वोह कहते है
चलो शायरी करो
मेरे लिए
अभी इसी वक़्त
मुझे देखना है
तुम्हे मुझ से
कितना प्यार है ,,
में क्या लिखूं
क्या कहूं
कभी आसमान के
तारे गिने गए है ,,
कभी समुन्द्र की
गहराई नापी गयी है ,,
कभी आसमान की
ऊंचाई नापी गयी है
क्या कहूं में तुम्हे
अनगिनत
असंख्य ,,अकूत
बेपनाह ,,तुमसे
हाँ तुमसे
प्यार है ,,प्यार है ,,अख्तर
चलो शायरी करो
मेरे लिए
अभी इसी वक़्त
मुझे देखना है
तुम्हे मुझ से
कितना प्यार है ,,
में क्या लिखूं
क्या कहूं
कभी आसमान के
तारे गिने गए है ,,
कभी समुन्द्र की
गहराई नापी गयी है ,,
कभी आसमान की
ऊंचाई नापी गयी है
क्या कहूं में तुम्हे
अनगिनत
असंख्य ,,अकूत
बेपनाह ,,तुमसे
हाँ तुमसे
प्यार है ,,प्यार है ,,अख्तर
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