आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

04 मई 2016

तुमसे मिलना

तुमसे मिलना
तुमसे प्यार करना
मेरी मंज़िल
हरगिज़ न थी
तुमसे मिलना ,,
रोज़ मिलना
रोज़ मिलना
हर पल
हर क्षण मिलना
मिलते रहना
यही सफर था मेरा
एक तुम हो
जो मंज़िल समझ कर
सिर्फ ठहर गए
सिर्फ ठहर गए ,,
मेरा सफर आज भी
लगातार जारी है ,,
बस तुम साथ नहीं
इस सफर में
इस चाहत में
में सिर्फ अकेला
सिर्फ अकेला हूँ ,,,,अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...