"तो आपको कांग्रेस मुक्त भारत चाहिए. वामपंथ मुक्त भारत चाहिए. दलित मुक्त
भारत चाहिए. अल्पसंख्यक मुक्त भारत चाहिए. लोकतंत्र मुक्त भारत चाहिए.
प्रगतिशीलता और जनवाद मुक्त भारत चाहिए. वैज्ञानिक सोच और स्वतंत्र चिंतन
मुक्त भारत चाहिए."
"हाँ."
"और अब स्त्री मुक्त भारत भी?"
"हाँ!...नहीं-नहीं, स्त्रियाँ तो चाहिए. मगर ऐसी, जो पूरी तरह हमारे वश में रहें. हम जो चाहें वही कहें. हमारे द्वारा किये गये तमाम अन्याय, अपमान और अत्याचार सहें. अपना मुँह कभी न खोलें. और आजादी के साथ तो कभी न डोलें. नहीं तो हम उनका वो हाल करेंगे जो..."
"बस, रहने दीजिए. हम समझते हैं!"
Ramesh Upadhyaya
"हाँ."
"और अब स्त्री मुक्त भारत भी?"
"हाँ!...नहीं-नहीं, स्त्रियाँ तो चाहिए. मगर ऐसी, जो पूरी तरह हमारे वश में रहें. हम जो चाहें वही कहें. हमारे द्वारा किये गये तमाम अन्याय, अपमान और अत्याचार सहें. अपना मुँह कभी न खोलें. और आजादी के साथ तो कभी न डोलें. नहीं तो हम उनका वो हाल करेंगे जो..."
"बस, रहने दीजिए. हम समझते हैं!"
Ramesh Upadhyaya
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