में लिखता रहा ,
तुम्हारे लिए ,,
तुम अनपढ़ से लगे
में अदाएं
दिखाता रहा तुम्हे
तुम अंधे से लगे
में बोलता रहा तुम्हे
तुम बहरे से लगे
तुम्हे सुनने की ख्वाहिश की
तुम गूंगे से लगे
एक अहसास
एक जज़्बात ऐसा था
बस चाहत की हर कहानी
अनकहे अंदाज़ में
बढे ख़ुलूस से
समझा डाली तुमने ,,अख्तर
तुम्हारे लिए ,,
तुम अनपढ़ से लगे
में अदाएं
दिखाता रहा तुम्हे
तुम अंधे से लगे
में बोलता रहा तुम्हे
तुम बहरे से लगे
तुम्हे सुनने की ख्वाहिश की
तुम गूंगे से लगे
एक अहसास
एक जज़्बात ऐसा था
बस चाहत की हर कहानी
अनकहे अंदाज़ में
बढे ख़ुलूस से
समझा डाली तुमने ,,अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)