इस्लाम के क़ायदे ,,क़ानून ,,सिद्धांतो को खुद में आत्मसात कर ,,एक संत ,,एक
बाबा ,,एक फ़क़ीर की ज़िंदगी जी कर ,, लोगों को ,,इस्लाम के विधि नियमों के
इंसाफाना फैसलों के साथ मुसीबत के लम्हों
में होसला देकर उनके चेहरे पर जीत की मुस्कान और गुमराह लोगों को राह पर
लाने की कामयाब कोशिशो में जुटे कोटा शहर क़ाज़ी अल्हाज अनवार अहमद सर्वमान्य
,,सर्वदलीय ,सर्वधर्म ,,धर्म गुरु स्वीकार्य हो चुके है ,,,हर दिल अज़ीज़
कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद लोगों दे दिलों की धड़कन बन चुके है ,,और लोगों
के दिल और ज़हन में शहर क़ाज़ी अनवार अहमद का मर्तबा इनके आमालों ,,इनकी
सात्विक इस्लामिक जीवन शैली के कारण सरे बुलंद हो चुका है ,,,जी हाँ
दोस्तों कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद के लिए कुछ भी लिखना ,,कुछ भी कहना ,,सच
सूरज को दिया दिखाने के मुक़ाबिल है ,,लेकिन मेरे कुछ मित्रों का हुकम है
इसलिए में यह गुस्ताखी करने पर मजबूर हुआ हूँ ,,,फरवरी 1932 को कोटा में
जन्मे अनवार अहमद के वालिद मोहम्मद अय्यूब सार्वजनिक निर्माण विभाग में
ज़िम्मेदार अधिकारी थे ,,लेकिन अनवार अहमद शुरू से ही सात्विक विचारों के थे
,,इसलिए दुनियावी शिक्षा के साथ साथ उनका रुहझांन इस्लामिक तालीम की तरफ
भी रहा ,,,,अनवार अहमद की प्रारम्भिक शिक्षा कोटा में ही हुई ,,यह इनके
नाना हुज़ूर क़ाज़ी ऐ शहर कोटा फेज मोहम्मद साहब की संगत में रहने लगे और
उन्होंने इन्हे दीनी तालीमात से मालामाल कर दिया ,,अनवार अहमद हर क्लास में
अव्वल थे ,,इनके आचरण से इनके दोस्त प्रभावित थे ,,,इन्होने हर्बर्ट कॉलेज
कोटा जो इन दिनों राजकीय महाविद्यालय है से गेजुएट अच्छे नंबरों से पास की
,,हिंदी ,,उर्दू ,,अरबी ,,अंग्रेजी ,,पारसी सही कई भाषाओं पर इनका अपना
कमांड रहा है ,,,,इनके नाना हुज़ूर के कोई लड़का नहीं था ,,लिहाज़ा इनकी
तालीम और दीनी रहझांन ,,दीन की तरफ झुकाव ,,इस्लाम के सिद्धांतो को खुद में
आत्मसात कर ,,अलमबरदारी को ,,,,इनके नाना हुज़ूर सहित कई आलिमों ने समझा और
इनकी दीनी ख़िदमात ,,इनके इल्म ,,इनके इन्साफांना ,,अंदाज़ को देखकर 1959
में किशोरपुरा ईदगाह पर लोगों की सहमति से इन्होने ईद की नमाज़ पढ़वाई और
कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद को ,,क़ाज़ी ऐ शहर ,,घोषित किया गया ,,सरकारी
मान्यता मिली ,,अनवार अहमद के सामने यह एक चुनौती भरा कार्य था ,,एक तरफ
इनकी पढ़ाई ,,लिखाई को देखते हुए इनके सामने कई महत्वपूर्ण और मालामाल कर
देने वाली ओहदेदारान बढ़ी नौकरियां इनके सामने हाथ बांधे खडी थी ,,दूसरी तरफ
फी सभी लिल्लाह ,,कॉम की ख़िदमात और कांटो भरी रहबरी थी ,,लेकिन इनके
अखलाक ,,इनके अंदाज़ से कोटा जिसमे पहले बारा ज़िला भी शामिल था ,,यहां के
