राहुल गांधी को भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में आज ही राष्ट्रीय
अध्यक्ष बनाया जाए ,,मेने लेख लिखा ,,दिल से लिखा ,,लेकिन कुछ लोगों ने
उसका जवाब वाट्सएप्प पर लिखा जो में हूबहू साथ में पेश कर रहा हूँ
,,,,,,,,,,,,,,पहले मेरा लेख फिर जवाब ,,मेरा लेख इस तरह है ,,,उन्नीस जून
रविवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी छियालीस साल
के होकर सेतालिसवे साल में शुरू होंगे ,,यह बेदर्द कांग्रेस राहुल गांधी
को इस दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी कर कांग्रेस को
मज़बूती ,,स्थिरता दे सकते है ,,लेकिन कांग्रेस में बैठे चड्डी छाप भाजपा और
आर आर एस के एजेंट ,,जिन्होने राहुल के व्यक्तित्व को विवादित बनाने के
लिए भाजपा से सुपारी ली है वह राहुल गांधी की कामयाबी की राह के रोड़ा बने
हुए है ,राजनीति अभिमन्यु की तरह मां के पेट से गर्भ में सीखकर कांग्रेस के
लिए अपने पिता ,,अपनी दादी ,,की क़ुर्बानी देने वाले राहुल गांधी ने विकट
परिस्थितियों में भी कांग्रेस को स्थापित रखने के लिए कई क़ुर्बानियाँ दी है
,,अब तक खुद ने शादी नहीं की ,,जान हथेली पर रखकर दुश्मनो के निशाने पर है
,,लेकिन कुछ लोग है जो जब भी राहुल गांधी की ताजपोशी की तैयारियां होती है
,तो बेवजह टी वी पर आते है और कहते है ,,,राहुल को अध्यक्ष बनाया जाए ,बस
फिर हल्ला होता है ,,फ़ाइल ठंडे बस्ते में बंद ,,कई सालो से आर एस एस के
एजेंट ऐसा ही कर रहे है ,,राहुल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया ,,राहुल को
राजस्थान में गोपालगढ़ के इल्ज़ाम के बाद उन्हें मनाने के लिए राजस्थान में
कार्यसमिति की बैठक हुई ,,सम्मेलन हुआ तब राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष
के रूप में भारत की जनता और कॉंग्रेसी देखना चाहते थे ,,लेकिन गोपालगढ़ की
छानबीन के दौरान ,,एक मोटर साइकल सवार के कैरेकटर पर इन्ही चड्डी छाप
कोंग्रेसियो ने भाजपा की एजेंट शिप कर बकवासबाजी की थी ,और इस सम्मेलन में
राहुल गांधी को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना था ,,लेकिन उन्हें
उपाध्यक्ष बनाया गया ,,,पहली बार तो ,,राहुल गांधी ,,सोनिया गांधी ,,राहुल
को अध्यक्ष बना हुआ मानकर ,,भावुक होकर बढ़ी ज़िम्मेदारी देने के नाम पर रो
भी पढ़ी थी ,,लेकिन फिर पता चला के वह अध्यक्ष नहीं उपाध्यक्ष बनाए गए है
,,यह एक साज़िश चड्डी छाप कोंग्रेसियो की भाजपा के एजेंटों के साथ मिलकर की
गई थी ,,ज़रा सोचे एक महासचीव को उपाध्यक्ष बनाए जाने पर क्या ,,एक मा भावुक
हो सकती यही यह तो पावरलेस पद है ,,,दर असल कांग्रेस में बैठे भाजपा के
एजेंट चड्डी छाप कोंग्रेसियो को इसका मुआवज़ा भाजपा कई तरह से देते है
,,,,राहुल की ताजपोशी में देरी करवाकर भाजपा निरंतर राहुल गांधी की छवि
,,निराशावादी की बना रही है ,,कांग्रेस को हराने वाली छवि राहुल की इन
भाजपा एजेंटों द्वारा बनाई जा रही है ,,जबकि अनिश्चितता की स्थिति के कारण
कांग्रेस नुकसान हो रहा है ,,गुटबाजी को बढ़ावा मिल रहा है ,,खुद राहुल से
इन चड्डी छाप कोंग्रेसियों ने ,,गुटबाजी को मान्यता दिलवाते हुए कहलवा दिया
की गुटबाजी है और इसे खत्म नहीं की जा सकती ,,जहां अनुशासन का डंडा चलता
वहां आत्मसमर्पण ,,कांग्रेस के लिए घातक साबित हुई है ,,युवा और वृद्धों के
बीच खाई पैदा कर दी गई है ,,,,दस जनपथ और बारह तुग़लक़ लेन में आपस में गूट
बना दिए गए है ,,जिसका अनुसरण प्रदेश कांग्रेस कमेटियां भी कर रही है
,,इसलिए कांग्रेस को स्थिर करना है ,,मज़बूत करना है ,,एक जुट ,निर्गुट करना
