ब्लेयर ने इराक वॉर के लिए मांगी माफी, कहा-जंग बना ISIS के सामने आने की वजह
लंदन. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इस्लामिक
स्टेट के बढ़ते असर के लिए इराक वॉर को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने पहली
बार इराक वॉर को लेकर माफी भी मांगी है। ब्लेयर ने कहा कि सद्दाम को सत्ता
से उखाड़ फेंकने वालों में शामिल देशों को इराक के मौजूद हालात के लिए कुछ
जिम्मेदारी तो लेनी होगी, क्योंकि इसी संघर्ष के चलते आईएसआईएस वजूद में
आया। बता दें, केमिकल वीपन के शक में 2003 में अमेरिका और ब्रिटेन समेत
गठबंधन सेनाओं ने इराक पर हमला किया था।
'सीरिया जैसे होते हालात'
हालांकि, ब्लेयर ने इराक पर हमले का बचाव करते हुए ये भी कहा कि सद्दाम को अगर सत्ता से बेदखल नहीं किया गया होता तो वहां सीरिया जैसे हालात होते। टोनी ब्लेयर का ये बयान सर जॉन चिलकोट के उस एलान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने युद्ध को लेकर अपनी जांच के पूरी होने के टाइमटेबल का जिक्र किया है।
हालांकि, ब्लेयर ने इराक पर हमले का बचाव करते हुए ये भी कहा कि सद्दाम को अगर सत्ता से बेदखल नहीं किया गया होता तो वहां सीरिया जैसे हालात होते। टोनी ब्लेयर का ये बयान सर जॉन चिलकोट के उस एलान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने युद्ध को लेकर अपनी जांच के पूरी होने के टाइमटेबल का जिक्र किया है।
क्या कहा इंटरव्यू में?
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में टोनी ने कहा कि वे जंग से जुड़े कई मसलों के लिए माफी मांगते हैं। इंटरव्यू के दौरान रिपोर्टर फरीद जकारिया ने सवाल किया था कि क्या इराक वॉर एक गलती थी। इस पर ब्लेयर ने कहा, ''मैं उस बात के लिए माफी मांगता हूं कि इंटेलिजेंस के जरिए गलत जानकारी मिली थी। साथ ही, प्लानिंग को लेकर भी गलतियां हुई थीं।'' उन्होंने कहा,'' निश्चित तौर पर हमसे वहां के हालात को समझने में गलती हुई कि इस शासन को उखाड़ फेंकने के बाद कैसे हालात बनेंगे।''
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन को दिए गए एक इंटरव्यू में टोनी ने कहा कि वे जंग से जुड़े कई मसलों के लिए माफी मांगते हैं। इंटरव्यू के दौरान रिपोर्टर फरीद जकारिया ने सवाल किया था कि क्या इराक वॉर एक गलती थी। इस पर ब्लेयर ने कहा, ''मैं उस बात के लिए माफी मांगता हूं कि इंटेलिजेंस के जरिए गलत जानकारी मिली थी। साथ ही, प्लानिंग को लेकर भी गलतियां हुई थीं।'' उन्होंने कहा,'' निश्चित तौर पर हमसे वहां के हालात को समझने में गलती हुई कि इस शासन को उखाड़ फेंकने के बाद कैसे हालात बनेंगे।''
इराक वॉर में हुआ नुकसान
इराक वॉर में अमेरिकी सेना के साथ 45,000 ब्रिटिश जवान शामिल थे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संघर्ष में 10 हजार इराकी नागरकि, 4000 से ज्यादा अमेरिकी जवान और 179 ब्रिटिश सर्विस के सदस्य मारे गए थे।
इराक वॉर में अमेरिकी सेना के साथ 45,000 ब्रिटिश जवान शामिल थे। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संघर्ष में 10 हजार इराकी नागरकि, 4000 से ज्यादा अमेरिकी जवान और 179 ब्रिटिश सर्विस के सदस्य मारे गए थे।
2002 में पड़ी ISIS की नींव
तौहिद वा अल-जिहाद के तौर पर जॉर्डन के अबु मुसाद अल-जरकावी ने 2002
में ही आईएसआईएस की नींव रख दी थी। एक साल बाद 2003 में इराक में अमेरिकी
गठबंधन सेना के हमले के बाद जरकावी ने ओसामा बिन लादेन के प्रति वफादारी की
शपथ ली और अलकायदा से जुड़ गया। 2006 में जरकावी की मौत के बाद अलकायदा ने
इसे सहयोगी संगठन के तौर पर इस्लामिक स्टेट इन इराक (आईएसआई) का नाम दिया।
2013 में आईएसआईएस के मौजूदा चीफ अबु बक्र अल बगदादी ने इस आतंकी संगठन
में इराक के साथ सीरिया को भी शामिल कर लिया और इसका नाम आईएसआईएस हो गया।
बुश ने भी मानी थी गलती
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने भी अपना कार्यकाल खत्म होने के दौरान इस बात को माना था कि इराक वॉर उनके कार्यकाल की बड़ी गलतियों में से एक है। बुश ने अपनी किताब में भी इस बात जिक्र किया है। किताब में दिए अंश के मुताबिक, जब उन्हें इस बात का पता चला कि इराक में कोई केमिकल वीपन नहीं है तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वो एक डूबते जहाज के कैप्टन हैं।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश ने भी अपना कार्यकाल खत्म होने के दौरान इस बात को माना था कि इराक वॉर उनके कार्यकाल की बड़ी गलतियों में से एक है। बुश ने अपनी किताब में भी इस बात जिक्र किया है। किताब में दिए अंश के मुताबिक, जब उन्हें इस बात का पता चला कि इराक में कोई केमिकल वीपन नहीं है तो उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि वो एक डूबते जहाज के कैप्टन हैं।
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