लोग इनके फरमाबरदार होते गए और इनके बताए हुए रास्ते पर सुधारात्मक
सुझावों को स्वीकार करते रहे ,,,,हिन्दुस्तान में अनवार अहमद ही एक ऐसे
धार्मिक गुरु ,,शहर क़ाज़ी बने और अब तक भी है जो दीनी तालीम के साथ साथ
दुनियावी तालीम में भी अव्व्ल और ग्रेजुएट है ,,,,,,,,,इनकी काजियात का
ज़िक्र अकबर के काल सहित औरंगज़ेब ,,जहांगीर के ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी
मिलता है ,,जब झाला ज़ालिम सिंह ने कोटा पर क़ब्ज़ा कर लिया तब कोटा के दरबार
दिल्ली गए ,,उनके साथ जाने वालों में शहर क़ाज़ी के पूर्वज भी थे ,,वापसी में
जब कोटा दरबार फिर कोटा के शासक बने तो उन्होंने फिर से एक ,,क़ाज़ीनामा
,,अधिकार पत्र जारी करते हुए लिखा के ,,इन्साफाना काजियात इन्हे दी जाती है
,,,,इस नियुक्ति पत्र में और भी कई ज़िक्र किये गए है ,,,,,कोटा शहर क़ाज़ी
अनवार अहमद सत्तावन साल के इस काजियात के सफर में आमालों ,,कार्यशैली में
हिन्दुस्तान में अव्व्ल कहे जाते है ,,,इन्होने कोटा में कई उतार चढ़ाव
देखे है ,,कई खट्टे मीठे अनुभव किये है ,,कई कड़वे घूंठ पिए है ,,तो कई बार
खुद ढाल बनकर कॉम पर आने वाली मुसीबतों को रोक दिया है ,,इनके सुझावों से
प्रशासन और सरकार हमेशा पाबंद रहती है ,,शहर क़ाज़ी अनवार अहमद ,,विनम्र है
,,,सात्विक है ,,मिलनसार है ,,सभी को साथ लेकर चलने वाले है ,,अमानतदार है
,,ज़िम्मेदार है ,,लेकिन जब सवाल इस्लाम के सिद्धांतो का आता है तो यह सख्त
हो जाते है ,,इस्लाम के सिद्धांतो के मुक़ाबिल इन्हे कोई समझौता पसंद नहीं
,,इसलिए ईद के चाँद को लेकर प्रशासनिक और दुनियावी तरीके से आप हमेशा विवाद
में रहे है ,,,,इस मामले में क़ाज़ी ऐ शहर का कहना है ,,के चाँद का सिद्धांत
इस्लाम में साफ़ है ,, या तो खुद देखो ,,या फिर तस्दीक के लिए दो गवाह आये
,,ऐसे में चाँद की अगर शहादत नहीं आती तो सरकारी घोषणा के आधार पर ईद नहीं
मनायी जा सकती ,,अनेको बार ऐसा वक़्त आया है जब ,,हिन्दुस्तान के कई सरकारी
काज़ियों ने सरकारी हुक्मनामे को माना और बिना चाँद देखे या फिर अरब के
चाँद के मुताबिक ईद की घोषणा कर दी ,,लेकिन कोटा में चाँद नहीं दिखा या
फिर शहादत नहीं आई तो यहां ईद दूसरे दिन ही मनाई गई ,,क्योंकि लोगों के
रोज़े कम करना क़ाज़ी साहब के हाथ में नहीं ,,इस मामले में कई सरकारी
अधिकारीयों ,, छुटभय्ये सरकारी चमचे कथित आलिमों का इन पर दबाव भी रहता है
,,लेकिन यह कभी किसी के दबाव में नहीं आये ,,,,,इस्लामिक तोर तरीकों और
इन्साफांना फैसलों में अव्वल क़ाज़ी अनवार अहमद जब जब भी कॉम पर मुसीबत आई है
ढाल बनकर आगे रहे है ,,सभी नेताओं ने जब सियासत दिखाई ,,कॉम को सियासी
अंदाज़ में इस्तेमाल किया जब जब ,,एक मसीहा की शक्ल में खुदा ने क़ाज़ी ऐ शहर
कोटा अनवार अहमद को इस कॉम का मददगार बनाया और कॉम मुसीबत से उभरी है
