आपका-अख्तर खान

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02 फ़रवरी 2016

में लिखता रहा ,

में लिखता रहा ,
तुम्हारे लिए ,,
तुम अनपढ़ से लगे
में अदाएं
दिखाता रहा तुम्हे
तुम अंधे से लगे
में बोलता रहा तुम्हे
तुम बहरे से लगे
तुम्हे सुनने की ख्वाहिश की
तुम गूंगे से लगे
एक अहसास
एक जज़्बात ऐसा था
बस चाहत की हर कहानी
अनकहे अंदाज़ में
बढे ख़ुलूस से
समझा डाली तुमने ,,अख्तर

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