दोस्तों ,,कोटा का एक नाम ,,विष्णु श्रृंगी ,,जो किसी परिचय का मोहताज नहीं
,,सभी जानते है ,,बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस ,,जांबाज़ सेवाभावी गोताखोर
,,विष्णु श्रृंगी न जाने कितनी माओं की गोद सुनी होने से बचा चुके है ,,न
जाने कितने सिंधुर पोंछने से बचा चुके है ,,जबकि हज़ारो हज़ार ,नदी
,,तालाबों में डूबे लापता शवो को ,,ज़हरीले कीड़ों के बीच से तलाश कर यह ऐसे
शवों को ,,,उनके अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सोंप चुके है ,,काम अजीब
सा है ,,एक गोताखोर ,,एक नगरनिगम कोटा के अग्निशमन विभाग में आपदा
प्रबन्धन मामले में प्रशिक्षित ,,विष्णु श्रृंगी ,अपने काम की वजह से
,,,कोटा में ही नहीं ,,राजस्थान में ही नहीं ,,,पुरे हिंदुस्तान के
जांबाजों के बीच सुर्ख़ियों में है ,,एक सामान्य से परिवार में जन्मे नगर
निगम अग्निशमन कार्यालय कोटा में नियुक्त हुए विष्णु श्रृंगी है ,,तो
प्रशासन बेफिक्र है ,,कोटा में कमोबेश पानी में डूबकर ,आत्महत्या करने वालो
की संख्या बढ़ रही है ,,ऐसे में यहां एक तरफ तो चंबल की गहराई ,,दूसरी तरफ
चम्बल में घड़ियालों का खतरा ,,तीसरी तरफ ज़हरीले सांप ,,कीड़े ,,,बिच्छु सभी
तो जानलेवा है ,,नहरो में पानी का बहाव तेज़ है ,,लेकिन मातारानी का वरदान
है ,इस जांबाज़ विष्णु श्रृंगी को जो यह ,,कई दिनों से लापता शव को भी गोता
लगाते है ,,,और कुछ मिनटों में ही अपने अनुभव के आधार पर ,पानी की गहराई
,,पानी का बहाव देखकर ,,खोज लाते है ,,,विष्णु श्रंगी यूँ तो विशेष
प्रशिक्षित है ,,लेकिन इनकी कड़ी महनत का ही नतीजा है जो इन्होंने गोवा में
आस्ट्रेलिया के डाइव सेंटर जिसे पडी के नाम से जाना जाता है ,,इस कठिन
,,जानलेवा प्रशिक्षण के बाद ,,विष्णु श्रंगी ने डीप डाइवर का लाइसेसन लिया
है ,,कोटा के जांबाजों के इस गौरव ,ने यहां कई दर्जन लोगो को डूबता हुए
बचाकर नयी ज़िन्दगी दी है ,,तो हज़ार से भी कई अधिक संख्या में गुमशुदा गहराई
में अटके पढ़े शवों को पानी में से खोज निकाला है ,,यह संकट मोचक है ,,घरों
में कहीं ज़हरीले सांप हो यह पहुंचते है ,,पुचकारते है ,,पकड़ते है और जंगल
में छोड़ आते है ,,बिच्छु हो ,,गोयरा ,हो ,मगर मच्छ या फिर घड़ियाल हो कोई
भी खतरनाक जानवर हो ,,उसे मिनटों में अपने काबू में कर यह विष्णु एक अवतार
रूप में संकटमोचक बन जाते है ,,,,यूँ तो विष्णु श्रंगी ,किसी भी तरह के
अल्फाजों के मोहताज नहीं ,,वोह सिर्फ और सिर्फ अपने काम से मतलब रखते ,है
,हमेशा उनका बोट ,, उनका स्टीमर ,,उनकी नांव ,,सभी आपदा प्रबन्धन सम्बन्धित
उपकरणों से रहती है ,,खुद चोबीस घण्टे ,अपने घर परिवार ,,आमोद प्रमोद
,,यारी दोस्ती को छोड़कर ,,गोताखोर की यूनिफॉर्म में आधुनिक गोताखोरी
,,उपकरणों के साथ अक्सर लेस मिलते है ,कहते है ,पता नहीं कब ,किसी के आंसू
पोंछने के लिए ईश्वर मुझे कामयाब कर दे ,,कहते है ,,जिन लोगो के परिजन पानी
में बहकर ,,कई दिनों तक नहीं मिल पाते ,,उनके रोते ,बिलखते परिवार ,,उनके
आंसू ,,हाहाकार ,,उनकी चीखे ,,उनका रुधन ,,कानों में गूंजता रहता है ,,वोह
एक आत्मविश्वास के साथ गोता लगाते है और बस एक अद्र्श्य शक्ति उनकी मदद
करती है ,वोह गुमशुदा व्यक्ति का शव पानी में से बाहर निकालकर
,,अंतिमसंस्कार के लिए परिजनों को सोंप देते है ,,वोह कहते है दर्जनों बार
जब उन्होंने डूबता हुए लोगो को ज़िंदा बचाने में कामयाबी हांसिल की तो सच
उन्हें ,,स्वर्ग सा सुख मिला ,है ,वोह ऐसे लोगो की दुआओ से ही आज , अपनी
मेहनत ,,लगन से कोटा के संकटमोचक बने है ,,खुदा उन्हें ,हिम्मत दे ,,ताक़त
दे ,,हौसला दे ,,,आमीन ,,सुम्मा आमीन ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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