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30 जून 2016

विख्यात समाज सेवक ,,शिक्षाविद ,,पत्रकार भाई शाहबुद्दीन फारुकी

विख्यात समाज सेवक ,,शिक्षाविद ,,पत्रकार भाई शाहबुद्दीन फारुकी जिन्हे ,,फिल्म मेकर एस फारुकी के नाम से जानते है ,,एक जुलाई को उनका जन्म दिन है ,,वैसे तो अब वह चौसठ बरस के हो जाएंगे ,,लेकिन माशा अल्लाह उनका जवांन दिल आज भी ,,उन्हें समाज के खिदमत मामलों से जोड़े हुए है ,,वह लेखक भी है ,,पत्रकार भी है और शिक्षाविद के नाते उनका स्कूल भी रहा है ,,एस फ़ारूक़ी छात्र जीवन से ही राजनीति में रहे ,,यह कांग्रेस के संयुक्त सचिव रहकर संघर्षशील कार्यो में जुटे रहे ,,फिर छात्रों की समस्याएं जब इन्होने देखी ,,तो कोटा के छात्रों को एक नई दिशा ,,नया संदेश ,,सभी शैक्षणिक जानकारियां एक साथ देने के लिए एस फारुकी ने स्टूडेंट टाइम्स अखबार का प्रकाशन शुरू किया ,,छात्र आंदोलन के दौरान इस अखबार ने छात्रों को दिशा हींन होने से बचाया ,,हिंसक घटनाओं को छात्रों को प्रेरित कर रुकवाया ,,छात्रों के खिलाफ झूंठे मुकदमों से भी इस अखबार स्टूडेंट टाइम्स की निगरानी से छात्र बच सके ,,एस फारुकी पुराने वक़्त में अखबारों का सरताज कहे जाने वाले समाचार पत्र ,,ब्लिट्ज़ के कोटा से प्रमुख रिपोर्टर थे ,,दैनिक ट्रब्यून ,,नवज्योति सहित कई अखबारों में इन्होने पत्रकारिता के जोहर दिखाए ,,एस फारुकी को सच्ची घटनाएं लिखने का शोक रहा ,इसीलिए इन्होने फिर अपना रुख सच्ची कहानिया ,,मनोहर कहानिया की तरफ किया ,,एस फारुकी की कई खोजपूर्ण रिपोर्टे ,,आक्रामक तेवर में प्रकाशित हुई ,,यह पत्रकारिता में अपनी पहचान बनाने के बाद फिल्म कलाकारों के सम्पर्क में आने के बाद ,,फिल्मी लाइन की तरफ गए ,,जहां कोटा की सबसे पहली टेली फिल्म ,,त्याग ही त्याग ,,का निर्माण हुआ ,,इस फिल्म के कथाकर खुद एस फारुकी थे ,,निर्देशक ,,,निर्माता भी एस फारुकी थे ,,एक छात्र छात्रा की प्यार भरी कहानी इस फिल्म में इन्होने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत की ,,इस फिल्म की पूरी शूटिंग इन्होने कोटा में ही की ,,इसमें कोटा के ही कलाकारों को स्थान देकर उनकी प्रतिभाओं को उजागर करने का प्रयास किया गया ,,एस फारुकी ने स्थानीय कलाकरो को मुंबई के फिल्मी कलाकरो से सम्पर्क स्थापित करवाकर ,,कोटा की प्रतिभाओं को फिल्मों में स्थान दिलवाने का रास्ता साफ किया ,,आज भी इनसे जुड़े कई कलाकार मुंबई की बढ़ी फिल्मों में काम कर रहे है ,,,स्वभाव से धीर गम्भीर ,,लेकिन बच्चों में बच्चे ,,छोटों में छोटे ,,बुज़ुर्गों में बुज़ुर्ग का स्वभाव रखने वाले इस मृदुल स्वभावी शख्सियत के अंदर एक पत्रकार ,,एक कलाकर ,,एक फिल्म निर्माता ,,आज भी हिलोरे ले रहा है ,,एस फारुकी प्रेस क्लब कोटा के सदस्य के रूप में मुस्कुराकर अपने सभी छोटे बढ़े साथियो में अपने अनुभव भी बांटते है ,,जबकि एस फारुकी ,,आज की पत्रकारिता में गरीबो ,,थड़ी होल्ड्र्स सहित रोज़ कमाने वालो की खबरें जब नहीं देखते है तो वह निराश हो जाते है,,एस फारुकी यारों के यार है इसीलिए आज भी इन्होने अपने पुराने साथियो को धरोहर बनाकर सजो कर रखा है ,,में शुक्रगुज़ार हूं एस फारुकी का ,,जब डिजिटल आधुनिक फिल्म शूटिंग तकनीक नहीं थी ,,कैमरे से सीधे शूटिंग हुआ करती थी ,,तब एस फारुकी ने अपने खुद के निर्देशन में मेरी शादी के खुशनुमा पलो को ,,एक फिल्म के रूप में क़ैद किया था ,,मेरी शादी की इस पूरी फिल्म को एस फारुकी ने निर्देशित सम्पादित कर ऐसे खूबसूरत गीतों से भर दिया ,,ऐसे खूबसूरत लम्हों ,,ऐसे सभी रस्मो रिवाजो को इसमें क़ैद किया ,,और शायद पुरानी तकनीक की मेरी शादी की पहली फिल्म थी जिसे इन्होने एक फिल्म की तरह खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया ,,यह फिल्म आज भी यादगार है और इस फिल्म को देखकर कई शादी की शूटिंग कर केसीट बनाने वाले वीडियोग्राफरों ने एस फारुकी को अपना गुरु बनाकर ,,शादी की फिल्मों का निर्देशन ,,सम्पादन ,,गीत का चयन और फिल्मांकन के गुर सीखे ,,,एस फारुकी इन दिनों थोड़े अस्वस्थ थे ,,लेकिन अब फिर सभी की दुआओ से वह तेज़ धार धार कलम लेकर ,,नए जज़्बात ,,नए अरमानो के साथ नई पत्रकारिता की तकनीक में अपने जोहर दिखाने को आतुर है ,,खुदा इन्हे कामयाब करे ,,एस फारुकी को इनके जन्म दिन पर मुबारकबाद ,,खुशहाली ,,सेहतयाबी ,,कामयाबी की दुआए ,,,,बस इनके चौसठ साल पर न जाना भाइयो ,,यह तो जवांन ही है ,,ऐसा लगता है इनकी उम्र बचपन में ही दस साल ज़्यादा लिखवा दी गई थी ,,इसीलिए तो आज एक नौजवान को अपनी चोासठवीं सालगिरह मनाना पढ़ रही है ,,अल्लाह फारुकी भाई का फ़ोलादी जज़्बा ,,,लोगो की मदद का स्वभाव और तेज़ धार धार वाली कलम का जोहर कायम रखे ,,अमीन ,,सुम्मा आमीन ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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