आपका-अख्तर खान

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27 अप्रैल 2016

,कोई काम नहीं है मुश्किल ,,जब किया इरादा पक्का ,

हिम्मत ऐ मर्दा ,,मदद ऐ खुदा ,,,कोई काम नहीं है मुश्किल ,,जब किया इरादा पक्का ,,काम कोई छोटा बढ़ा नहीं होता ,,काम से ही इंसान की पहचान है ,,, बुरे वक़्त में भी मुस्कुराते हुए जीना ,,मुसीबतों से लड़ना ,,ज़िंदगी इसी का नाम है ,,,जी हाँ दोस्तों ,,एक कहावत हो तो लिखू ,,,,हिम्मत और मज़बूती के साथ कामयाबी की जितनी भी कहावते है ,,भाई अनीस राइन पर क़ुर्बान ,,अनीस राइन ,,एक शायर ,,एक बेहतरीन वक्ता ,,,एक तबीब ,,एक हकीम जो उनके वालिद मरहूम ने इन्हे ,,पेरेलिसिस ,,लकवे का तेल की बख्शीश की है , नेतृत्व क्षमता ,,व्यापारिक दखल ,,,यह सब हुनर इनमे है ,,लेकीन संघर्षो से अनीस राइन का पुराना नाता है ,,शायरी की बेहतरीन की ,,हालातों को बदलने के लिए वक्ता बनकर स्टेज सम्भाला बेहतरीन अंदाज़ ,,तालियों की गड़गड़ाहट से मंच को गूंजा दिया ,,, खुद्दारी ऐसी के खुद का सुकून का रोज़गार ,,,,लोगों को रोज़गार के लिए वित्तीय सहायता कम्पनी बनाकर रोज़गार दिए ,,तो शायराना अंदाज़ का साहित्य लिखा ,,,इंटरनेट मोबाइल का कारोबार किया ,,हलवाई का काम देखा ,,,, समाज सेवा और गरीबों के संघर्ष में खुद को हवंन किया ,,वालीद मरहूम के साथ आरामशीन पर काम किया ,,और यहीं लकवे सहित कई दूसरी असाध्य बीमारियों के लिए लाइन लगकर इलाज कराने वालों की मदद की ,,हुनर सीखा ,,वालिद मरहूम ने यह हुनर इन्हे बख्शा ,, आज भी केसी ही विकट परिस्थिती हो ,,कैसा ही आर्थिक संकट हो ,,बस मरीज़ आये तो उसे मुफ्त तेल मुहैया होता है ,,मरीज़ की तंदरुस्ती इनकी कोशिश और उसकी दुआएं इनका खज़ाना है ,,पिछले दिनों घोर आर्थिक संकट का दौर ,,भाई अनीस टूटे भी नहीं ,,बिखरे भी नहीं ,,कोई काम छोटा नहीं होता बस ऑटो सम्भाला ,,काम शुरू ,,कभी दूसरों को वित्तीय सहायता देकर नए ऑटो दिलाने वाली यह सख्सियत ने जब खुद ऑटो चलाया तो चेहरे पर कोई शिकन नहीं ,,हाँ ऑटो चालकों और सवारियों के दर्द कोई अनीस राइन ने समझा ,,जाना और बस ऑटो चालकों को लामबंध किया ,,यूनियन बनाई ,,हज़ारो ऑटो चालक इनके पीछे थे ,,,चुनाव हुए हज़ारों वोट से इनकी जीत ने इनकी लोकप्रियता को बता दिया ,,बस फिर क्या था सुधार कार्यक्रम शुरू ,,,फोन पर ओला कैब की तरह कम किराए पर ऑटो की उपलब्धि ,,ऑटो चालकों की लूट खसोट से लोगों को मुक्ति ,,चालकों के व्यवहार में ईमानदारी और मानवीयता ,,ऑटो में कोई भी सामान छूटे ,,सवारी को तुरंत पहुंचाना ,,राजस्थानी संस्कृति ,,पर्यटन को बढ़ावे के लिए ऑटो की सजावट ,,सवारियों के लिए मुख्य आकर्षण ,, सरकारी योजनाओं का प्रचार ,,,घायलों को अस्पताल पहुंचाने की हिदायत और दो हज़ार रूपये का ऑटो चालक को इनाम ,,,,दोस्तों ऑटो यूनियन कई आई कई गयी ,,लेकिन ऐसा काम शायद ही किसी ने किया हो और शायद ही भविष्य में कोई कर पायेगा ,,ऐसे जांबाज़ ,, समाजसेवक ,,शायर ,,,,मुखर वक्ता ,,भाई अनीस राहीन को मेरा सलाम ,,खुदा इनकी राह ,,इनकी मुश्किलें आसान करे ,,,इन्हे हिम्मत दे ,,ताक़त दे ,,आमीन सुम्मा आमीन ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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