आपका-अख्तर खान

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26 अक्तूबर 2015

नफरत ही कर ली

जब तुमने मुझे
छोड़ ही दिया है
तुमने मुझे
भुला ही दिया
तुमने मुझ से
नफरत ही कर ली
तो बताओ
तुम्हारी रूखी आँखे
मुझे तलाशती क्यों है
बताओ
तुम्हारे लबों को
मेरा इन्तिज़ार क्यों है
बताओ
तुम्हारे सीने में
जो दिल है
उसमे में सिर्फ में ही
इन्तिज़ार बनकर
धड़कता क्यों हूँ
बताओ
तुम्हे मेरा
मेरे कॉल का
मेरे अल्फ़ाज़ों का
मेरी पोस्टों का
मेरे आने का
इन्तिज़ार क्यों है ,,अख्तर

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