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30 मार्च 2017

मी लार्ड ,,मी लार्ड का ज़माना था ,,लेकिन उस ज़माने में भी वकील आज़ाद थे

मी लार्ड ,,मी लार्ड का ज़माना था ,,लेकिन उस ज़माने में भी वकील आज़ाद थे ,,गुलाम भारत में भी वकील आज़ाद थे लेकिन अफ़सोस ,,कुछ निजी स्वार्थी ,,चमचे ,वकीलों के नेतृत्व की लापरवाही का ही नतीजा है ,,जो आज वकीलों को ,,शासन का गुलाम बनाने की तैयारियों पर मोहर लगाई जा रही है ,,हम खुद सभी वकील जिन्हें बारम्बार इन चमचों गद्दारो को चुना ,,आकापरस्ती ,,अफसरों की चमचागिरी और वकील से अलग हठ कर खुद ,, हम वकीलों में भी सियासी दलों की तन्ज़ीम लाकर ,हम ,पार्टियों में बंट गए ,,अपनी अपनी पार्टियों के भाईसाहबो की चमचागिरी करने लगे ,,कुछ ख़ास तो ,,सरकारी वकील ,,पैनल लॉयर वगेरा जैसे लाभान्वित होने के लिए ,,किस हद तक गिरते है ,,सभी जानते है ,,फिर वकीलों के अस्तित्व को ,,इस सरकार इस सरकार में बैठे चमचो द्वारा ललकारना तो था ही ,,जागो वकीलों जागों ,,न धर्म में ,न मज़हब में , न पार्टियों में न भाईसाहबो की गुलामी में बटो ,,बस वकील बन जाओ ,,चमचागिरी छोडो ,,स्वाभिमान को जगाओ ,,जैसे भारत को आज़ादी दिलवाई थी वैसा एक संघर्ष और ,,करो फिर देखो ,,सरकार हो यहां फिर सरकार द्वारा नियुक्त नोकरशाह सभी तुम्हारे क़दमो में होंगे ,,लेकिन क्या ऐसा हम और आप मिलकर कर सकेंगे ,,अगर ऐसा करने को आप तैयार हो तो पहले अंतर्मन को टटोले ,,और राजस्थान बार कौंसिल में तो लोकतंत्र स्थापित करने के लिए संघर्ष कर ले ,,कितने साल हुए हम प्रशासक के अधीनस्थ ,,अनाथ से हो रहे है ,,कुछ है जो अपने रसूकात के बल पर मज़े में है ,,और हम है ,,के हमारे वाजिब मुद्दे भी इन चम्मच सर की वजह से हल नहीं करा पा रहे है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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