आपका-अख्तर खान

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29 दिसंबर 2016

बस हौसलों की उढ़ान चाहिए ,,,

ज़िन्दगी जीने के लिए ,,ज़िन्दगी के सफर को ,,,खूबसूरत बनाने के लिए ,,पँखो या पांवो की ज़रूरत नहीं ,,बस हौसलों की उढ़ान चाहिए ,,, यह सबक़ यूँ तो में और आप रोज़ पढ़ते है ,,लेकिन सुलतान ऐ हिन्द ,,ख्वाजा की नगरी अजमेर शरीफ में ,,आनासागर के बाहर पार्किंग स्थल पर ,,शकील भाई और निज़ाम भाई ने मुझे फिर से सिखा दिया ,,में परिवार के साथ अजमेर था ,,बच्चो को आनासागर देखना था ,,कार साइड में लगाई और बच्चे आनासागर देखने चले गए ,,में कार की पहरेदारी में था ,,अचानक एक बियरिंग की तख्ता गाढ़ी आकर रुकी ,,उसे निज़ाम भाई चला रहे थे ,,उनका मोबाइल बजा ,,बात हुई ,,शकील भाई कहाँ हो ,,आवाज़ आई आ रहा हूँ ,,वहीं इन्तिज़ार करो ,,दो मिनट में शकील भाई ,,एक दिव्यांग स्कूटर पर आये ,,उनके हाथ में चाय की थैली थी ,,उन्होंने चाय गिलासों में निकाली ,,दोनों पीने लगे ,,परिवार ,,रिश्ते ,,दोस्ती की बात करने लगे ,,में कार से नीचे उतरा ,,उनके फोटो खेंचे ,,उनके ठहाको में अतिक्रमी बना ,,सलाम किया ,,पूंछा आप कहा से ,,, दिव्यांग स्कूटर पर बैठे शख्स ने कहा उत्तर प्रदेश से लेकिन पच्चीस साल से अजमेर ही है ,,मेरा दूसरा सवाल क्या करते हो ,,आपका नाम किया है ,,उन्होंने जवाब दिया में शकील खान ,,में पाव भाजी बनाकर भी कमाई करता हूँ ,,कभी बिना पैसा लगाए भी कमाई कर लेता हूँ ,,मेरा फिर सवाल ,,बिना पैसा कमाई का मतलब ,,शकील भाई मुस्कुराये बोले ,,स्कूटर रखता हूँ ,,दरगाह बाज़ार में जाता हूँ ,,बस समझ जाओ मुस्कुराकर उन्होंने कहा ,,,में समझ गया गरीब नवाज़ की नवाज़िश की कमाई की बात कर रहे है ,,फिर सवाल शादी हो गयी ,,हाँ साहब मेरा साला मेरा दोस्त था उसने उसकी बहन से रायपुर में शादी कर दी ,,,अब बीवी के साथ में मज़े में हूँ दो बच्चे है दोनों दसवी ,,बारहवीं में पढ़ रहे है ,,रायपुर छत्तीसगढ़ वाला दूर बहुत है ,,लेकिन क्या करे जाना पड़ता है ,,दूसरे शख्स की तरफ मेरा इशारा ,,आपका नाम ,,उनका जवाब में निज़ाम भाई जागीरदार उतरपदेश मुरादाबाद ,,जागीरदार ,,हां साहब वहां हमारी ज़मीन है ,,लेकिन पैर ऐसे है इसलिए भाइयों ने ज़मीन हड़प ली ,,लेकिन में उत्तरप्रदेश में दिव्यांग स्कूटर पर गुटका पानमसाला बेचकर ,,हज़ार ,,आठ सो रूपये रोज़ कमा लेता हूँ ,,शादी हो गयी ,,,,हाँ साहब ,,दो बच्चे है ,,एक लड़का एक लड़की ,,एक लड़का के जी वन में पड़ता है ,,एक लड़की केजी टू में पड़ती है ,,बच्चो की पढाई में कमी नहीं आने दूंगा ,,फिर सवाल ,,उत्तरप्रदेश से अजमेर कैसे ,,निज़ाम भाई का जवाब ज़ियारत करने आये है ,,ख्वाजा साहब ने बुलाया है ,,बेरिंग की तख्ता गाढ़ी साथ रखता हूँ ,,किसी की मदद की ज़रूरत नहीं ,,जहां चाहो ,,चले जाओ ,,ट्रेन है अभी थोड़ी देर बाद ,,शकील भाई से पुराना रिश्ता है ,,इनसे मिलना था ,,इसलिए फोन करके बुलाया है ,,मेने दोनों से माफी मांगी ,,कहा आपका फोटू मेने खेंच लिया है ,,बुरा तो नहीं लगा ,,उन्होंने मोबाईल निकाला ,,मेरा फोटू खेंचा ,,ठहाका लगाया ,,कहा लोग हमने भी आपका फोटू खेंच लिया बात बराबर ,,में सोचता रहा ,,ज़िन्दगी को खुशनुमा बनाने के लिए ,,पैरों की नहीं ,, पँखो की नहीं ,,होसलो की उड़ान की ज़रूरत होती है ,,और जो ज़िन्दगी को अभाव के बाद भी अगर खूबसूरती से जी लेता है वही सिकन्दर कहलाता है ,,,में ज़िन्दगी के इन दोनों सिकंदरों को देखता रहा ,,,और फिर बच्चो के आ जाने से इनसे ज़्यादा बात न कर सकता ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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