आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

21 नवंबर 2016

ये बताइये जब से आप प्रधानमंत्री बने हो

ये बताइये जब से आप प्रधानमंत्री बने हो तब से हर बार त्याग की रसीद जनता के ही नाम क्यों काटी जाती है? टैक्स दे जनता, सब्सिडी छोडे जनता, तय तारीख से पहले केबल हटा के DTH लगाए जनता, बैंक की लाइन में लगे जनता, ....
ये राष्ट्रनिर्माण का कद्दू हर बार जनता की खोपड़ी पे ही क्यों फोडते हो?
--
ऐसा क्यों नहीं करते -
राजनैतिक दलों को 20,000 तक के चंदे के दानदाता का नाम नहीं बताना पड़ता, इसे बंद कीजिए। हाँ आपकी जमात के बागड़बिल्लों को थोड़ी तकलीफ होगी। चुनावी रैलियों में हेलीकॉप्टर नहीं उड़ पाएंगे, एक नेता के लिए पचास-पचास, सौ-सौ चमचो की कारों के काफिले नहीं जुट पाएंगे।

थोड़ी तकलीफ तो होगी लेकिन *राष्ट्रनिर्माण* होगा।
--
ऐसा क्यों नहीं करते -
ये जो बड़े-बड़े उद्योग घरानों को कई-कई लाख करोड़ की टैक्स रिबेट दे देते है, इनके जुर्माने माफ़ कर देते है, इन की करोडो की लोन माफ कर देते हो, औने पौने दाम पे इन्हें प्राकृतिक सम्पदाएँ दे देते हो, इसे बंद किया जाए।
अय्याश धनकुबेरों को थोड़ी तकलीफ जरूर होगी, लेकिन *राष्ट्रनिर्माण* होगा।
--
ऐसा क्यों नहीं करते -
रिश्वत के लिए काम अटकाने वाले अफसरों और जजों पर हर काम और हर केस की तय सीमा करवा दें।
हाँ इससे उनका बीपी ऊपर नीचे होंगा, लेकिन *राष्ट्रनिर्माण* होगा।
--
आपने आज तक योजनाओं के नाम पर जितनी नौटंकी मचाई ! जनता ने भोले मन से आपका पूरा साथ दिया। चाहे नमामी गंगे हो, योग दिवस हो, स्वच्छ भारत अभियान हो या कुछ और ! देश गवाह है आपके नेता पहले दिन आते है फोटो चमका के चंपत हो जाते है, लेकिन जनता ने हर बार आपका साथ दिया है।
.
लेकिन ऐसा लगता है आपने जनता को द्रोपदी समझ लिया है। जब मूड हुआ, जब हवाबाजी सूझी लगे चीरहरण करने। बेहतर होगा ये *राष्ट्रनिर्माण* का लॉलीपॉप सब में बराबर बाँटे।
राष्ट्रहित मे जारी।
.
.
(पवन सैनी),

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...