आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

12 अक्तूबर 2016

के तुम बदल गए

अभी तो मिले ही थे
साथ रहने के दिन ,
अभी तो आये थे,,
इसे क़ुदरत की
सितम ज़रीफ़ी कहे
या फिर
हमारी बदकिसमती
के तुम बदल गए ,,,,,,,,,,
के तुम बदल गए ,,,,,,,,,,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...