कोटा के अख़बार ,,,,बेबस ,,कोटा का,,, इलेक्ट्रॉनिक मिडिया ,,,,खामोश
,,प्रशासन गिरवी ,,विधायक और सांसद ,,,,बेफिक्र है ,,,,और इधर,,,, कोटा
कोचिंग ,,,,नगरी ,,मासूमों के ,,, मोत की,,, सौदागर बन गई है ,,यहां कोटा
में ,,,रोज़ एक बच्चा या ,,,बच्ची द्वारा,, कोचिंग फोबिया ,,कोचिंग स्ट्रेस
,,,,में बेमौत फांसी लगाई जा रही है,, या फिर उसे ,,,ज़हर खाकर मरना पढ़
रहा है ,,बच्चे रो रहे है ,,,बिलख रहे है ,,माँ बाप ,,, बच्चो की मोत पर,,
सिसक रहे है,, लेकिन सरकार और प्रशासन के कानो पर,,, इस व्यवस्था को लेकर
,,,आज तक कोई जूं नहीं रेंगी है ,,,,,,जी हाँ दोस्तों बच्चो की मोत की
सौदागर बनी इस स्मार्ट सिटी बनने का सपना देख रही कोचिंग नगरी में यह सब
रोज़ हो रहा है ,,परशान मूकदर्शक है ,,,,कोचिंग माफिया के दबदबे और चाँदी के
जूते के आगे सब नतमस्तक बैठे है ,,,कोचिंग संचालक तो पहले ही कहते है
,,उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,,वोह कहते है ,,,वोह जितना कमाते है
,,उसमे से काफी कुछ हिस्सा ,,कुत्ते को हड्डी डालने की तरह ,,,अंकुश लगाने
वाली एजेंसियों को टुकड़ा डालते है और मनमानी करते है ,,विधायक बच्चो की
संवेदनशीलता ,,मनोविज्ञान ,,उनके मनोमस्तिष्ट पर इस तरह की ज़बरदस्ती का
हमला ,,विधानसभा में नहीं उठाते ,,,सांसद इसे संसद में नहीं उठाते
,,कलेक्टर ,,एसपी इस मामले में कुछ नहीं करते ,,मंत्री खामोश रहते है
,,,,मानवाधिकार कार्यकर्ता खिचड़ी पकाते है ,,,,,बाल संरक्षण संस्थाए
,,समाजसेवी संस्थाए ,,चुप्पी साधती है ,,छुटपुट नेता ,,इक्का दुक्का
ऐडमिशन करवाकर ,,,कुछ फीस कम करवाकर खुद को ,,तुर्रमखां समझते है,,अखबार
और इलेक्ट्रॉनिक मिडिया का तो क्या कहना ,,वोह तो इनके मुनाफे में बराबर के
हिस्सेदार है ,,,कोचिंग की कमाई का ख़ास प्रतीशत अखबारों और मिडिया को
विज्ञापन के रूप में लगातार मिलता रहता है ,,बस कोचिंग का नाम गायब ,,एक
संस्थान लिखा जाता है ,,,और इन ,,,कोचिंग स्ट्रेस हत्याओं ,,,पर अखबार
,,मिडिया चुप्पी साधकर जनता से सभी तथ्य छुपाता है ,,,पोलिथिन मुक्त कोटा
,,,स्मार्ट सिटी कोटा जैसे कई अभियान चलाने वाले यह अख़बार ,,यह मिडिया
,,कभी भी ,,आत्महत्या मुक्त ,,कोटा का अभियान चलाने के बारे में ,,, सोच भी
नहीं सकते है ,,क्योंकि ,,लाखो रूपये का इनका विज्ञापन प्रभावित होता है
,,खेर ,,व्यवसाय की बात है,,, लेकिन विधायक जी का क्या ,,पार्षद जी का क्या
,,,समाज सेवी संस्थाओ का क्या ,,,सांसद जी का क्या ,,,,फिर जनता जो बात
,,बात पर थानो को घेरती है ,,चक्का जाम करती है ,,कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन
कर ,,फोटु खिंचवाकर ,,,अखबारों में ढींगे हाँकती है ,,,,प्रशासन का क्या
,,मनोचिकित्स्को का क्या ,,,नियम क़ायदे,,, क़ानूनो का क्या ,,जिला प्रशासन
खूब बेहतर जानता है के,,, बच्चो के साथ ,,,मानसिक बलात्कार ,,,मानसिक ज़ोर
ज़बरदस्ती ,,,,कॉम्पीटिशन का स्ट्रेस ,,एक दूसरे से पिछड़ने की प्रतिस्पर्धा
,,,बच्चो को निराशा के दौर में ले जा रही है ,,कोचिंग जो ना ईद की छुट्टी
देते है ,,,ना होली ,,दीपावली की ,,कोचिंग जो परिवार में किसी विवाह समारोह
,,किसी बीमारी ,,किसी मोत में भी बच्चो को जाने की इजाज़त नहीं देते है
