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17 अप्रैल 2016

आंसुओं की वजह

तुम्हारे
आंसुओं की वजह
में ,,मेरा वुजूद ,,
मेरी ज़िंदगी थी अगर ,,,
यह राज़ तुमने मुझे
पहले अगर बता दिया होता
सच ,,खुद को खत्म कर लेते
हम कभी का ,,
सिर्फ तुम्हारी ख़ुशी
तुम्हारी मुस्कान के खातिर ,,,,
चलो अब आंसू पोंछो
ज़रा मुस्कुराओ
हम खुद मरे जाते है
तुम्हारी इस मुस्कुराहट के खातिर ,,अख्तर

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 20 अप्रैल 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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