए ,अगर कोई भी मुस्लिम इसमें क़ासिर रहता है ,इस
कर्तव्य से मुंह मोड़ता है ,,तो उसे मुसलमान कहलाने का हक़ नहीं वोह शैतानियत
का समर्थक है ,,इसी तरह से किसी मुस्लिम ,,सिख ,,ईसाई पर ज़ुल्म हो और फिर
हिन्दू भाई ठहाके लगाए ,,उसे जायज़ ठहराए तो यक़ीनन वोह इंसान नहीं हेवानियत
का पुजारी है ,,,,कश्मीरी पंडितो पर मेने भी बहुत कुछ लिखा ,,मानवाधिकार की
वेबसाइट खोलिये ,,,रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता के वक़्त ,,राष्ट्रिय
मानवाधिकार आयोग में कश्मीरी पंडितो के इंसाफ उनके पुनर्वास को लेकर
सर्वाधिक ज्ञापन हमारी ह्यूमन रिलीफ सोसाइटी की तरफ से हमारी टीम की तरफ से
है ,,गुलाम नबी आज़ाद ,,,पी एम सईद ,सलमान खुर्शीद ,,,सहित कई लोग है
जिन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की ,,पुनर्वास योजना के हिस्सेदार बने ,,,खुद
मरहूम बढे इमामबुखारी ने उनके जुम्मे के ख़िताब में जामामस्जिद को गवाह
बनाकर ,,कश्मीरी पंडितो को खदेड़ने उनके ऊपर ज़ुल्म ज़्यादती की आलोचना की थी
,,सरकार से उनके पुनर्वास की मांग की थी ,यह इतिहास है ,,,इन्साफ और
नाइंसाफी के बीच जो इन्साफ के साथ है ,,जो ज़ुल्म ज़्यादती के खिलाफ ,,मानवता
के साथ है वहीँ इंसान है ,वरना तो जानवर ,,दानव ,,शैतान ,हैवान ,,सभी धर्म
मज़हबों में होते है ,मुद्दा क्या होता है ,,बात कोनसी शुरू कर दी जाती है
,,अजीब सा लगता है ,,रोहिंग्या पीड़ितों को लेकर अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर
क़ानून का उलंग्घन है ,,भारत के सुभाषचंद्र बोस आज़ाद हिन्द फौज को लेकर
जापान के खिलाफ द्वितीय विश्वयुद्ध में कुछ लोगो को साथ लेकर गए थे ,,वोह
वही रह गए ,,लेकिन उन्होंने ,,द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को तो बचाया है
,,,यह मुद्दा भारत का नहीं ,,यह मुद्दा इंसानियत का है ,और भारत ,,मेरा
हिन्दुस्तान इंसानियत का पुजारी है ,,नफरत के कुछ कुकुरमुत्तों ,,कुछ
कॉकरोचों ,,,कुछ कीड़े मकोड़ो की वजह से मेरे इस भारत महान ,,का मानवता के
पक्ष में पैरवी का स्वभाव खत्म नहीं हो सकता ,,इंसानियत के खिलाफ जब भी कुछ
भी घटना हो ,,हमे धर्म ,मज़हब की दीवारे हटाकर बोलना ही होगा ,,खड़ा होना ही
होगा ,,अगर कश्मीरी पंडितो ,,या किसी भी हिन्दू भाई समूह पर हुए अत्याचार
के खिलाफ कोई मुस्लिम नहीं बोलता है तो मुस्लिम समुदाय को शर्मसार होना ही
होगा ,,,क्योंकि वोह अपने मानवता के धर्म से अलग है ,,अगर हिन्दू धर्म पर
के लोग ,,मुस्लिमों ,सिक्खो ,,क्रिश्चियन्स पर हुए अत्याचार पर खामोश होते
है ,,यह खुशियां ,,जश्न मनाते है ,मददगारों की आलोचना करते है तो वोह
इंसानियत के अलम्बरदार नहीं शैतानियत ,,हैवानियत के हमदर्द है ,,गांधी की
हत्या हुई ,,हत्यारे के समर्थक आज भी मानवता के पुजारियों के मुखालिफ इस
हत्यारे को अगर पूजते है तो वोह शैतान के पुजारी कहलाते है ,,चाहे उनकी
संख्या बढ़ रही हो ,उनकी ताक़त बढ़ रही हो ,लेकिन समाज में जो गाँधी का स्थान
है ,,,चाहे नरेंद्र मोदी हो ,,चाहे जो भी हो वोह गाँधी की समाधि पर ही
जाते है ,,किसी गोडसे की समाधि पर नहीं जाते ,,कोई भी किसी भी आतंकवादी
,,अलगाववादी के मज़ार पर नहीं जाता ,,सिर्फ आज़ादी के लड़ाई के योद्धा
,,बाहदुरशाह ज़फर के मज़ार पर ही लोग जाते है ,,तो दोस्तों बदलो खुद को बदलो
,,अपनी सोच बदलो ,,जो गलत है वोह है ,,लेकिन इसका यह मतलब नहीं के हम
हमारे आज को अभी बिगाड़ कर रख दे ,,इसमें ज़हर घोल दे ,मुझे गर्व है ,,मेरे
भाई एडवोकेट ब्रह्ममानन्द शर्मा पर ,,कॉमरेड आर के स्वामी पर ,,मोहन लाल
राव ,,गणेश लाल ,,,रिछपाल पारीक ,,पंकज मेहता ,,,कैलाशनाथ भट्ट ,,रघुननंदन
गौतम ,,,महेश विजय वर्गीय ,,,तीस्ता तिलवाड़ ,,,आई पी एस पंकज चौधरी , सरदार
दया सिंह ,,,डॉक्टर आर सी साहनी ,,शांति कुमार धारीवाल ,,,डॉक्टर महेश
जोशी ,,,वृद्धा करांत जैसे लोगो पर जो हर वक़्त हमेशा ज़ुल्म ज़्यादती के
खिलाफ मज़हब की दीवारे लांघ कर इंसानियत के अलम्बरदार बनकर ,,ज़ालिमों के
खिलाफ ,,ज़ुल्म को इंसाफ दिलाने के पक्ष में आवाज़ उठाते ,है ,,,,अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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