" सवाल " कुछ भी हो,
" जवाब " तुम ही हो.
" रास्ता " कोई भी हो,
" मंज़िल " तुम ही हो.
" दु:ख " कितना भी हो,
" खुशी " तुम ही हो.
" अरमान " कितना भी हो,
" आरज़ू " तुम ही हो.
" गुस्सा " जितना भी हो,
प्यार तुम ही हो .
" ख्वाब " कोई भी हो,
" तकदीर " तुम ही हो.
यानि ऐसा समझो कि ,
" फसाद " कुछ भी हो,
सारे " फसाद " की " जड़ " ,
सिर्फ " तुम " ही हो
" जवाब " तुम ही हो.
" रास्ता " कोई भी हो,
" मंज़िल " तुम ही हो.
" दु:ख " कितना भी हो,
" खुशी " तुम ही हो.
" अरमान " कितना भी हो,
" आरज़ू " तुम ही हो.
" गुस्सा " जितना भी हो,
प्यार तुम ही हो .
" ख्वाब " कोई भी हो,
" तकदीर " तुम ही हो.
यानि ऐसा समझो कि ,
" फसाद " कुछ भी हो,
सारे " फसाद " की " जड़ " ,
सिर्फ " तुम " ही हो
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)