हाल ही में बलात्कार के इलज़ाम से दुखी बूंदी के एक पुजारी ने कीटनाशक पीकर
आत्महत्या कर ली ,,इसके पहले भी कोटा में एक व्यापारी ने ,बलात्कार के
आरोप के बाद ,,आत्महत्या का प्रयास किया था ,,जबकि एक व्यापारी के खिलाफ
बलात्कार का मुक़दमा दर्ज कराने वाली एक युवती ,,आदतन अपराधी निकली ,,जो एक
गेंग बनाकर लोगो पर ऐसे मुक़दमे दर्ज कराकर ब्लेकमेल किया करते थे ,जयपुर
में भी ऐसे कई मामले खुलासे हुए है ,,सभी जानते है ,,अधिकतम मामलों में ऐसे
मुक़दमों का आगे जाकर अदालतों में बयान बदलने के बाद क्या
हश्र होता है ,,यह सब वृतांत एक चिंतन की तरफ तो इशारा करता है ,,बलात्कार
के मामलों में दो हिस्से होना चाहिए ,,पहला वोह जिसमे तात्कालिक घटना
शामिल हो ,,ऐसे में तो तात्कालिक कार्यवाही होना चाहिए ,,जबकि अगर युवती या
महिला पुरानी घटनाओ के साथ बलात्कार का मुक़दमा दर्ज कराती है तो ऐसे में
,,ऐसी महिला का अदालत में बयान के अलावा ,,,तयशुदा सवालों के साथ ,,नार्को
टेस्ट आवश्यक कर दिया जाए ,,और नार्को टेस्ट में सफल होने के बाद ही
अपराधी के खिलाफ कार्यवाही हो ,लेकिन नार्को टेस्ट भी अनुसंधान के दौरान
त्वरित हो ,,ताकि अपराधी भाग न ,सके ,और अगर पुजारी जी जैसे व्यक्ति के
खिलाफ दर्ज मामलो की तरह झूंठे मामले है तो फिर ऐसी फ़र्ज़ी कार्यवाहियों को
हतोत्साहित भी किया जा सके ,,,,कहने को तो यह एक इलज़ाम होता है लेकिन किसी
भी व्यक्ति का इससे जीवन बर्बाद हो जाता है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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