,,,,,,,में राजस्थान में कई मुस्लिम समस्याओं और समाधान के मामले में
बुलाई जाने वाली सेमिनारों में जाता हूँ ,,में कोटा की मुसीबतों और उनके
निराकरण के अंदाज़ के बारे में जब बताता हु तो ,,लोग मुझ लोग मुझ से सवाल
करते है ,,,के आखिर तुम्हारे कोटा में ऐसा क्या है जो तुम हर लड़ाई बिना
किसी हथियार के जीत लेते हो ,, सच में बढ़े फख्र के साथ कहता हूँ ,,हमारे
कोटा वालों के साथ मुसीबत के हर लम्हे में अल्लाह के बन्दे ,,नेक बन्दे
,,क़ाज़ी ऐ शहर अनवार अहमद होते है ,,,सच कई लोगों के मुंह से निकलता है ,,
काश ऐसी शख्सियत हमारे शहरों में भी हमारे साथ होती ,,,एक लम्हा जिसे याद
करके कोटा शहर क़ाज़ी आज भी सिहर उठते है ,,,दंगे के माहोल में उन्नीस मय्यते
,,,शहर के अमन , चेन ,,सुकून की बहाली के लिए इन मय्यतों को दफन एक साथ
कोटा में ही करवाना बहुत टेढ़ा काम था लेकिन कर्फ्यू पास लेकर रात भर करवाया
गया ,,मरने वालों के परिजन साथ में सिसक रहे थे नम आँखों से शहर क़ाज़ी
नमाज़ ऐ जनाज़ा पढ़ा रहे थे ,,रात भर सोये नहीं ,, घर पर और मोहल्ले में रात
भर नहीं पहुंचे पर तलाश जारी हुई ,,वायरलेस हुए ,,लेकिन क़ाज़ी ऐ शहर
,,ख़ामोशी से डटे रहे और फिर सुबह सवेरे घर पहुंचे ,,कर्फ्यू के दौरान
लोगों को सहूलियतें ,,खाने पीने के सामान ,,सुरक्षाबल उपलब्ध कराने के
मामले में पूरी निगरानी रही ,,कई निर्दोषों को छुड़वाया गया ,,,ऐसे वक़्त
मे,जब ज़ालिम सरकार ने एक तरफा टाडा क़ानून का दुरूपयोग कर लोगों को फंसाया
तो ,,सभी रास्ते बंद होने पर ,,इंसाफ का झंडा क़ाज़ी ऐ शहर कोटा ने बुलंद
किया और आखिर में जीत भी हुई ,,क़ाज़ी ऐ शहर को इस मामले में ,,लोकसभा चुनाव
के दोरांन वोटों के वक़्त ,,,आत्मा की आवाज़ पर वोट डालने या नहीं डालने के
मामले को लेकर अपील करना पढ़ी ,,नतीजा मुस्लिम बस्तियों में वोटो का
प्रतीशत नगण्य हो गया और टाडा लगाकर निर्दोषों को प्रताड़ित करने वाली
सतापार्टी जीती हुई बाज़ी भी हार गई ,,, बरकत उद्यान के वक़्त जब गोलीबारी
का वक़्त था ,,पुलिस और जनता आमने सामने थी तब खुद पर ,,लाठी झेलकर खामोशी
से इस विवाद को बिना किसी बढ़ी हिंसा के कोटा शहर क़ाज़ी ने निपटाया ,,,,,,हर
रोज़े इफ्तार कार्यक्रम ,,,हर कार्यक्रम ,,जहां भी जिस सामजिक सुधार
कार्यक्रम में क़ाज़ी ऐ शहर की तक़रीर होती है वहां लोग इन्हे दिल से सुनते
है और दिल में स्वीकार कर उस बताये हुए रास्तो पर चलने की कोशिशों में जुट
जाते है ,,स्मैक के खिलाफ अभियान हो ,,,जेल में जाकर लोगों को सुधारने का
अभियान हो ,,इस्लामिक तब्लिग ,,इंसानी हकूकों की बात हो ,,सामाजिक सद्भाव
की बात हो ,,लाइलाज बीमारियों के इलाज का सवाल हो हर ताले की चाबी ,,क़ाज़ी ऐ
शहर कोटा के पास है ,,,,पुरे कोटा के ज़कात फंड के अमीर बनाकर लोगों ने
इन्हे ,,बैतूल माल का इंचार्ज भी बनाया है ,,जिसका इस्तेमाल इनके द्वारा
