पेड़ पोधो को ज़िंदगी देकर ,,इंसानो की ज़िंदगियाँ बचाने का अभियान चलाने वाले
,,पर्यावरण विद ,डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच का आज निधन हो गया ,,,उनके निधन
के बाद ,,कोटा में पर्यावरण विद का अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ अध्याय खत्म
सा हो गया है ,,उन्हें श्रद्धांजलि ,, पैढ़ पोधो के विख्यात डॉक्टर
,,लक्ष्मी कान्त दाधीच जो गुरूजी के नाम से भी सम्बोधित थे ,,,,कोटा में
रहकर पुख्ता तोर पर राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ,,जल ,,वायु
,,पर्यावरण और प्रदूषण के बचाव को लेकर संघर्षरत थे और वोह अब तक इस
संदर्भ में हज़ारो हज़ार जागरूक कार्यक्रम चला चुके थे ,,सेकड़ो लेख लिख चुके
थे ,,राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश विदेश में हज़ारो सेमिनारों
में अपना व्याख्यान दे चुके थे ,,कोटा की अज़ीम पर्यावरण विशेषज्ञ
,,विचारक ,,चिंतक शख्सियत डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच ,,जिन्होंने बॉटनी
,,यानि फूल पत्तियों में डॉक्टरेट करने के बाद पैढ़ पोधो से प्यार कर लिया
,,वोह इस सच को समझ गए थे के पैढ़ पोधे ही इस दुनिया को खुशहाल ,,ज़िंदा
रखने में विशेष अहमियत रखते है ,,बस इसीलिए डॉक्टर लक्ष्मी कान्त दाधीच पेड़
पोधे पढने वाले छात्र फिर पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर बन गए ,,,हज़ारो हज़ार पेढ़
पोधो के बारे में बारीकियों से जानकारी रखने वाले डॉक्टर लक्ष्मी कान्त
दाधीच ,,पर्यावरण के साथ साथ प्रदूषण को लेकर भी चिंतित रहे थे ,,इसलिए यह
ग्रीनरी बचाओ के साथ साथ प्रदूषण नियंत्रण के लिए भी विशेष अभियान चलाते
रहे थे ,,,,,,, राजकीय महाविद्यालय में बॉटनी के प्रोफ़ेसर के साथ साथ ऍन
सी सी एयरफोर्स के प्रभारी होने के नाते ,,यह समाजसेवा ,,श्रमदान ,,स्काउट
जैसे कार्यक्रमों से भी जुड़े रहे ,,,बहतरीन अनुशासित कैडेट तय्यार करने के
साथ साथ ,,सोलो फ्लाइट के प्रशिक्षक डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच के
प्रशिक्षित ऍन सी सी कैडेट हर बार किसी न किसी कार्यक्रम में राष्ट्रपति
द्वारा सम्मानित होते रहे है ,,ज़िम्मेदारियाँ बढ़ी ,,प्रोफेसर से राजकीय
महाविद्यालय ,,जानकी देवी बजाज महाविद्यालय के प्रिंसिपल बने ,,कुशल
प्रशासन ,,पर्यावरण संरक्षण के पैगाम के साथ साथ ,,समाजसेवा से संबंधित सभी
गतिविधिया जारी रखी गई ,,रक्तदान ,,चिकित्सा शिविर ,,पर्यावरण संरक्षण
सेमीनार ,,जागरूकता कार्यक्रम ,,प्रदूषण नियंत्रण के मामले में विशेष
कार्य्रकम ,,,आंदोलन ,,,शिक्षा जागृति कार्यक्रम ,,,मतदाता जागरूकता
कार्यक्रम ,,रोटरी क्लब ,,लॉयन्स क्लब ,,किसी भी क्षेत्रीय ,,राज्य
,,राष्ट्रिय ,,अंतर्राष्ट्रीय संस्था का समाजसेवा से जुड़ा काम हो डॉक्टर
लक्ष्मी कान्त दाधीच सबसे आगे खड़े नज़र आते थे ,,,,पर्यावरण संरक्षण पर
सेकड़ो पत्रवाचन के अलावा आपने कई पुस्तके भी लिखी थीं ,,,हज़ारो हज़ार
छात्र छात्राओ में पर्यावरण प्रेम की जागरूकता है नहीं बल्कि उन्हें खुद एक
शिक्षक के रूप में तय्यार करने वाले डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच जब अपने