है तो आगामी उन्नीस जून को राहुल गांधी के जन्म दिन पर उनकी ताजपोशी ज़रूरी
है ,,वर्ना कांग्रेस के और बुरे से बुरे हालात यह भितरघाती ,,चड्डी छाप
,,भाजपा के एजेंट कॉंग्रेसी करने की कोशिशों में जुटे है ,,यह लोग राहुल और
सोनिया को गुमराह कर गलतियों पर गलतियां करवाना चाहते है ,,,,,,,,,,, हार
जीत एक सतत प्रक्रिया है लेकिन स्थिरता अगर कांग्रेस में हुई ,,,तो
मौकापरस्तों के कांग्रेस के छोड़ने के बाद भी मेरा दावा है के कांग्रेस आज
की स्थिति से कई गुना बेहतर होगी ,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान,,,जवाब इस तरह से है ,,,,,जो कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओ द्वारा
लिखा गया है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर भाई, नमस्कार।
भैया जी,
आज सुबह 06:10 am पर प्राप्त हुई आपकी उक्त पोस्ट को पढ़ा। जिसमें आप, "राहुल गांधी" के कांग्रेस के राष्ट्रीय-अध्यक्ष नहीं बनने के प्रमुख कारण में, कांग्रेस में बने हुये चड्डी-छापों व भाजपाई एजेंटों को जिम्मेदार बतला रहे हैं।
भैया जी, आपका यह कथन कितना सही है और क्या इसका आधार है - यह तो आप ही जाने ...
लेकिन, आपके इस कथन से यह तो लग रहा है कि - "कांग्रेस" संगठन पर चड्डी-छापों का और भाजपाइयों का "नियंत्रण" बना हुआ है और इसीलिये "राहुल गांधी" को इस दल के "राष्ट्रीय-अध्यक्ष" बनाये जाने में बाधा बनी हुई है। --- और, इससे यह भी लग रहा है कि - ऐसे ही घुसपैठिये बने हुये तत्वों से "कांग्रेस" का 'अस्तित्व' भी खतरे में बनता जा रहा है।
लेकिन, अख़्तर भाई, यदि कांग्रेस पार्टी के विगत इतिहास को देखें तो आपका उक्त आरोप कपोल-कल्पित अधिक ही दिखलाई दे रहा है।
क्योंकि, नेहरू-गांधी परिवार में ही सिमटी हुई इस कांग्रेस-पार्टी के विगत समय के वफ़ादार कहे जाने सिपहसालारों ने भी सदा ही दल-हित, देश-हित व जन-हित के नाम पर स्व-हित की ही सर्वाधिक पूर्ति की है।
क्योंकि, ना तो तब और ना ही अब, इन दल-प्रमुख नियंत्रकों को "ना" और "सच" सुनने की आदत नहीं रही है। चाहे दल-हित के नाम पर "निज-हित" में "दल" को कितना भी नुकसान हो जाये --- सब स्वीकार है।
जबकि, कांग्रेस-इतिहास से भी यही जानकारी मिली हुई है कि - कांग्रेस के घोषित / अ-घोषित "सुप्रीमो" की इच्छा के बिना, कांग्रेस में कुछ भी संभव नहीं है। चाहे, असफलता के कारण कुछ भी गिना दिए जायें या किसी को भी जिम्मेदार ठहरा दिया जाये।
अख़्तर भाई, सच यह है कि - "कांग्रेस पार्टी" को आज भी आमजन "मन" से चाहती है।
लेकिन इसके प्रमुखजनों में बनी रहने वाली निज-स्तरीय गुटबाजियां (जिनके जिम्मेदार भी कांग्रेस-सुप्रीमो स्वयं ही रहे हैं) ही, इस संगठन के लिये आत्मघाती बनी हुई है। जिसे इंदिरा जी ने तो संभाला हुआ था, लेकिन सोनिया जी संभाल नहीं पा रही है। और, इसका मुख्य कारण है कि - सोनिया जी का अपना "सुचना-तंत्र" काफी कमजोर है। लगभग, यही स्थिति "राहुल गांधी" की बनी हुई है।
बेहतर है कि - यदि आप जैसे जागरूक कांग्रेस-हितैषी, सही-स्थितियों का आकलन कर, येन-केन-प्रकारेण, सीधे ही सोनिया जी व राहुल गांधी तक पहुंचाएं व समझाएं - तो, सही और उचित होगा।
फिर, जैसा आप उचित समझे। क्योंकि, आप वरिष्ठ व अनुभवी पत्रकार भी हैं और एडवोकेट भी हैं।
सादर -
भैया जी,
आज सुबह 06:10 am पर प्राप्त हुई आपकी उक्त पोस्ट को पढ़ा। जिसमें आप, "राहुल गांधी" के कांग्रेस के राष्ट्रीय-अध्यक्ष नहीं बनने के प्रमुख कारण में, कांग्रेस में बने हुये चड्डी-छापों व भाजपाई एजेंटों को जिम्मेदार बतला रहे हैं।
भैया जी, आपका यह कथन कितना सही है और क्या इसका आधार है - यह तो आप ही जाने ...