ग़रीबों ,,बेवाओं ,,बीमारों ,,ज़रूरतमंदों के हक़ में पुरी ईमानदारी के साथ
किया जा रहा है ,,अब तक अपने हाथो से करोड़ों करोड़ रूपये की इमदाद करने
वाले शहर क़ाज़ी अनवर अहमद पर एक दाग भी कोई लगाने की हिमाकत नहीं कर सका है
,,कोटा और कोटा के लोगों की ज़रूरत बन चुके कोटा शहर क़ाज़ी की नेकियाँ
,,इनकी सलाहियतें ,,इनकी हिदायतें कोटा के लोगों के दिलों में धड़कन बनकर
धड़क रही है ,,,,पिछले दिनों राजस्थान सरकार ने उर्दू जुबांन के साथ
नाइंसाफी कर उर्दू के अध्यापकों के पद खत्म कर दिए ,,मेने भाजपा के बढ़े
नेताओं ,,कांग्रेस के बढे नेताओं सहित ,,राष्ट्रवादी मुस्लिम मंच के
इंद्रेश कुमार तक से सम्पर्क कर पीड़ा सुनाई ,,ना कांग्रेस न भाजपा कोई
सुनने को तैयार नहीं सिर्फ औपचारिकता ही औपचारिकता ,,हमने कोटा शहर क़ाज़ी को
अपना दर्द बताया ,,चरणबद्ध आंदोलन का रास्ता सुझाया ,,कोई सुनवाई नहीं
हुई ,,आखिर कार एक रैली कोटा शहर क़ाज़ी के आह्वान पर शुरू की गई ,,कोटा की
सड़कों पर सिर्फ और सिर्फ कुर्ते पायजामे और टोपी में लाखो लोगों की भीड़
देखकर ,,कोटा शहर क़ाज़ी की आँखों में इस यकजहती को देखकर ख़ुशी के आंसू थे
,,सरकार की धड़कने इस भीड़ को देखकर थम गयी थी ,,,कोटा से उठी यह आवाज़
राजस्थान की आवाज़ बन गई थी ,,सरकार झुंकी और दूसरे दिन ही सरकार ने उर्दू
के अध्यापकों के पद खत्म करने के हुक्मनामे को वापस लिया ,,यही हाल उर्दू
के लेक्चरर्स की नियुक्तियों को लेकर हुआ ,,अभी हाल ही में मुस्लिम समाज
में शादी ब्याह के दौरान फिजूलखर्ची ,,दहेज़ के लालच ,,नुमाइश ,,बैंडबाजों
के साथ नाच गाने ,बेहूदगी के मामले के खिलाफ कोटा क़ाज़ी ने लोगों को समझाइश
की है ,,,तलाक मामलों में भी समझाइश हुई है और इसके सकारात्मक परिणाम
सामने आये है ,,कोटा में कई लोगों ने बेंड वालों को दिए गए साईं के रूपये
डूब जाने की फ़िक्र किये बगैर बिना नाच गाने के सादगी से शादी करवाई है
,,साक्षरता प्रति लोगों को जागरूक करने का काम भी कोटा शहर क़ाज़ी करते रहे
है ,,स्कूल मिलाकर अगर यह कहा जाए के कोटा ,,कोटा के लोगों ,,कोटा की अम्न
और सुकून के लिए कोटा शहर क़ाज़ी एक फ़रिश्ते बनकर आये है तो कम नहीं होगा
,,,कुछ लाइने याद आती है ,,तारीफ़ क्या करूं में उनकी ,,कुछ अलफ़ाज़ नहीं
मिलते ,,सच यही है के कोटा शहर क़ाज़ी अनवार अहमद के क़ौमी यकजहती से लेकर हर
मामले में ऐसी कारगुजारियां है जिनकी तारीफ़ और वर्णन के लिए अलफ़ाज़ ही कम
पढ़ जाते है ,,खुदा इस शख्सियत को इसी हिम्मत और ताक़त के साथ ,, सेहतयाबी
,,लम्बी उम्र दराज़ी के साथ हमारे बीच एक साया बनाकर रखे ,,हमारे साथ इनका
साथ बनाकर रखे ,,आमीन सुम्मा आमीन ,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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