आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

20 जनवरी 2016

यही क़लम अगर क़लम से खरीदने ,,बेचने का कारोबार करने वालो के हाथ में हो तो बेशर्मी बेचती है ,,

क़लम अगर इंसान के हाथ में हो तो क़लम फूल बिखेरती है ,,यही क़लम अगर जानवर के हाथ में हो तो अराजकता ,,बेहूदगी बिखेरती है ,,और यही क़लम अगर क़लम से खरीदने ,,बेचने का कारोबार करने वालो के हाथ में हो तो बेशर्मी बेचती है ,,यही सब हमारे राजस्थान के कलमकारों ,,पत्रकारों ने हाल में अचानक चित्तौड़गढ़ सावा वाले हाजी शेर खान की मोत पर साबित कर दिखाया है ,,हाजी शेर खान गरीबो के मददगार ,,,बेटी पढ़ाओ ,,बेटो को सिखाओ के आनदोलन के तहत इनकी पढ़ाई के व्यवस्थापक रहे है ,,,गरीबो को हज करवाने सहित कई समाजसेवा कार्यो में यह अग्रणीय रहे है ,,,,हाजी शेर खान ,,,जेल में गए ,,वहां उन्हें मानवता के नाते प्रॉपर चिकित्सा सुविधा नहीं मिली ,,,दवाये सही नहीं मिली और इस अव्यवस्था के चलते वोह गंभीर बीमार हुए ,,उनके कमज़ोर केस के कारण उन्हें ज़मानत मिली ,,,,और इलाज के दौरान उनकी दर्दनाक मोत हो गयी ,,,उनकी इस मोत पर गरीब रो रहा है ,,ज़रूरत मंद बच्चे ,,,,मदद के इन्तिज़ार में बैठी बेवाये ,,धार्मिक यात्रा पर जाने के इन्तिज़ार में बैठे मज़हबी लोग रो रहे है ,,,,सभी सदमे में है ,,और ऐसे शख्स की मोत पर कुछ बेहूदा लोग ,,कुछ व्यवसायिक लोग ,,कुछ मर्दानगी की दवाये बेचने का विज्ञापन छापने वाले लोग ,,,कुछ बेहूदा विज्ञापन छापने वाले और क़लम बेचने वाले लोग ,,,हाजी शेर खान की आकस्मिक मोत के बाद ,,उन्हें सबसे बढे भ्रष्टाचार का अभियुक्त लिखते है ,,बेहूदगी से उनकी मोत की खबर का प्रकाशन करते है ,,जो लोग मोत को भी अपनी आजीविका बनाते है ,,,जो लोग तीसरे ,,और अंतिमसंस्कार के विज्ञापनों से अपना पेट पालते हो ,,दुखी परिवारो से भी व्यवसाय करते हो ,,उनके मान सम्मान की बात में क्या करू ,,अगर हाजी शेर खान सावा वाले परिवार के कोई लोग या कोई दोस्त ,,इन क़लम कारो के आगे श्रद्धांजलि ,,या फिर मोत के विज्ञापन का एक रंगीन पेज छापने को लेकर लाखो रूपये दे देते तो ,,बेहूदगी से लिखने वाले यही क़लमकार इन्हे हीरो बनाकर इनकी खुबिया सारे देश को बताते फिरते ,,,जो लोग अरबो रूपये की सम्पत्ति बेहिसाब रखते है ,,इन लोगों के यहाँ अगर इनकम टैक्स का छापा पढ़ता है तो यही इनके समाज के इन लोगों का यह क़लमकार अपने अख़बार में नाम तक नहीं छापते ,,,केवल एक फर्म कहकर चार लाइन मजबूरी में छापते है ,,,शर्म आती है ऐसे कलमकारों पर जो मुर्दो का कफन नोचते है ,,और मरने के बाद भी उसकी खुबिया छुपाकर उसकी छोटी सी कमी को बेहूदगी भरे अल्फ़ाज़ों में बदतमीज़ी के साथ लिखते है ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...