लेकिन, आपके इस कथन से यह तो लग रहा है कि - "कांग्रेस" संगठन पर चड्डी-छापों का और भाजपाइयों का "नियंत्रण" बना हुआ है और इसीलिये "राहुल गांधी" को इस दल के "राष्ट्रीय-अध्यक्ष" बनाये जाने में बाधा बनी हुई है। --- और, इससे यह भी लग रहा है कि - ऐसे ही घुसपैठिये बने हुये तत्वों से "कांग्रेस" का 'अस्तित्व' भी खतरे में बनता जा रहा है।
लेकिन, अख़्तर भाई, यदि कांग्रेस पार्टी के विगत इतिहास को देखें तो आपका उक्त आरोप कपोल-कल्पित अधिक ही दिखलाई दे रहा है।
क्योंकि, नेहरू-गांधी परिवार में ही सिमटी हुई इस कांग्रेस-पार्टी के विगत समय के वफ़ादार कहे जाने सिपहसालारों ने भी सदा ही दल-हित, देश-हित व जन-हित के नाम पर स्व-हित की ही सर्वाधिक पूर्ति की है।
क्योंकि, ना तो तब और ना ही अब, इन दल-प्रमुख नियंत्रकों को "ना" और "सच" सुनने की आदत नहीं रही है। चाहे दल-हित के नाम पर "निज-हित" में "दल" को कितना भी नुकसान हो जाये --- सब स्वीकार है।
जबकि, कांग्रेस-इतिहास से भी यही जानकारी मिली हुई है कि - कांग्रेस के घोषित / अ-घोषित "सुप्रीमो" की इच्छा के बिना, कांग्रेस में कुछ भी संभव नहीं है। चाहे, असफलता के कारण कुछ भी गिना दिए जायें या किसी को भी जिम्मेदार ठहरा दिया जाये।
अख़्तर भाई, सच यह है कि - "कांग्रेस पार्टी" को आज भी आमजन "मन" से चाहती है।
लेकिन इसके प्रमुखजनों में बनी रहने वाली निज-स्तरीय गुटबाजियां (जिनके जिम्मेदार भी कांग्रेस-सुप्रीमो स्वयं ही रहे हैं) ही, इस संगठन के लिये आत्मघाती बनी हुई है। जिसे इंदिरा जी ने तो संभाला हुआ था, लेकिन सोनिया जी संभाल नहीं पा रही है। और, इसका मुख्य कारण है कि - सोनिया जी का अपना "सुचना-तंत्र" काफी कमजोर है। लगभग, यही स्थिति "राहुल गांधी" की बनी हुई है।
बेहतर है कि - यदि आप जैसे जागरूक कांग्रेस-हितैषी, सही-स्थितियों का आकलन कर, येन-केन-प्रकारेण, सीधे ही सोनिया जी व राहुल गांधी तक पहुंचाएं व समझाएं - तो, सही और उचित होगा।
फिर, जैसा आप उचित समझे। क्योंकि, आप वरिष्ठ व अनुभवी पत्रकार भी हैं और एडवोकेट भी हैं।
सादर -
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