पढ़ाये हुए बच्चो को जागरूकता कार्यक्रम में लगे हुए देखते थे तो उनकी छाती
गर्व से फूल जाती थी ,,,,,,,डॉक्टर लक्ष्मी कान्त दाधीच ने पर्यावरण
,,पेढ़ पोधो को आयुर्वेद चिकित्सा से भी जोड़ा है ,,,,इतना ही नहीं पैढ पोधो
का धर्म मज़हब से भी इन्होने जुड़ाव कर एक विशिष्ठ पहचान बनाई है ,,,धर्म के
हिसाब से रामायण ,,महाभारत सहित कई धर्मग्रंथो में जिन वनस्पतियो ,,पोधो
का ज़िक्र हुआ है ,,उन पैढ़ पोधो को इकट्ठा कर डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच ने
वाटिकाए तय्यार की है ,,इसी तरह हुज़ूर स अ व पैगंबर मोहम्मद साहब के काल
में जो पेड़ पोधे ,,जो वनस्पत्ति थी ,,जिन पोधो का ,,जिन पेड़ो का क़ुरान मजीद
में ज़िक्र आया है ,,पुरे अध्ययन के बाद उन पैढ़,, .पोधो की एक वाटिका अलग
से तय्यार की गई , ,,,,जिसमे इन वनस्पतियो के आम जीवन में क्या फायदे है
वोह भी बताये गए थे ,,वनस्पति से इलाज ,,सुबह की खुशनुमा हवा तो है ही सही
साथ ही जल स्तर के संतुलित रहने से मौसम ,,वातावरण भी खुशनुमा रहता है
,,वनस्पति होगी तो जीव जंतु होंगे ,,,मानव होगा ,,मानवीयता होगी ,,अगर
वनस्पति खत्म हुई तो सब कुछ तबाह हो जाएगा इसकी जागरूकता डॉक्टर लक्ष्मी
कांत दाधीच लगभग चालीस सालों से कर रहे थे ,,,जो तेज़ाबी वर्षा ,,ज़हरीली
धुंए का प्रदूषण ,,,पेड़ो की कटाई ,,वनस्पति की तबाही की तस्वीर आज है
,,इसके लिए डॉक्टर लक्ष्मी कान्त चालीस सालों से चिंता करते रहे ,,कार्य
करते रहे थे ,,,,उद्योगो की ज़हरीली हवा ,,,वनो का कटाव ,,खानो की तोड़फोड़
की वजह से कोटा तबाही के निशाने पर ,, लेकिन सच ,,कड़वा सच यही है ,,के इस
कोटा को इस तबाही ,,इस ज़हरीले वातावरण से जितना भी बचाया जा सका है उसके
हीरो एक मात्र डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच ही थे ,,और डॉक्टर लक्ष्मी कांत
दाधीच आज कोटा ,,राजस्थान ,,हिन्दुस्तान सहित विदेशो के कई प्रमुख शहरो में
पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों में अपने व्याख्यान देकर कोटा का गौरव बढ़ा
रहे थे , ,,यह चंद पंक्तियाँ जो भी उनके लिखी गई है ,,उनकी शख्सियत के
बखान का आगे ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं ,,लेकिन फिर भी में सूरज को दिया
दिखाने की हिमाक़त की है ,,,,प्रोफेसर ,,गुरु ,,डॉक्टर ,,मज़हबी वनस्पति
विशेषज्ञ ,,समाजसेवक ,,लेखक ,,,व्याख्याता ,,पत्रकार ,,,प्रमोटर ,,,ऍन सी
सी इंस्ट्रक्टर सहित ना जाने कितनी खूबियों के धनी ,,,डॉक्टर लक्ष्मीकांत
दाधीच का सूरज आज खुदा ने गुरुब कर दिया है ,,कोटा शहर ,,देश और विदेश के
पर्यावरण विद डॉक्टर लक्ष्मीकांत दाधीच के इस निधन से आहत है ,,सदमे में है
,ईश्वर ,,खुदा ,,लक्ष्मीकांत दाधीच को जन्नत में आला मुक़ाम आता फरमाए
,,लक्ष्मीकांत दाधीच की अंतिम इच्छा पर्यावरण जागरूकता के लिए सभी का
उत्साहवर्धन ,,क़ौमी एकता का संगम सहित प्रतिदिन हरे पेड़ लगाना और उनका
संरक्षण करना था ,,ऐसे पर्यावरण विद को सच्ची श्रद्धांजलि पर्यावरण संरक्षण
क्षेत्र में सभी लोगो का एक नया संकल्प ,,एक नया क़दम उनको सच्ची
श्रद्धांजलि होगी ,, ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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