आपका-अख्तर खान

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04 मई 2017

हाथों में गुलदान रहने दो

*चमन में फूल , हाथों में गुलदान रहने दो*
*मंदिर का भजन , मस्जिद में अजान रहने दो*
*जवानो को वतन में ही क्यू शहीद करते हो*
*कुछ तो इस मिटटी की भी पहचान रहने दो*
*दो ही क़ौम हे जिसकी बात दुनिया करती है*
*अरे! अब तो ये हिन्दू , ये मुसलमान रहने दो*
*रंगो में बाँट बाँट कर बे रंग सा कर दिया है*
*बना दो तिरंगा और पुराना हिंदुस्तान रहने दो...।

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