अंकारा.तुर्की
में तख्तापलट की आर्मी की कोशिशों को पब्लिक ने पांच घंटे में ही नाकाम कर
दिया। शुरुआत शुक्रवार रात से हुई, जब आर्मी के एयर अटैक में 17 पुलिस
अफसरों की जान चली गई। इसके बाद पार्लियामेंट के बाहर दो ब्लास्ट हुए।
प्रेसिडेंट रैचेप तैयाप एर्दोआन के घर के पास बम बरसाए गए। लेकिन जनता ने
आर्मी को सत्ता नहीं पलटने दी। हिंसा में अब तक 104 विद्रोहियों समेत 250
से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1400 से ज्यादा घायल हुए हैं। बगावत करने
वाले 3000 से ज्यादा अफसर-जवान हिरासत में लिए गए हैं। देशभर में 2000 से
ज्यादा जजों को हटा दिया गया है। तुर्की में स्पोर्ट्स इवेंट के लिए गए 148
स्टूडेंट्स समेत करीब 200 भारतीय फंसे हुए हैं। स्टूडेंट्स ने एक वीडियो
मैसेज के जरिए भारत सरकार से मदद मांगी है। 18 जुलाई को दिल्ली लौटना था...
-
तुर्की में फंसे स्टूडेंट्स ने वीडियो मैसेज में बताया कि 2016 वर्ल्ड
स्कूल चैम्पियनशिप के लिए वो नॉर्थ-ईस्टर्न प्रॉविन्स ट्रेब्जोन में हैं और
सेफ हैं।
- ये चैम्पियनशिप 11 जुलाई को शुरू हुई थी और 18 जुलाई तक चलनी थी। 18 जुलाई को ही इन स्टूडेंट्स को भारत लौटना था।
- अंकारा में हुए बम ब्लास्ट और तख्तापलट के बाद इवेंट को लेकर कुछ भी तय नहीं है। लिहाजा वे वापसी के लिए सरकार से मदद चाहते हैं।
तख्तापलट नाकाम करने में जनता का बड़ा रोल
- आर्मी ने सत्ता पर कब्जा कर मार्शल लॉ लागू करने का दावा किया।
- लेकिन कुछ ही घंटों बाद प्रेसिडेंट रैचेप तैयाप एर्दोआन सामने आए और कहा कि देश की कमान उन्हीं के पास है।
- उन्होंने कहा, "मैं देश की जनता से सड़कों पर उतरने की अपील कर रहा हूं। आओ, इन्हें सबक सीखाएं।"
- इस अपील के बाद लोग विद्रोही सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और भारी विरोध करने लगे।
- लोग टैंकों के सामने लेट गए। कई इमारतों में कब्जा किए बैठे आर्मी के जवानों को लोगों ने घसीटकर बाहर कर दिया।
- उधर, तुर्की के प्रेसिडेंट को एक स्पेशल प्लेन से सेफ लोकेशन पर पहुंचा दिया गया।
- इससे पहले विद्रोही सेना ने अंकारा में पार्लियामेंट पर बमबारी भी की। आम लोगों पर भी गोलियां बरसाई गईं।
तुर्की में बगावत और सेना-सरकार में टकराव की वजह क्या है ?
- प्रेसिडेंट की एके पार्टी 2002 में सत्ता में आई। इसके बाद से प्रेसिडेंट अपने पास ही सारे अधिकार रखने की कोशिश में हैं। उन्होंने फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन पर भी बंदिशें लगाई हैं।
- सत्ता में आते ही प्रेसिडेंट ने ही कई आर्मी अफसरों पर मुकदमे चलाए। इससे आर्मी में असंतोष बढ़ा।
- एके पार्टी के नेतृत्व में देश का इस्लाम की तरफ झुकाव बढ़ा है। 2002 में तुर्की के मदरसों में तालिम लेने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 65 हजार थी। अब 10 लाख हैं।
- तुर्की में सेना पूरी तरह सेक्युलर डेमोक्रेसी की समर्थक रही है। वह सरकार की इस्लामी सोच का विरोध करती है।
तख्तापलट की कोशिश के पीछे कौन?
- तख्तापलट की कोशिश के पीछे तुर्की मूल के मुस्लिम धर्मगुरु फेतुल्लाह गुलेन का नाम लिया जा रहा है।
- आरोप है कि गुलेन ने तख्तापलट के लिए सेना के कुछ अफसरों को भड़काया।
-
फेतुल्लाह को तुर्की के खिलाफ काम करने और इस्लाम का गलत प्रचार करने के
चलते देश से निकाल दिया गया है। वे 90 के दशक से अमेरिका में रह रहे हैं।
-
गुलेन और उसके सपोर्टर्स ने मिलकर हिजमेत नाम का एक मूवमेंट शुरू किया।
उनका 100 से ज्यादा देशों में करीब 1000 स्कूलों का नेटवर्क है।
- गुलेन इस्लाम के साथ-साथ, डेमोक्रेसी, एजुकेशन और साइंस का खूब सपोर्ट करते हैं।
56 साल में तीन बार तख्तापलट, एक बार कोशिश
- तुर्की में पिछले 56 साल में चार बार तख्तापलट की कोशिशें की गईं।
- 27 मई 1960: सरकार ने सेना के बनाए सख्त नियम दरकिनार कर दिए। इस्लामिक एक्टिविटीज बढ़ गईं। तब सेना प्रमुख कमाल गुर्शेल ने तख्ता पलट कर दिया। 1966 तक देश में आर्मी का रूल रहा।
- 12 मार्च 1970:देश के हार्थिक हालात बिगड़ते जा रहे थे। तब मिलिटरी जनरल ममदुल तगमाक ने प्रधानमंत्री सुलेमान दिमेरल को ऑर्डर देना शुरू कर दिया। दिमेरल ने इस्तीफा दे दिया। सेना ने सत्ता हाथ में नहीं ली, लेकिन 1973 तक सरकार पर नजर रखती रही।
- 12 सितंबर 1980:1973 के बाद भी देश के हालात ठीक नहीं हुए। तब सेना ने सभी काम अपने हाथ में ले लिए। आखिरकार 12 सितंबर 1980 को देश में पूरी तरह तख्ता पलट कर दिया गया। 1982 में रेफरेंडम हुआ। इसके बाद देश में नया संविधान बना।
- 27 फरवरी 1997:सेना का कहना था कि देश की राजनीति में इस्लामी सोच इस्लाम सोच हावी होती जा रही है। तब सुलेमान दिमिरल तुर्की के राष्ट्रपति थे। उन्हें 1971 में सेना ने सरकार से हटाया था। हालांकि इस बार सेना ने सत्ता अपने हाथ में नहीं ली थी।
भारत सरकार ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर
अंकारा: +905303142203
इस्तांबुल: +905305671095
तुर्की एक नजर में
- आबादी 8 करोड़ 12 लाख है।
- सबसे बड़ा शहर इस्तानबुल – 1 करोड़ 47 लाख
- एडल्ट लिटरेसी – 95%
- जीडीपी - 718 बिलियन डॉलर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)