,,ऐसे बेरहम क़ातिल कोचिंग ,,,बिना किसी क़ानून के,,, करोडो करोड़ रूपये
,,बच्चो की हत्याए कर ,,,कमा रहे है,,और राजस्थान सरकार ,,केंद्र सरकार
उनकी निगरानी के लिए ना तो समिति बनाती ना ही कोई नियमावली ,,अफ़सोस होता है
जब इन कोचिंग गुरु हत्यारों के समक्ष प्रशासन ,,सांसद ,,विधायक ,,नेता
,,अख़बार ,,नतमस्तक नज़र आते है ,,,,और यह कोचिंग गुरु मासूम ,,बेबस ,,लाचार
बच्चो की बेमौत ,,मौतों पर रावण की तरह अठाहस लगाते है ,,एक माह में
अट्ठाइस बच्चो की मोत ,,,,स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षको को बाल मनोविज्ञान
पढ़ाया जाता है ,,रविवार ,,त्यौहार की छुट्टियां दी जाती है ,,दीपावली ,,ईद
,,होली ,,यहां तक के सर्दियों की छुट्टियां तक दी जाती है ,,,इन छुटट्टियों
का निर्धारण ,,,किसी बाल मनोविज्ञान के अध्ययन के बाद ही किया गया था
,,,,फिर यह कोचिंग इन क़ानूनो से ऊपर क्यों है ,,क्यों यह कोचिंग छात्र
छात्राओ को इंसान नहीं जानवर ,,,मशीन समझने लगे है ,,,मानसिक तनाव और
निराशा के इस दौर में सैकड़ों आत्महत्याएं और हज़ारो बच्चे डिप्रेशन ,,निराशा
,,चिंता की बीमारी से ग्रसित होकर उनका जीवन बिगाड़ चुके है ,,,,लेकिन
कोटा जहां चम्बल बहती है ,,,कोटा जहां विभीषण का मंदिर है ,,,कोटा जहाँ
कंसुआ है ,,,कोटा जहां इन्साफ की गाथाएं है ,,कोटा जहां अपने बच्चो की
हिफाज़त के लिए लोग अपनी जान दे देते है ,,कोटा जहाँ बाल न्यायालय है ,,,बाल
समितिया है ,,समाज कल्याण है ,,,बाल मनोविज्ञान की संस्थाए है ,,,हेल्प
लाइन है ,,,संवेदन शील सांसद है ,,विधायक है ,,पार्षद है ,,प्रशासन है
,,,,,समाजसेवी संस्थाए है ,,बात बात पर नेतागीरी करने वाले ,,प्रदर्शन
करने वाले जज़्बाती लोग है ,,खोजी पत्रकार है ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया है
,,,,फिर भी यह हत्याए ,,,जी हाँ ,,कोचिंग गुरु द्वारा की गई हत्याए
,,राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार की ढुल मूल नीति का नतीजा है ,,,एक
शर्मनाक कलंक है ,,,अगर अब नहीं सुधरा कोटा ,,अब भी कोचिंग गुरुओं की
नियमावली बनाकर इन पर अंकुश नहीं लगाया गया ,,अब भी अखबारों और नेताओं ने
अपनी ज़िम्मेदारियाँ नहीं निभाई ,,अब भी इस सर कहकर ,,ऐडमिशन करवाने वाले
अधिकारीयों ने ,,जनहित में ,,बच्चो के हित ,,कोचिंग गुरुओं के गले में
पट्टा नहीं बांधा ,,तो निश्चित है ,,,,कोटा कोचिंग नगरी ,, का बच्चो की
आत्महत्या के मामले में पहले लिम्का बुक फिर गिनीज़ रिकॉर्ड में नाम आने
वाला है ,,,अफ़सोस ,,सिर्फ अफ़सोस ,,,मेने यह लेख आप भाइयों ,,साथियों के
ज़मीर को ललकारने के लिए लिखा है ,,भड़काने के लिए नहीं ,,आप अपने ज़मीर से
पूंछे और एक पत्र आपके विधायक ,,आपके सांसद ,,,पार्षद ,,कलेक्टर ,,एस पी
,,,मानवाधिकार आयोग ,,,मुख्यमंत्री ,,,प्रधानमंत्री को ज़रूर लिखे ताकि
निरंकुश कोचिंग गुरुओं पर अंकुश लग सके ,,अखबारों का ,,इलेक्ट्रॉनिक मिडिया
का ज़मीर जगाये ,,और कोचिंग गुरुओं से ,,बे मोत ,,,मारे जा रहे इन मासूमों
को बचाले प्लीज़ बचाले ,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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