शूरवीरो
की धरती राजस्थान के अधिवक्ताओ के हालात लावारिस जैसे हो गए है ,,यहां के
अधिवक्ता बिखर गए है ,,टूट गए है ,,हालात यह है के अधिवक्ता नेतृत्वविहीन
होने से यहां कायरो का जीवन दे रहे है जबकि मध्यप्रदेश के अधिवक्ताओ ने
वकीलो को सहूलियते दिलवाने उन क़ानूनी रूप से संरक्षण क़ानून लागू करवाकर
,,वकीलो को धमकाने भर के आरोपियों के खिलाफ गेर जमानतीय अपराध घोषित करवाने
में सफलता हांसिल कर ली है ,,मेरे राजस्थान के वकील दोस्तों ,,राजस्थान के
हाल आप सभी के सामने है ,,यहां राजस्थान बार कौंसिल संस्था को जानबूझ कर
खत्म सा कर दिया गया है ,,सदस्यो के निर्वाचन के बाद ,,हाईकोर्ट जज बनने की
दौड़ में वोह अधिवक्ताओ के पैरोकार के बदले सिर्फ और सिर्फ आचरण मामलो में
बार के हिस्से से हठ कर बेंच का हिस्सा बन जाते है ,,हालात यही हुए ,,आज
राजस्थान भर में वकीलो का कोई खास मान सम्मान नहीं रहा है ,,उनसे उनकी
इच्छानुसार अपने वकील साथियो के निधन पर शोक मनाने का हक़ भी छीन लिया गया
है ,,दूसरे आंदोलन तो दूर की बात है ,,वकील यहां डरा ,,सहमा सहमा सा है
,,,,,बाहरी लोगो के हमले बढे है ,,,अदालतों में व्यवस्थाएं सही नहीं होने
,,भवन नहीं होने ,,स्टाफ की कमी ,,न्यायधीशों की कमी होने से वकीलो को
परेशानी का सामना करना पड़ता है ,,लेकिन वकीलो का दर्द बाँटने वाला उनका कोई
प्रतिनिधि नहीं है ,,संवैधानिक संस्था बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान दो वर्षो से
सस्पेंड पढ़ी है वहां प्रशासक की नियुक्ति है ,,,वकीलो पर हमले होने पर
उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है ,,दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के जांबाज़
वकीलो ने प्रतिपक्ष नेता ,,सांसद ,विधायक ,,मध्यप्रदेश सरकार पर दबाव बनाया
,,मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी वकीलो का दर्द समझकर उनका पक्ष समर्थन किया
,,नतीजा मध्यप्रदेश सरकार ने नए अधिवक्ताओ को कार्यालय शुरू करने पर अनुदान
देने की घोषणा की ,,मध्यप्रदेश में ,,अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम लागु करने
की दिशा में समिति बनाकर शीघ्र ही इसे लागू किया जाना प्रस्तावित है
,,अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत वकील को धमकाने भर के
मामले में भी आरोपी के खिलाफ गेर जमानतीय अपराध दर्ज कर कार्यवाही करने का
कठोर प्रावधान रखा गया है ,,जबकि मार पिटाई और हमले में गम्भीर सज़ा का
प्रावधान है ,,,अन्य सुविधाएं भी इस अधिनियम में दी गयी है ,,एक तरफ
मध्यप्रदेश के संगठित कामयाब अधिवक्ता साथी है जिन्होंने सरकार को झुका कर
अपनी मांगे मनवाई है ,,दूसरी तरफ हमारे शूरवीर कहे जाने वाले राजस्थान के
अधिवक्ता है जिन्होंने और सरकार और सिस्टम के आगे घुटने टेक दिए है
,,अफ़सोस होता है ,,इन वकीलो पर जो आज़ादी के सिपाही थे ,,आज खुद अपने ही
इन्साफ के लिए संघर्ष नहीं कर पा रहे है ,,उलटे उनसे उनकी संवैधानिक संस्था
बार कौंसिल ऑफ़ राजस्थान भी छीन ली गयी है ,,इतना ही नहीं ज़िलों की अभिभाषक
परिषदों में भी अनावश्यक दखलंदाज़ी शुरू कर उनके निर्वाचन को प्रभावित किया
जा रहा है ,,राजस्थान के वकीलो में अब कायरो के समूह को छोड़ कर कुछ भगत
सिंह ,,कुछ चन्द्रशेखर बनकर एक बढ़ा आंदोलन छेड़ने के लिए अंगड़ाई ले चुके है
,,देखते है आगे यह अंगड़ाई क्या रुख लेती है ,,टॉय टाँय फिस्स होती है या
फिर मध्यप्रदेश के अधिवक्ताओ की तरह एक जुट होकर मर्दानगी दिखाकर
,,राजस्थान के अधिवक्ताओ के लिए अदालतों में सहूलियते ,,अदालतों में
सम्मानजनक व्यवहार ,,वकील साथी के निधन पर शोक जताने की आज़ादी ,,बार बेंच
के सम्मानजनक सम्बन्ध ,,सहित वकीलो को उनका हक़ स्टाईफण्ड ,,अन्य सुविधाएं
दिलवा पाते है या नहीं ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 सितंबर 2016
शूरवीरो की धरती राजस्थान के अधिवक्ताओ के हालात लावारिस जैसे हो गए है
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शुभ लाभ
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