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07 दिसंबर 2015

रूस ने तुर्की को धमकाया? मिसाइल लॉन्चर लिए नेवी अफसर की फोटो से बढ़ा तनाव

तुर्की के मीडिया में आई फोटो, जिसमें रशियन ऑफिसर कंधे पर मिसाइल लॉन्चर के साथ दिख रहा है।
तुर्की के मीडिया में आई फोटो, जिसमें रशियन ऑफिसर कंधे पर मिसाइल लॉन्चर के साथ दिख रहा है।
इस्तांबुल. मिसाइल लॉन्चर कंधे पर उठाए एक रशियन नेवी ऑफिसर की फोटो सामने आने से रूस और तुर्की के बीच तनाव बढ़ गया है। यह फोटो उस वक्त खींची गई, जब रशियन जहाज तुर्की की समुद्री सीमा से गुजर रहा था। तुर्की ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए इसे 'भड़काऊ कदम' करार दिया।
क्या है फोटो में?
लोकल मीडिया में आए इस फोटो के मुताबिक, एक रशियन ऑफिसर 'सीजर कुनिकोव शिप' के डेक पर खड़ा है। उसने कंधे पर मिसाइल लॉन्चर उठा रखा है। बताया जा रहा है कि इस दौरान शिप बोस्पोरुस स्ट्रेट से गुजर रहा था।
रूस के ऐम्बैसडर को समन भेजेगा तुर्की
- हुर्रियत डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना से नाराज तुर्की का विदेश मंत्रालय रूस के ऐम्बैसडर को समन भेजेगा। दूसरी ओर, रूस ने इस फोटो पर कोई भी कमेंट नहीं दिया है।
- तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावूसोग्लू ने इस मामले पर कहा, "हमारी समुद्री सीमा से गुजरते वक्त रशियन सोल्जर द्वारा रॉकेट लॉन्चर दिखाना भड़काऊ हरकत है। अगर भविष्य में किसी भी तरह का खतरा महसूस हुआ तो हम जरूरी रिएक्शन देंगे।"
तुर्की ने मार गिराया था रशियन जेट

- 24 नवंबर को तुर्की एयरफोर्स ने सीरियाई बॉर्डर पर रशियन फाइटर जेट मार गिराया था। तुर्की का दावा था कि रूसी जेट उसकी एयरस्पेस में घुस आया था।
- फाइटर जेट में दो रूसी पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल ओलेग पेशकोव और कैप्टन कोन्स्टेनटिन मुराख्तिन मौजूद थे।
- पेशकोव को सीरिया के लोकल विद्रोहियों ने मार डाला था। जबकि दूसरे पायलट मुराख्तिन को रूस की स्पेशल फोर्स ने 12 घंटे के सर्च ऑपरेशन के बाद बचा लिया।
- इस घटना के बाद रूस और तुर्की के बीच तनाव बढ़ गया है। रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी दे दी है।

रूस-तुर्की में क्या है विवाद?

>> रूस और तुर्की में सीरिया में कार्रवाई को लेकर विवाद चल रहा है।
>> तुर्की, अमेरिका और फ्रांस साथ हैं। वहीं, रूस खुद आईएसआईएस पर हमले कर रहा है और सीरिया के राष्ट्रपति असद का साथ दे रहा है।
तुर्की नहीं रोक सकता बोस्पोरुस स्ट्रेस से गुजरने वाले जहाज
बता दें कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद हुए मोंत्रो समझौते (1936) के तहत तुर्की बोस्पोरुस स्ट्रेट से गुजरने वाली किसी भी जहाज को रोक नहीं सकता। रूस के लिए यह ब्लैक-सी से होते हुए मेडिटरेनीअन-सी में जाने का इकलौता रास्ता है।

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