आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

13 अप्रैल 2017

तनखइया पत्रकार की मजबूरियां आप क्या जाने साहब

मेरे फेसबुक मित्र , ,,भाई ,संजय तिवारी का आज का स्टेटस ,,किसी अखबार का मालिक मर जाए तो सब पत्रकार मिलकर उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हैं। तनखइया पत्रकार की मजबूरियां आप क्या जाने साहब,,है तो कड़वा सच ,,मालिक की मौत की खबर से अख़बार रंग दिए जाते है ,और अगर अख़बार कर्मचारी ,,,पत्रकार की मौत हो तो ,,दो अलफ़ाज़ की ,,श्रद्धांजलि भी उनके अख़बार में नहीं छापी जाती ,,,अख़बार वाले का कोई कार्य्रकम हो ,प्रेस की कोई बैठक हो तो जनाब अख़बार से खबर गायब रहती है ,,,अव्वल तो अख़बार में काम करने वाले ,,बेचारे है तो पत्रकार ,,लेकिन वोह किसी विज्ञापन एजेंसी ,,,किसी कम्प्यूटर एजेंसी ,,किसी प्रिंटिंग एजेंसी ,किसी लेबर सप्लायर के यहां ,,कार्यरत कमर्चारी बताये जाते है ,,,ऐसे में यह सब मुमकिन भी नहीं ,,क्या मजीठिया ,,क्या दूसरे आयोग सब बेकार है ,सारी ,,रिपोर्टे बेकार है भाई ,,,अख़बार एक रौशनी ,,अख़बार का मालिक एक रौशनी ,,लेकिन अख़बार कर्मचारी पत्रकार हो चाहे जो भी हो ,,एक दिया ,,जिसके तले ,,,अँधेरा है ,,और इसकी वजह सिर्फ आपसी फूट ,सर फुटव्वल ,,संगठनों पर दारु भाइयों का क़ब्ज़ा ,,प्रेस क्लबों में शराब के शौक़ीनों का जमावड़ा है ,जो सिर्फ अपनी बात करते है ,,पत्रकारों उनके कल्याण ,,उनके उत्थान ,,उनके लिए संघर्ष ,,बढे अखबारों से उन्हें न्याय दिलवाने की बात चाहे राष्ट्रिय स्तर पर हो ,,चाहे राज्य स्तर पर ,,चाहे क्षेत्रीय स्तर पर ,किसी ने भी एक आंदोलन के रूप में नहीं उठाई है ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...