प्यार की
बुलंदियों पर
पहुंच कर
खुशियां
मना ही रहा था में
के अचानक तुमने
प्यार का
वह टेका हटाकर
मुझे ज़मीन पर
धड़ाम कर
धुल चटाकर
अहसास करा दिया
लंगूर के हाथ में
हूर अच्छी नहीं लगती ,,,अख्तर
बुलंदियों पर
पहुंच कर
खुशियां
मना ही रहा था में
के अचानक तुमने
प्यार का
वह टेका हटाकर
मुझे ज़मीन पर
धड़ाम कर
धुल चटाकर
अहसास करा दिया
लंगूर के हाथ में
हूर अच्छी नहीं लगती ,,,अख्तर
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